लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से कहा है कि वह एक कल्याणकारी राज्य है अतः उसे समान कर्मचारियों के प्रति समान भाव अपनाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को लोक निर्माण विभाग के एक अधिशासी अभियंता को नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए एनओसी जारी करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आदेश की प्रति प्राप्त होने के 10 दिन के भीतर प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी एनओसी जारी कर दें, ताकि उक्त अधिशासी अभियंता एनएचएआइ में प्रतिनियुक्ति पर ज्वाइन कर सके। यह आदेश जस्टिस मनीष माथुर की एकल पीठ ने मो फिरदौस रहमानी की रिट याचिका पर पारित किया।
याची की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा का तर्क था कि याची पीडब्ल्यूडी में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात है। उसने एनएचएआइ में डीजीएम तकनीकी के पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए विभाग की अनुमति से आवेदन किया और जब गत 21 मार्च, 2025 को उसका चयन हो गया तो वहां ज्वाइन करने के लिए आवश्यक एनओसी नहीं दी जा रही है। बेवजह परेशान किया जा रहा है। तर्क दिया गया कि समान मामले में विभाग के दूसरे अधिशासी अभियंता सुधीर कुमार भारद्वाज को उसी पद प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए एनओसी जारी किया गया किंतु उनका चयन ही नहीं हो सका जबकि याची का चयन हो गया तो भी उसे एनओसी नहीं दी जा रही है।
राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि पीडब्ल्यूडी में पहले से ही अधिशासी अभियंताओं की काफी कमी है और भारद्वाज पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर हैं। अतः याची को एनओसी नहीं दी जा सकती है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याची और भारद्वाज का मामला समान है। कहा कि जहां भारद्वाज को प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति मिली हुई है तो वहीं याची को प्रतिनियुक्ति पर जाने से रोका जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का यह कृत्य संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत विभेदकारी है।