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Thursday, June 5, 2025

देश में एक मार्च 2027 से पहली बार होगी जाति आधारित दो चरण में जनगणना, 16 जून को अधिसूचना होगी जारी, तीन साल में प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद

तैयारीः जनगणना प्रक्रिया को पूरा करने में लगेंगे 30 लाख कर्मचारी,  कर्मचारियों का विशेष प्रशिक्षण अक्तूबर में हो सकता शुरू


नई दिल्ली । देश में जनगणना और जातीय गणना प्रक्रिया को डिजिटल तरीके से पूरा करने के लिए 30 लाख से अधिक कर्मियों की जरूरत पड़ सकती है। मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि जनगणना में शामिल कर्मचारियों का विशेष प्रशिक्षण इसी साल अक्तूबर में शुरू हो सकता है। जानकारों की मानें तो जनगणना के आंकड़े टैबलेट के जरिए एकत्र किए जाएंगे। इन टैबलेट के जियो फेंसिंग से जोड़ा जाएगा। जियो फेंसिंग के जरिए आंकड़ा तभी भरा जा सकता है जब जनगणना अधिकारी उक्त स्थान पर मौजूद होगा।


खुद जानकारी भरने का मौका : इस बार की जनगणना में नागरिकों को अपनी जानकारी खुद भरने का मौका मिल सकता है। कई नई चीजें और सवाल शामिल हो सकते हैं। कई नए विकल्पों और सवालों को इसमें जोड़ा जा सकता है। पहली बार संप्रदाय को लेकर भी सवाल पूछे जाने की संभावना है। युवाओं को लेकर कुछ नए सवाल भी पूछे जा सकते हैं। वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार 121.019 करोड़ से अधिक आबादी में 62.372 पुरुष जबकि 58.646 करोड़ महिलाएं थीं। देश में 1931 में जातीय जनगणना हुई तो कुल जातियों की संख्या 4,147 थी। 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे। वर्ष 1872 से 1931 तक जितनी बार जनगणना हुई।

जातीय गणना से परहेज
वर्ष 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 में जो भी जनगणना हुई, उसमें सरकार ने जातीय गणना से दूरी रखी थी। वर्ष 2011 की जनगणना में पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी एकत्र किए गए, लेकिन यह आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया।



देश में एक मार्च 2027 से पहली बार होगी जाति आधारित
दो चरण में जनगणना,  16 जून को अधिसूचना होगी जारी, तीन साल में प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद

चार पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख व जम्मू-कश्मीर में अगले साल अक्तूबर में शुरू होगी प्रक्रिया


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ जाति गणना कराने की तिथियों की घोषणा कर दी है। जनगणना-2027 दो चरणों में होगी। पहले चरण में चार पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख में एक अक्तूबर, 2026 से इसकी शुरुआत होगी। दूसरे चरण में एक मार्च, 2027 से देश के अन्य भागों में प्रक्रिया शुरू होगी। इसी 16 जून को जनगणना की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। पूरी प्रक्रिया तीन साल में पूरी होने की उम्मीद है।


गृह मंत्रालय के मुताबिक, जनगणना के दौरान आर्थिक स्थिति से जुड़े आंकड़ों के साथ हर धर्म व वर्ग की जातियों का आंकड़ा भी एकत्र किया जाएगा। इससे पता चलेगा कि देश में किन जातियों की संख्या कितनी है। इससे पहले, अंतिम बार 1931 में जाति गणना हुई थी। हालांकि, तब सिर्फ हिंदू जातियों का आंकड़ा जुटाया गया था। सूत्रों का कहना है, इस बार धर्म परिवर्तन से जुड़े आंकड़े भी जुटाने की तैयारी है।


2021 में कोरोना महामारी के कारण टाल दी गई थी जनगणना

जनगणना निर्धारित समय से पांच साल बाद कराई जा रही है। नियमानुसार जनगणना 2021 में होनी थी, पर कोरोना महामारी के चलते स्थगित करना पड़ा था। 1931 के बाद हर दस साल बाद जनगणना कराई जाती रही है। 2021 में भी दो चरणों में जनगणना कराई जाने वाली थी, जिसका पहला चरण अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान और दूसरा चरण फरवरी 2021 में होना था।


2011 में भी दो चरणों हुई थी जनगणना

अंतिम जनगणना 2011 में दो चरणों में कराई गई थी, जिसमें जनसंख्या करीब 121 करोड़ दर्ज की गई थी। पहले चरण में, एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2010 तक मकान सूचीकरण किया था और दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी, 2011 तक जनगणना कराई गई थी।


आजादी के बाद पहली बार जाति गणना

आजादी के बाद पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना होगी। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि जातीय जनगणना लंबे अरसे से सियासी विमर्श का केंद्र बनी हुई है। कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों के साथ भाजपा के सहयोगी भी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे। असर : यह गिनती सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों, खासतौर से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को प्रभावित कर सकती है। आंकड़े आने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर सियासी संग्राम शुरू हो सकता है। डिजिटल तकनीक का होगा उपयोग यह जनगणना बड़े पैमाने पर डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी। पर्यवेक्षक मोबाइल एप और टैबलेट्स का उपयोग करेंगे, जिससे डाटा संग्रहण अधिक सटीक और तेज होगा।


33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे

जनगणना के दौरान सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों से जुड़े करीब 33 किस्म के आंकड़े एकत्र किए जाने की संभावना है। हालांकि, सही स्थिति अधिसूचना जारी होने के बाद ही सामने आएगी। जनगणना 2011 भी दो चरणों में की गई थी। उस समय भी जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल के बर्फ से ढके असमकालिक क्षेत्रों यह पहले हुई थी।


जातियों का बड़ा आंकड़ा आ सकता है सामने

साल 2011 की जनगणना में भी जाति व उपजातियों का सर्वेक्षण करने की कोशिश की गई थी। हालांकि, इसके आंकड़ों ने सबको हतप्रभ कर दिया था। दरअसल, तब देश में करीब 38 लाख जातियों व उपजातियों का आंकड़ा आने से अजीब-सी स्थिति बन गई। माना रहा है कि इस बार भी गणना में जातियों की ऐसी ही संख्या सामने आ सकती है। गौरतलब है कि 1931 की गणना में ओबीसी की संख्या 52 फीसदी दर्ज की गई थी। इसी आधार पर मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुरूप 27 फीसदी आरक्षण दिया गया था।

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