इलाज न दिया तो माना जाएगा कि योजना के तहत काम करने के इच्छुक नहीं
कई सरकारी अस्पताल भी योजना के तहत पंजीकृत
5500 से अधिक अस्पताल पंजीकृत हैं
लखनऊ । आयुष्मान योजना में पंजीकृत अस्पतालों को सरकारी कर्मियों को मुफ्त इलाज न देना महंगा पड़ेगा। इलाज न करने की पुष्टि होने पर अस्पतालों की संबद्धता खत्म करने जैसी कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत 5500 से अधिक अस्पताल पंजीकृत हैं। इनमें सरकारी अस्पताल भी शामिल हैं। इन्हीं अस्पतालों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस योजना के लाभार्थियों का भी मुफ्त इलाज करना है। मगर तमाम जगहों से शिकायत मिल रही है कि पंजीकृत अस्पताल ऐसा नहीं कर रहे हैं।
नोडल एजेंसी सांचीज ने स्पष्ट किया है कि अस्पताल इलाज से इंकार नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उनकी संबद्धता भी खत्म होगी। निर्धन परिवारों को सरकार ने हर साल पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा आयुष्मान योजना में दी है। वहीं सरकारी कर्मचारियों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है।
आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत अस्पतालों को ही सरकारी कर्मियों को भी स्टेट हेल्थ कार्ड के जरिए मुफ्त इलाज की सुविधा देनी है। मगर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से शिकायत मिल रही है कि पंजीकृत अस्पताल कर्मचारियों से इलाज के बदले भुगतान की मांग कर रहे हैं।
निजी अस्पतालों में स्टेट हेल्थ कार्डधारकों के लिए पांच लाख और सरकारी अस्पतालों में बिना किसी लिमिट के मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। सांचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अर्चना वर्मा ने कहा है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से संबद्ध सभी अस्पतालों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के पात्र लाभार्थियों को समय से कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करें। उन्होंने कहा है कि ऐसा न करने पर यह माना जाएगा कि संबंधित अस्पताल आयुष्मान योजना और पंडित दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस योजना के तहत कार्य करने के इच्छुक नहीं हैं।