उत्तर प्रदेश में टल सकता है विधानसभा व लोकसभा चुनाव की मतदाता सूचियों का विशेष पुनरीक्षण अभियान, अगले साल पंचायत चुनाव को देखते हुए इसकी प्रबल संभावना
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा व लोकसभा चुनाव की मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) टल सकता है। अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव को देखते हुए इसकी प्रबल संभावना है। माना जा रहा है कि पहले उन राज्यों में एसआईआर होगा, जहां वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव हैं।
चुनाव आयोग ने बिहार की तर्ज पर सभी राज्यों में एसआईआर कराने का फैसला किया है। कुछ समय पहले दिल्ली में हुई सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में इसकी विस्तृत जानकारी भी दी गई। उत्तर प्रदेश में करीब 15 करोड़ 42 लाख मतदाता हैं।
एसआईआर के तहत इन सभी मतदाताओं को एक गणना फॉर्म भरना होगा। साथ ही मान्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज या वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल अपने नाम का ब्योरा उपलब्ध कराना होगा। चुनाव आयोग की ओर से वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट वेबसाइट पर उपलब्ध करवाई जा रही है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल मार्च-अप्रैल में पंचायत चुनाव होने हैं। इस चुनाव से संबंधित मतदाता सूचियों को संशोधित करने का काम भी लगातार चल रहा है। स्थानीय निकाय चुनाव और लोकसभा व विधानसभा चुनाव में काम करने वाले बीएलओ आम तौर पर एक ही हैं। ऐसे में कहीं दोनों चुनावों की मतदाता सूचियों में कोई दोहराव या गड़बड़ न हो जाए, इसलिए उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यूपी में एसआईआर बाद में भी हो सकता है।
यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में है इसलिए माना जा रहा है कि एसआईआर के लिए आयोग की प्राथमिकता में वे राज्य रहेंगे, जहां 2026 में चुनाव होने हैं। यहां बता दें कि अगले साल असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे।
2003 के बाद वोटर बने हैं तो देना होगा प्रमाण
उत्तर प्रदेश में हर मतदाता को भरना होगा गणना फॉर्म, मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SiR) की तैयारियां पूरी, घर-घर जाएंगे BLO
एसआईआर की तैयारी पूरी चुनाव आयोग के कार्यक्रम जारी करने पर घर-घर जाएंगे बीएलओ
पूरी पड़ताल के बाद विधानसभा व लोकसभा चुनाव की अंतिम मतदाता सूची में शामिल होगा नाम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिहार की तरह मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसके तहत प्रदेश में हर मतदाता को गणना फॉर्म भरकर साइन करना होगा। चुनाव आयोग से तिथियां जारी होते ही यह गणना फॉर्म लेकर बीएलओ घर-घर जाएंगे।
इस संबंध में यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी संबंधित अधिकारियों को ट्रेनिंग दे दी है। एसआईआर के लिए वर्ष 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट ceouttarpradesh.nic.in पर अपलोड करने का काम चल रहा है। यह वो मतदाता सूची हैं, जिनका प्रयोग विधानसभा व लोकसभा चुनाव में होता है।
उसके बाद बीएलओ प्रि-प्रिंटेड (पहले से भरे) गणना फॉर्म दो प्रतियों में मतदाताओं को देंगे। इसमें से एक प्रति मतदाता के साइन करवाकर अपने पास रख लेंगे। अगर मतदाता का नाम वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट में है, तो वह सत्यापन के दौरान उसकी डिटेल बीएलओ को दे देगा। आयोग का प्रयास है कि बीएलओ खुद ही 2003 की वोटर लिस्ट की डिटेल निकालकर संबंधित मतदाताओं के गणना फॉर्म के साथ लगा दें, ताकि मतदाताओं को कोई असुविधा न हो।
2003 की मतदाता सूची से पुष्ट मतदाताओं के नाम फाइनल सूची मे शामिल कर लिए जाएंगे। जिन मतदाताओं के नाम 2003 की वोटर लिस्ट में नहीं है और उनका जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ है, उन्हें आयोग की ओर से मान्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज बीएलओ को देना होगा।
इसी तरह से तीसरी श्रेणी में वे मतदाता होंगे, जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है, उन्हें अपना कोई एक मान्य दस्तावेज और अपने माता या पिता में से किसी एक का मान्य दस्तावेज देना होगा। अगर इस अवधि में जन्म लेने वाले मतदाता के माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसका ब्योरा भी प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जाएगा।
चौथी श्रेणी में दो दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वाले मतदाता होंगे। उन्हें अपने और अपने माता-पिता दोनों का कोई एक मान्य दस्तावेज देना होगा। जन्म की अवधि की ये तिथियां नागरिकता संबंधी अधिनियम में समय-समय पर हुए संशोधनों को ध्यान में रखते हुए तय की गई हैं। यहां बता दें कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में करीब 15 करोड़ 42 लाख मतदाता हैं। माना जा रहा है कि करीब 70 प्रतिशत मतदाताओं का सत्यापन 2003 की मतदाता सूची के आधार पर हो जाएगा।