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Monday, October 27, 2025

अपने बैंक अकाउंट में अब जोड़ सकेंगे 4 नॉमिनी, एक नवंबर से ग्राहकों को मिलेगी बड़ी सुविधा

बैंक खाते में चार नॉमिनी जुड़ने से उत्तराधिकार के विवाद कम होंगे


देश के करोड़ों बैंक ग्राहकों के लिए 1 नवंबर 2025 से राहत भरी व्यवस्था लागू होने जा रही है। अब खाताधारक अपने बैंक खाते में सिर्फ एक नहीं, बल्कि चार नॉमिनी बना सकेंगे। बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत आने वाले इस बदलाव का उद्देश्य बैंक खातों और जमा रकम को लेकर पारदर्शिता बढ़ाना, कानूनी विवादों को कम करना और परिवार को वित्तीय सुरक्षा देना है। यह नियम न सिर्फ बचत खातों पर बल्कि सवाधि जमा (एफडी) और अन्य जमा खातों पर भी लागू होगा।

पहले की व्यवस्था में किसी भी बैंक खाते में केवल एक नामांकित व्यक्ति रखने की अनुमति थी। यानी यदि किसी व्यक्ति का निधन हो जाता था, तो उसकी जमा राशि उसी एक व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर होती थी। लेकिन यह स्थिति कई बार परिवार के अंदर विवाद और भ्रम का कारण बनती थी। ऐसा भी होता था कि नामांकित व्यक्ति कानूनी वारिस न हो, जिससे बाकी परिवार के सदस्यों को अपने हिस्से का पैसा पाने के लिए महीनों तक अदालत या बैंक के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब इस नई व्यवस्था में खाताधारक स्वयं तय कर सकता है कि उसके निधन के बाद उसका पैसा किसे और कितने हिस्से में मिले।

इसलिए जरूरी था बदलाव
अब तक एक नॉमिनी की व्यवस्था में कई बार खाताधारक के कानूनी उत्तराधिकारियों में भ्रम और विवाद की स्थिति बन जाती थी। तकनीकी रूप से नामांकित व्यक्ति केवल खाते का संरक्षक (कस्टोडियन) होता है, वास्तविक अधिकार कानूनी उत्तराधिकारियों का ही होता है। कभी कभी नामांकित व्यक्ति परिवार का सदस्य नहीं होता और वह रकम पाने के खाताधारक बाद कानूनी वारिसों तक पैसा नहीं पहुंचाता। अब नए नियमों के तहत अपने कानूनी उत्तराधिकारियों को भी नामांकित व्यक्ति के रूप में शामिल कर सकते हैं।

ऑनलाइन अपडेट कर सकेंगे
इन नियमों से डिजिटल बैंकिंग को भी नई दिशा मिलेगी। सभी बैंक अपने ऑनलाइन पोर्टलों और मोबाइल ऐप्स में नामांकन अपडेट की सुविधा देंगे। ग्राहक अपने नेटबैंकिंग अकाउंट या शाखा में जाकर यह तय कर सकते हैं कि किसे कितना हिस्सा देना है। बैंक खातों में पहले से मौजूद नामांकन को भी नए नियमों के अनुरूप अपडेट किया जा सकेगा।

इन मामलों में होगा फायदा
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बदलाव का एक और बड़ा फायदा यह है कि इससे 'महिला और वरिष्ठ नागरिकों' की सुरक्षा मजबूत होगी। बहुत से मामलों में देखा गया है कि महिलाओं या बुजुर्गों के नाम पर जमा रकम या फिक्स्ड डिपॉजिट का दावा करना कठिन होता है, क्योंकि नामांकन स्पष्ट नहीं होता। अब अगर किसी व्यक्ति ने अपनी पत्नी, बच्चों या माता-पिता को बराबर या क्रमवार हिस्सेदारी दी है, तो भविष्य में किसी को परेशानी नहीं होगी।

