लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अस्थायी सेवा के जरिये नियमित किए गए सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों के नियमित होने से पहले उनके द्वारा की गई अस्थायी या वर्कचार्ज सेवा पेंशन के लिए अर्हता सेवा मानी जाएगी। यानी अस्थायी या वर्कचार्ज सेवा की गणना भी पेंशन के लिए की जाएगी। यह फैसला इन कर्मचारियों के पेंशन निर्धारण में निर्णायक होगा।
न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला जयराम शर्मा व अन्य कर्मचारियों द्वारा दाखिल 78 याचिकाओं पर दिया। इनमें 77 याचिकाओं में अस्थायी या वर्कचार्ज सेवा से नियमित हुए कर्मचारियों को नियमित होने से पहले की सेवा की पेंशन के लिए गणना न करने के सरकारी आदेशों को चुनौती दी गई थी। याचियों के अधिवक्ता ने सुप्रीमकोर्ट की नजीर देते हुए कहा कि ऐसे कर्मचारियों के नियमित होने से पहले की सेवा को पेंशन के लिए अर्हता सेवा मानी जानी चाहिए।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि याची कर्मचारी पेंशन के लिए अर्हता सेवा के दायरे में नहीं आते हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार के आदेशों को रद्द कर दिया। अदालत ने मामले में उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे कर्मचारियों के नियमित होने से पहले उनके द्वारा की गई अस्थायी या वर्कचार्ज सेवा पेंशन के लिए अर्हता सेवा मानी जाएगी। इस आदेश के साथ कोर्ट ने 77 याचिकाएं मंजूर कर लीं। एक याचिका में भिन्नता होने से कोर्ट ने इसे अगले सप्ताह सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।