नियुक्ति के समय नाबालिग होने के आधार पर सेवा समाप्त करना अनुचित – हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है नियुक्ति के समय कर्मचारी के नाबालिग होने के आधार पर बाद में सेवा समाप्त करना अनुचित है, क्योंकि यह तथ्य छिपाकर की गई अवैध नियुक्ति नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने वाराणसी वन मंडल के वन संरक्षक का 2003 का आदेश रद्द कर दिया, जिसके तहत 1991 में नियुक्त फॉरेस्टर का नियमितीकरण यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया था कि नियुक्ति के समय वह नाबालिग था।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने कहा कि यह मामला धोखाधड़ी या गलत जानकारी का नहीं है। याची अंजनी कुमार सिंह 1991 से सेवा में है। उसकी नियुक्ति में यदि कोई गलती हुई भी तो वह अनियमितता थी, अवैधता नहीं।
याची को 1991 में वन दरोगा के रूप में नियुक्त किया गया था। 26 मार्च 2002 को उसकी सेवाएं नियमित हुईं लेकिन सात मई 2003 को इसे आयु के आधार पर निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट ने 14 जुलाई 2003 को उसे अंतरिम राहत दी थी और याची तब से निरंतर सेवा में है।
कोर्ट ने कहा कि जब नियुक्ति के समय कोई छल या तथ्य छिपाने का मामला नहीं है तो इतने वर्षों बाद सेवा समाप्त करना अनुचित है। कोर्ट ने सात मई 2003 का आदेश रद्द कर व नियमितीकरण आदेश बहाल करते हुए याची को सभी कानूनी लाभ का हकदार माना।