रिफंड में देरी से लेकर टैक्स नोटिस आने तक का खतरा
ITR Filing 2025: ITR फाइलिंग पोर्टल खुलते ही रिटर्न भरना सही नहीं होता। जल्दबाजी में गलती या अधूरी जानकारी से रिफंड में देरी या टैक्स नोटिस आ सकता है। आइए जानते हैं कि आपको कब तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए, क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की शुरुआती ITR यूटिलिटीज में अक्सर तकनीकी खामियां होती हैं।
ITR Filing 2025: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए सभी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म जारी कर दिए हैं। पहले ये फॉर्म अमूमन नया वित्त वर्ष शुरू होते ही जारी कर दिए जाते थे। लेकिन, इस बार अप्रैल के अंत में ही नोटिफाई किए गए हैं। हालांकि, अभी तक ITR फाइलिंग के लिए जरूरी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर या यूटिलिटीज जारी नहीं की हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि टैक्सपेयर्स को रिटर्न फाइल कब करना चाहिए? क्या उन्हें ITR फाइलिंग का पोर्टल खुलते ही रिटर्न फाइल कर देना चाहिए या कुछ समय तक इंतजार करना चाहिए? आइए इसका जवाब जानते हैं:
TDS सर्टिफिकेट मिलने की आखिरी तारीख 15 जून
इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, टैक्सपेयर्स को टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के सर्टिफिकेट, जैसे कि फॉर्म 16 और फॉर्म 16ए, अधिकतम 15 जून तक मिल जाने चाहिए। ये फॉर्म सैलरीड क्लास को उनके नियोक्ता जारी करते हैं।
साथ ही, किसी टैक्सपेयर्स ने वित्त वर्ष के अंतिम तीन महीने (जनवरी से मार्च 2025) में कोई आय अर्जित की है, जिस पर टीडीएस लागू होता है, तो उस आय के भुगतानकर्ता को 31 मई तक ई-टीडीएस रिटर्न दाखिल करना होता है। इसके बाद यह डेटा टैक्सपेयर्स के फॉर्म 26एएस में अपडेट होता है।
इस प्रक्रिया के पूरा होने और टीडीएस सर्टिफिकेट मिलने में समय लगता है, इसलिए जून के पहले सही और पूरी जानकारी मिल पाना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर आप पोर्टल खुलते ही आप ITR फाइल करने की कोशिश करेंगे, तो दिक्कत हो सकती है।
SFT और AIS की अपडेट भी जून तक
पिछले कुछ साल में आयकर नियमों में कई बदलाव हुए हैं। अब कई वित्तीय संस्थाओं को वित्त वर्ष में हुई बड़ी ट्रांजेक्शंस की रिपोर्टिंग करनी होती है। इसे स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस (SFT) कहा जाता है। ये रिपोर्टिंग मई 31 तक पूरी हो जाती है, लेकिन डेटा का प्रोसेसिंग और टैक्सपेयर्स के एनुअल इन्फॉर्मेशन सर्टिफिकेट (AIS) में अपडेट जून के दूसरे हफ्ते तक होता है।
यह फैक्टर भी बताता है कि जल्दबाजी में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से बचना चाहिए। इससे डिटेल में मिसमैच की आशंका बन जाती है।
जल्दी फाइलिंग में क्या जोखिम हैं?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जब शुरुआती ITR यूटिलिटीज जारी करता है, तो उसमें अक्सर तकनीकी खामियां होती हैं। इनमें गलत कैलकुलेशन, सिस्टम फेल या डेटा वैलिडेशन के मसले सामने आ सकते हैं।
साथ ही, अगर कोई टैक्सपेयर जून 15 से पहले ITR फाइल करता है, तो फॉर्म 26AS, फॉर्म 16/16ए और AIS में पूरी जानकारी न होने की वजह से गलत या अधूरी जानकारी रिपोर्ट हो सकती है। इससे बाद में संशोधित रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है, जो समय और प्रयास बढ़ाता है।
टैक्सपेयर को क्या करना चाहिए?
यह सुनिश्चित करें कि आपको टीडीएस सर्टिफिकेट 15 जून तक मिल जाए। फॉर्म 26AS और AIS की सही जानकारी के साथ ITR भरें। जल्दबाजी में फाइलिंग से बचें, ताकि टैक्स नोटिस, स्क्रूटनी या रिफंड में देरी जैसी दिक्कत न हो।
आम तौर पर टैक्सपेयर्स के लिए 15 जून के बाद ITR फाइल करना बेहतर होता है क्योंकि इस दौरान सभी वित्तीय डेटा अपडेट हो चुका होता है और फाइलिंग में गलती की आशंका नहीं रहती। इससे रिफंड मिलने में देरी नहीं होती और टैक्स विभाग से नोटिस आने का डर भी नहीं रहता।
कब जल्दी फाइल करना चाहिए रिटर्न?
अगर आपकी आय सिर्फ सैलरी, बैंक इंटरेस्ट या अन्य साधारण स्रोतों से है। साथ ही, फॉर्म 16 व फॉर्म 26AS पहले से उपलब्ध हैं, तो जल्दी रिटर्न फाइल कर सकते हैं। अगर आपके मामले में इनकम टैक्स रिफंड बनता है, तो जल्दी रिटर्न फाइल करना बेहतर हो सकता है। इससे जल्दी रिफंड मिल सकता है, जिससे कैश फ्लो सुधरता है। अगर आपको होम लोन, एजुकेशन लोन या वीजा के लिए ITR की जरूरत हो, तो जल्दी फाइलिंग आपके प्रोसेस को तेज कर सकती है। अगर आपकी इनकम, टैक्स डिटेल्स या डिक्लेयरेशन में पिछले साल की तुलना में कोई बदलाव नहीं हुआ है, तो जल्दी फाइल करना सुरक्षित रहता है।