हाईकोर्ट के सभी जज पूर्ण पेंशन के हकदार : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के पूर्व जजों के लिए एक रैंक एक पेंशन का दिया आदेश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पूर्व हाईकोर्ट जजों के लिए एक रैंक एक पेंशन का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि अतिरिक्त जजों समेत सभी हाईकोर्ट के जज पूर्ण पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ पाने के हकदार होंगे। हाईकोर्ट के जजों (इसमें अतिरिक्त न्यायाधीश भी शामिल) को प्रतिवर्ष 13.50 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाएगा। वहीं हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त सभी चीफ जस्टिस प्रतिवर्ष 15 लाख रुपये की पेंशन के हकदार होंगे।
सीजेआई जस्टिस बीआर गवई , जस्टिस एजी मसीह व जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, पेंशन लाभों में इस आधार पर वर्गीकरण करना कि जज बार या जिला न्यायपालिका से आते हैं, या वे स्थायी या अतिरिक्त न्यायाधीश हैं, भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि सभी को पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाएगा, भले ही उनकी नियुक्ति चाहें जब हुई हो और चाहे वे अतिरिक्त जज के रूप में सेवानिवृत्त हुए हों या बाद में स्थायी किए गए हों।
सीजेआई ने कहा कि नियुक्ति के समय या पदनाम के आधार पर जजों के बीच भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। मृतक अतिरिक्त हाईकोर्ट जजों के परिवार भी स्थायी न्यायाधीशों के परिवारों के समान पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायपालिका और हाईकोर्ट में सेवा अवधि को ध्यान में रखते हुए पेंशन के पुनर्निर्धारण के संबंध समेत अन्य याचिकाओं पर 28 जनवरी को फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाओं में हाईकोर्ट के जजों को पेंशन के भुगतान में कई आधारों पर असमानता का आरोप लगाया गया था।
वन रैंक वन पेंशन आदर्श होना चाहिए
सीजेआई ने 63 पन्नों के फैसले में कहा, सांविधानिक पद के लिए वन रैंक वन पेंशन आदर्श होना चाहिए। एक रैंक एक पेंशन के सिद्धांत के अनुसार हाईकोर्ट के सभी सेवानिवृत्त जजों को एक समान पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए। हम पाते हैं कि एक बार जब कोई जज हाईकोर्ट के न्यायाधीश का पद ग्रहण कर लेता है और सांविधानिक वर्ग में प्रवेश करता है, तो सिर्फ नियुक्ति की तिथि के आधार पर कोई विभेदकारी व्यवहार स्वीकार्य नहीं होगा।
पीठ ने कहा, बार से पदोन्नत होकर आए और जिला न्यायपालिका से आए जजों के बीच कोई अंतर नहीं होगा। नई पेंशन योजना के तहत आने वाले जजों को भी समान पेंशन मिलेगी।
पेंशन के भुगतान में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं.. पीठ ने कहा, यदि कोई व्यक्ति हाईकोर्ट जज के रूप में सेवानिवृत्त होता है, भले ही वह नई पेंशन योजना (एनपीएस) के लागू होने के बाद राज्य न्यायपालिका में नियुक्त हुआ हो, तो भी वह एचसीजे (उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन व सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954) के तहत सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) का लाभ पाने का हकदार होगा। कोर्ट ने कहा कि पेंशन भुगतान में किसी भी तरह के भेदभाव की वकालत नहीं की गई है।
एनपीएस के तहत ऐसे जजों व राज्य की ओर से क्रमशः योगदान की गई राशि को किस प्रकार लिया जाएगा। इस मुद्दे पर पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि राज्यों को ऐसे जजों की ओर से योगदान की गई राशि और उस पर अर्जित लाभांश को वापस करने का निर्देश देना न्यायसंगत होगा।