डिजिटल जनगणना : खुद गिनती करेंगे लोग, एप से गणनाकर्ता जुटाएंगे नागरिकों का डाटा, एक अप्रैल 2026 से घरों की गिनती होगी शुरू
08 जुलाई 2025
नई दिल्ली। देश की पहली डिजिटल जनगणना के दौरान इस बार लोगों को अपनी गिनती खुद करने का मौका मिलेगा। इसके लिए विशेष वेब पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिस पर नागरिक स्व गणना का विकल्प चुन पाएंगे। पहली बार, आंकड़े जमा करने और इसे केंद्रीय सर्वर पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे आंकड़ों की शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि वेब पोर्टल राष्ट्रीय जनगणना के दोनों चरणों घरों की सूची बनाने, उनकी गिनती करने और जनसंख्या गणना के लिए उपलब्ध होगा। गणनाकर्ता अपने एंड्रॉयड और एपल फोन पर विशेष एप का उपयोग करके नागरिकों का डाटा एकत्र करेंगे। डिजिटल जनगणना की पहल जनगणना प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में परिवर्तनकारी कदम है। आंकड़े जुटाने और उनका संग्रह करने की प्रक्रिया के दौरान बेहद कड़े सुरक्षा मानक अपनाए जाएंगे।
घरों की गिनती का काम एक अप्रैल, 2026 से शुरू होगा। जनसंख्या की गिनती का दूसरा चरण एक फरवरी, 2027 से जनगणना की प्रक्रिया लद्दाख, जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक अक्तूबर, 2026 से, जबकि शेष देश में एक मार्च 2027 से तय की गई है। इस बार की जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी।
आजादी के बाद 8वीं जनगणना : देश में जनगणना की शुरुआत के बाद से यह 16वीं व आजादी के बाद 8वीं जनगणना होगी। भारत के महापंजीयक ने गणना कर्मियों के लिए हर चरण के लिए तीन स्तरीय केंद्रित व आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।
मकानों की गणना के साथ ही एक अप्रैल, 2026 से जनगणना का पहला चरण शुरू होगा
30 जून 2025
नई दिल्ली । भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक मृत्युंजय कुमार नारायण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि मकानों की गणना के साथ ही एक अप्रैल, 2026 से जनगणना का पहला चरण शुरू होगा। इससे पहले राज्यों और जिला प्रशासन के सहयोग से पर्यवेक्षकों, गणनाकारों की नियुक्ति और उनके बीच कार्य वितरण का काम किया जाएगा।
महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय ने लोगों से पूछे जाने वाले लगभग तीन दर्जन प्रश्न तैयार किए हैं। सर्वेक्षण के दौरान घरों में फोन, इंटरनेट, वाहन (साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, जीप, वैन) और उपकरणों (रेडियो, टीवी, ट्रांजिस्टर) जैसी वस्तुओं के स्वामित्व के बारे में पूछा जाएगा।
लोगों से अनाज की खपत, पीने के पानी और बिजली के स्त्रोत, शौचालयों के प्रकार और उनकी उपलब्धता, अपशिष्ट जल निपटान, स्नान और रसोई की सुविधाएं, खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन और एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन के बारे में भी पूछा जाएगा। अतिरिक्त प्रश्नों में मकान के फर्श, दीवारों और छत में प्रयुक्त सामग्री, उसकी स्थिति, निवासियों की संख्या, कमरों की संख्या, विवाहित जोड़ों की उपस्थिति तथा क्या परिवार की मुखिया महिला है और परिवार अनुसूचित जाति या जनजाति से है, आदि शामिल हैं।
पत्र के अनुसार, जनगणना दो चरणों में होगी। एक अप्रैल, 2026 से मकान गणना कार्य, पर्यवेक्षकों और गणनाकारों की नियुक्ति और उनके बीच कार्य विभाजन किया जाएगा। जबकि, एक फरवरी, 2027 से जनगणना शुरू होगी। पहले चरण यानी मकान गणना अभियान में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी।
इसके बाद दूसरे चरण यानी जनसंख्या गणना में हर घर में रहने वाले लोगों की संख्या, उनका सामाजिक आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा, जो एक फरवरी, 2027 से निर्धारित है। जनगणना गतिविधियों के लिए 34 लाख से अधिक गणनाकार और पर्यवेक्षक तथा लगभग 1.3 लाख जनगणना कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे। यह अब तक की 16वीं जनगणना है तथा स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना है।
आगामी जनगणना मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करके डिजिटल माध्यम से की जाएगी। लोगों को स्व-गणना का प्रविधान भी उपलब्ध कराया जाएगा। नारायण ने कहा कि जनगणना के लिए सभी गांवों और कस्बों को एक समान गणना ब्लाकों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक ब्लाक के लिए एक गणनाकर्ता नियुक्त किया जाता है ताकि जनसंख्या गणना के दौरान किसी भी चूक या दोहराव से बचा जा सके। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में प्रस्तावित कोई भी बदलाव 31 दिसंबर से पहले करें ।
पहली बार डिजिटल जनगणना, 90 साल बाद 34 लाख गणनाकर्ता मोबाइल एप व स्मार्टफोन के साथ जुटाएंगे जनगणना और जातिगत आंकड़े
16 जून 2025
