मृतक आश्रितों को उच्चतर समूह में नहीं मिलेगी नौकरी
लखनऊः अब मृतक आश्रितों को उच्चतर समूह में नियुक्ति नहीं दी जाएगी। सरकारी सेवक मृत्यु के समय जिस समूह में कार्यरत होंगे, उनके आश्रितों को उसी समूह में नौकरी दी जाएगी। कार्मिक विभाग ने मंगलवार को उप्र सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती की संशोधित नियमावली जारी कर दी है। अभी तक मृतक आश्रित की शैक्षिक योग्यता उच्च पद की होती थी तो उच्च पद की नौकरी मिल जाती थी। कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज की ओर से जारी
संशोधित नियमावली में स्पष्ट कर दिया गया है कि इसमें उप्र लोक सेवा आयोग की परिधि में जो पद आते हैं, उन्हें छोड़कर शेष पदों पर मृतक आश्रितों को नियुक्तियां दी जाएंगी। यानी अब मृत सरकारी सेवक के आश्रित को केवल समूह 'ग' व 'घ' में ही नियुक्ति दी जाएंगी। इनमें भी समूह 'ग' के ऐसे पद जो उप्र लोक सेवा आयोग की परिधि में आते हैं या जो पूर्व में इसकी परिधि में आते थे और बाद में उन्हें उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परिधि में रख दिया गया है, उनमें नियुक्ति नहीं मिलेगी।
मृत सरकारी सेवक के आश्रित को केवल समूह 'ग' व 'घ' में ही दी जाएगी नियुक्ति, मृतक आश्रित नियमावली में बदलाव को कैबिनेट की मंजूरी
समूह 'घ' कर्मियों के मृतक आश्रितों को अब उसी श्रेणी में मिलेगी नौकरी, कैबिनेट ने उप्र सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली 2025 को दी मंजूरी
लखनऊ। समूह घ में कर्मचारी की नौकरी के दौरान मौत होने पर उसके आश्रित को अब उसी श्रेणी में नौकरी दी जाएगी। अभी तक योग्यता के आधार पर इससे उच्च श्रेणी में नौकरी दे दी जाती थी।
शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके लिए उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती (14वां संशोधन) नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी गई है। इस नियमावली के नियम 5 (1) में इसका प्रावधान कर दिया गया है। इसके मुताबिक मृतक सरकारी सेवक जिस समूह में मृत्यु के समय कार्यरत था, उसके आश्रित को उस समूह से उच्चतर वर्ग में नौकरी नहीं दी जाएगी।
इसके अलावा मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित को केवल समूह 'ग' और समूह 'घ' के पदों पर ही नियुक्ति दी जाएगी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परिधि में आने वाले पदों या पूर्व में इसमें आने वाले या फिर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भर्ती होने वाले पदों पर आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल प्रेमलता बनाम राज्य सरकार व अन्य में 5 अक्तूबर 2021 में पारित आदेश के आधार पर यह फैसला किया गया है।