संविदाकर्मी के नियमितीकरण के लिए लगातार काम करना आवश्यकः हाईकोर्ट
माली का काम कर रहे संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को राज्य ने दी थी चुनौती
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी सेवाओं में नियमितीकरण की अवधारणा तभी लागू होती है, जब संविदाकर्मी ने काफी लंबे समय तक लगातार काम किया हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर नियोक्ता की ओर से कर्मचारी को काम करने से रोका जाता है तो अनुपस्थित नहीं माना जाएगा।
कोर्ट ने इस टिप्पणी संग एकल पीठ के आदेश को रद्द कर राज्य की ओर से दाखिल विशेष अपील स्वीकार कर ली। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने दिया। मामले में प्रतिवादी याचिकाकर्ता महावीर सिंह और पांच अन्य कई साल तक आगरा के सरकारी उद्यान में माली के रूप में कार्यरत थे। कुछ दिन नियोक्ता की ओर से काम करने से मना करने को छोड़कर लगातार काम कर रहे थे।
उन्होंने उत्तर प्रदेश नियमितीकरण नियमावली 2016 के तहत नियमितीकरण का दावा किया था। एकलपीठ ने याचियों के पक्ष में आदेश पारित किया। राज्य ने एकलपीठ के फैसले को विशेष अपील में चुनौती दी थी।
खंडपीठ ने कहा, नियमितीकरण नियमावली-2016 के नियमों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी चयन समिति है, जिसे कर्मचारी के काम करने की अवधि पर ध्यान देना होता है। कोर्ट ने कहा कि अनुपस्थिति की अवधि याचिकाकर्ताओं की ओर से स्वैच्छिक कार्य के कारण थी या उन्हें राज्य अधिकारियों की ओर से काम करने से रोका गया था। इस पर विचार नहीं किया था।
ऐसे में कोर्ट ने विशेष अपील को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि नियमितीकरण के लिए प्रतिवादी-याचिकाकर्ताओं के दावे पर चयन समिति नए सिरे से विचार करे। इस दौरान याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि वे स्पष्ट कर सकें कि वो किन कारणों से अनुपस्थित रहे।