भारत की 16 वीं जनगणना 2027 में होने जा रही है... 90 साल बाद यानी साल 1931 के बाद, पहली बार सभी जातियों का आंकड़ा जुटाया जाएगा। यह पूरी तरह डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें 34 लाख गणनाकर्ता मोबाइल एप व स्मार्टफोन के साथ मैदान में उतरेंगे।
देश में मार्च 2027 से दो चरणों में होगी जनगणना
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने मार्च 2027 से जातिगत गणना के साथ ही भारत की 16वीं जनगणना कराने के लिए सोमवार को अधिसूचना जारी की। पिछली बार ऐसी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी।
अधिसूचना में कहा गया है कि देश के ज्यादातर राज्यों में जनगणना के लिए एक मार्च 2027 की आधी रात को आधार माना जाएगा। बर्फबारी वाले राज्यों जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में यह तारीख एक अक्बूतर 2026 तय की गई है। देशभर से जनसंख्या संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराने का यह कार्य 34 लाख गणनाकर्ताओं, पर्यवेक्षकों और डिजिटल उपकरणों से लैस लगभग 1.3 लाख जनगणना कर्मियों द्वारा किया जाएगा। एक बयान में कहा गया है कि जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी की जाएगी।
पहले चरण में हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में जनसंख्या गणना, जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक स्थिति और प्रत्येक घर में प्रत्येक व्यक्ति का अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा। जनगणना की पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में पूरी होगी।
राष्ट्रीय डिजिटल जनगणना के लिए अधिसूचना जारी
जनगणना पर आज जारी होगी अधिसूचना, डिजिटल होगी जनगणना, 16 भाषाओं में तैयार किए जाएंगे मोबाइल एप
गृह मंत्री अमित शाह ने गृह सचिव और जनगणना आयुक्त के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की।
16 जून 2025
नई दिल्ली। देश में जातिगत गणना और जनगणना कराने की आधिकारिक अधिसूचना सोमवार को जारी होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को जनगणना कराने की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, महापंजियन एवं जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। सरकारी बयान के अनुसार, यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी। एप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे।
गृह मंत्री शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 16वीं जनगणना में पहली बार जाति गणना शामिल होगी। 34 लाख गणक और सुपरवाइजर, 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी आधुनिक मोबाइल और डिजिटल उपकरणों के साथ यह कार्य करेंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में 1 अक्तूबर, 2026 से और देश के बाकी हिस्से में 1 मार्च, 2027 से जातियों की गणना और जनगणना का कार्य शुरू होगा।
दो चरणों में की जाएगी जनगणना
जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण यानी मकान सूचीकरण और मकानों की गणना (एचएलओ) में प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण (जनसंख्या गणना) में प्रत्येक घर के हर व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण एकत्र किए जाएंगे।
आजादी के बाद 8वीं जनगणना
यह जनगणना भारत की 16 वीं तथा स्वतंत्रता के बाद की 8वीं जनगणना होगी। इस बार जनगणना डिजिटल माध्यम से मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये की जाएगी। नागरिकों के लिए स्व-गणना (सेल्फ-एन्यूमरेशन) की सुविधा भी उपलब्ध होगी। डाटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संग्रह, संचरण और भंडारण के दौरान कड़े सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी और यह जनगणना 16 वर्षों के अंतराल के बाद होगी।
तैयारीः जनगणना प्रक्रिया को पूरा करने में लगेंगे 30 लाख कर्मचारी, कर्मचारियों का विशेष प्रशिक्षण अक्तूबर में हो सकता शुरू
4 जून 2025
नई दिल्ली । देश में जनगणना और जातीय गणना प्रक्रिया को डिजिटल तरीके से पूरा करने के लिए 30 लाख से अधिक कर्मियों की जरूरत पड़ सकती है। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि जनगणना में शामिल कर्मचारियों का विशेष प्रशिक्षण इसी साल अक्तूबर में शुरू हो सकता है। जानकारों की मानें तो जनगणना के आंकड़े टैबलेट के जरिए एकत्र किए जाएंगे। इन टैबलेट के जियो फेंसिंग से जोड़ा जाएगा। जियो फेंसिंग के जरिए आंकड़ा तभी भरा जा सकता है जब जनगणना अधिकारी उक्त स्थान पर मौजूद होगा।
