सरकारी कर्मचारी के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का सत्यापन एक ही अफसर से कराएं, हाईकोर्ट ने दिया आदेश
कहा, चिकित्सा अधीक्षक या सीएमओ से सत्यापन कराएं
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक आदेश में कहा कि सरकारी कर्मचारी के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का सत्यापन और तकनीकी परीक्षण एक ही अफसर से कराएं। कोर्ट ने कहा कि बिलों का सत्यापन और परीक्षण या तो सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से कराएं, दोनों से नहीं। इस आदेश से सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान में राहत मिलेगी।
न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यह आदेश कर एवं निबंधन विभाग के लखनऊ निवासी सेवानिवृत्त कर्मचारी श्याम शंकर मिश्र की याचिका पर दिया। याचिका में याची के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों को चिकित्सा अधीक्षक के सत्यापन के बाद सीएमओ से भी सत्यापित करवाए जाने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी।
याची के अधिवक्ता अभिषेक मिश्र का कहना था कि चिकित्सा अधीक्षक द्वारा बिलों के सत्यापन और तकनीकी परीक्षण के बाद इन्हें सीएमओ को सत्यापन के लिए भेजा जाना कानूनी प्रावधानों के खिलाफ है। कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और याची को निर्धारित समय में चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों का भुगतान करने का निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिया है।