एलोपैथिक फार्मासिस्टों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का विकल्प देने संबंधी शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार की एकल पीठ ने एलोपैथिक फार्मासिस्टों की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका के मुताबिक शासनादेश का प्रस्तर दो उन कर्मचारियों को एनपीएस के दायरे में रखता है, जिनका विज्ञापन तो एनपीएस अधिसूचना 28 मार्च 2005 से पूर्व निकला पर नियुक्ति एक अप्रैल 2005 या उसके बाद होने पर उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, प्रस्तर चार में एनपीएस में शामिल कर्मचारियों को 1961 के यूपी रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स के तहत विकल्प देने की बात कही गई है।
याचियों के अधिवक्ता जगदीश सिंह बुंदेला ने दलील दी कि 1998 के विज्ञापन के तहत फार्मासिस्टों की भर्ती स्वास्थ्य विभाग की गलती से समय पर नहीं हो सकी। विभाग ने नियमों को दरकिनार कर जूनियर उम्मीदवारों को नियुक्त कर दिया, जो मेरिट लिस्ट में नहीं थे। वे आज ओल्ड पेंशन का लाभपा रहे हैं, जबकि वरिष्ठ अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए।
इसके बाद 2007 में प्रकाशित विज्ञापन भी लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरा और 2012 में जाकर नियुक्तियां हो सकीं। याचियों का आरोप है कि यदि विभाग फार्मासिस्ट सर्विस रूल्स 1980 के अंतर्गत बैचवाइज व ईयरवाइज मेरिट लिस्ट बनाता तो वे 1998 की भर्ती में ही चयनित हो जाते। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आते। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के विभिन्न आदेशों की अनदेखी कर 28 जून 2024 का शासनादेश जारी किया है।