खुद जानकारी भरने का मौका : इस बार की जनगणना में नागरिकों को अपनी जानकारी खुद भरने का मौका मिल सकता है। कई नई चीजें और सवाल शामिल हो सकते हैं। कई नए विकल्पों और सवालों को इसमें जोड़ा जा सकता है। पहली बार संप्रदाय को लेकर भी सवाल पूछे जाने की संभावना है। युवाओं को लेकर कुछ नए सवाल भी पूछे जा सकते हैं। वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार 121.019 करोड़ से अधिक आबादी में 62.372 पुरुष जबकि 58.646 करोड़ महिलाएं थीं। देश में 1931 में जातीय जनगणना हुई तो कुल जातियों की संख्या 4,147 थी। 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे। वर्ष 1872 से 1931 तक जितनी बार जनगणना हुई।
जातीय गणना से परहेज
वर्ष 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 में जो भी जनगणना हुई, उसमें सरकार ने जातीय गणना से दूरी रखी थी। वर्ष 2011 की जनगणना में पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए गए, लेकिन यह आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया।
चार पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख व जम्मू-कश्मीर में अगले साल अक्तूबर में शुरू होगी प्रक्रिया
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जाति गणना कराने की तिथियों की घोषणा कर दी है। जनगणना-2027 दो चरणों में होगी। पहले चरण में चार पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख में एक अक्तूबर, 2026 से इसकी शुरुआत होगी। दूसरे चरण में एक मार्च, 2027 से देश के अन्य भागों में प्रक्रिया शुरू होगी। इसी 16 जून को जनगणना की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। पूरी प्रक्रिया तीन साल में पूरी होने की उम्मीद है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, जनगणना के दौरान आर्थिक स्थिति से जुड़े आंकड़ों के साथ हर धर्म व वर्ग की जातियों का आंकड़ा भी एकत्र किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि देश में किन जातियों की संख्या कितनी है। इससे पहले, अंतिम बार 1931 में जाति गणना हुई थी। हालांकि, तब सिर्फ हिंदू जातियों का आंकड़ा जुटाया गया था। सूत्रों का कहना है, इस बार धर्म परिवर्तन से जुड़े आंकड़े भी जुटाने की तैयारी है।
2021 में कोरोना महामारी के कारण टाल दी गई थी जनगणना
जनगणना निर्धारित समय से पांच साल बाद कराई जा रही है। नियमानुसार जनगणना 2021 में होनी थी, पर कोरोना महामारी के चलते स्थगित करना पड़ा था। 1931 के बाद हर दस साल बाद जनगणना कराई जाती रही है। 2021 में भी दो चरणों में जनगणना कराई जाने वाली थी, जिसका पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में होना था।
2011 में भी दो चरणों हुई थी जनगणना
अंतिम जनगणना 2011 में दो चरणों में कराई गई थी, जिसमें जनसंख्या करीब 121 करोड़ दर्ज की गई थी। पहले चरण में, एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2010 तक मकान सूचीकरण किया था और दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी, 2011 तक जनगणना कराई गई थी।
आजादी के बाद पहली बार जाति गणना
आजादी के बाद पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना होगी। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि जातीय जनगणना लंबे अरसे से सियासी विमर्श का केंद्र बनी हुई है। कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के साथ भाजपा के सहयोगी भी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे। असर : यह गिनती सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों, खासतौर से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को प्रभावित कर सकती है। आंकड़े आने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर सियासी संग्राम शुरू हो सकता है। डिजिटल तकनीक का होगा उपयोग यह जनगणना बड़े पैमाने पर डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी। पर्यवेक्षक मोबाइल एप और टैबलेट्स का उपयोग करेंगे, जिससे डाटा संग्रहण अधिक सटीक और तेज होगा।
33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे
जनगणना के दौरान सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े करीब 33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाने की संभावना है। हालांकि, सही स्थिति अधिसूचना जारी होने के बाद ही सामने आएगी। जनगणना 2011 भी दो चरणों में की गई थी। उस समय भी जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल के बर्फ से ढके असमकालिक क्षेत्रों यह पहले हुई थी।
जातियों का बड़ा आंकड़ा आ सकता है सामने
साल 2011 की जनगणना में भी जाति व उपजातियों का सर्वेक्षण करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, इसके आंकड़ों ने सबको हतप्रभ कर दिया था। दरअसल, तब देश में करीब 38 लाख जातियों व उपजातियों का आंकड़ा आने से अजीब-सी स्थिति बन गई। माना रहा है कि इस बार भी गणना में जातियों की ऐसी ही संख्या सामने आ सकती है। गौरतलब है कि 1931 की गणना में ओबीसी की संख्या 52 फीसदी दर्ज की गई थी। इसी आधार पर मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुरूप 27 फीसदी आरक्षण दिया गया था।