परिवार को मिलेगी सुरक्षा
इस सुधार का सबसे बड़ा उद्देश्य ग्राहकों को सुविधा और परिवार को सुरक्षा देना है। हर साल हजारों खाताधारक ऐसे होते हैं जो अपने बैंक खाते में कोई नामांकित व्यक्ति नियुक्त नहीं करते। परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु के बाद वह रकम 'अनक्लेम्ड डिपॉज़िट' यानी विना दावे की राशि बन जाती है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार जून 2025 तक भारत के सार्वजनिक और निजी बैंकों में लगभग 67,003 करोड़ रुपये ऐसी जमा राशियों के रूप में पड़े हैं, जिन पर किसी ने दावा नहीं किया। यह राशि न सिर्फ बैंकों के लिए बोझ बनती है, बल्कि आम परिवारों की कठिनाई भी बढ़ाती है, क्योंकि उन्हें अपने ही पैसे तक पहुंचने में परेशानी होती है।


बैंक खाते में नामांकन प्रक्रिया यह होगी

1. समानांतर नामांकन
यह ऐसी व्यवस्था है, जिसमें खाताधारक एक ही समय में एक साथ कई नॉमिनी (अधिकतम चार) नियुक्त कर सकता है। खाताधारक स्वयं तय कर सकता है कि किसे कितना हिस्सा मिलेगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि कुल हिस्सा 100 प्रतिशत के बराबर हो।

तबः पहले की व्यवस्था में खाताधारक केवल एक ही व्यक्ति को नॉमिनी बना सकता है और खाते का पूरा हिस्सा उसे मिलता था। अब यदि परिवार में पति-पत्नी और दो बच्चे हैं और पति के माता-पिता है तो अब वह पत्नी और बच्चों के अलावा माता या पिता में से किसी एक को नॉमिनी बना सकता है। अगर वह चार लोगों के लिए समान हिस्सेदारी तय करता है तो उसकी मृत्यु के बाद चारों को 25-25% हिस्सा मिलेगा।

2. क्रमवार नामांकन
इस व्यवस्था में खाताधारक क्रमवार तरीके से चार नॉमिनी चुन सकता है। यानी खाताधारक की मृत्यु के बाद पहले नॉमिनी को ही रकम मिलेगी। यदि पहले नॉमिनी की भी मृत्यु हो जाती है, तब दूसरे नॉमिनी दावा कर पाएगा। इसी तरह यह क्रम आगे बढ़ता जाएगा।

तबः यह व्यवस्था लॉकर और सेफ कस्टडी के मामलों में दावा निपटान प्रक्रिया आसान कर देगी। अब तक एक ही नॉमिनी होने और उसकी मृत्यु की स्थिति में कानूनी पेचदगी काफी बढ़ जाती थी।

अब : मान लीजिए किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसने अपनी पत्नी को नामांकित किया था। लेकिन वह दावा नहीं कर पाती है और उसकी भी मृत्यु हो जाती है तो क्रमवार नार्माकन में उसके बच्चे आगे दावा कर सकते हैं।


मोबाइल नंबर और ईमेल दर्ज कराना अनिवार्य

नए नियमों के मुताबिक, बैंकों को अब नामांकित व्यक्तियों का मोबाइल फोन के साथ ही उसका ईमेल आईडी भी दर्ज करना अनिवार्य होगा। इस परिवर्तन से बैंक के खाताधारकों के रुपये की सुरक्षा के साथ ही किसी भी तरह की इमरजेंसी में त्वरित दावा निपटान को सुगमता पूर्वक लागू किया जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियमों से खाताधारक अपनी इच्छानुसार अपनी जमा पूंजी को परिवार के सदस्यों में बांट सकता है, जिससे परिवार में झगड़े या भ्रम की स्थिति कम होगी।




अपने बैंक अकाउंट में अब जोड़ सकेंगे 4 नॉमिनी, एक नवंबर से ग्राहकों को मिलेगी बड़ी सुविधा

संक्षेप: बैंक ग्राहकों के लिए नवंबर का महीना काफी अहम है। अब बैंकों के ग्राहक अपने अकाउंट में चार व्यक्तियों तक को नामित (नॉमिनी) कर सकेंगे। इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में क्लेम के सैटलमेंट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, समान और प्रभावी बनाना है।


बैंक ग्राहकों के लिए नवंबर का महीना काफी अहम है। अब बैंकों के ग्राहक अपने अकाउंट में चार व्यक्तियों तक को नामित (नॉमिनी) कर सकेंगे। इसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में क्लेम के सैटलमेंट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, समान और प्रभावी बनाना है। यह नई व्यवस्था एक नवंबर, 2025 से लागू हो जाएगी। वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत अकाउंट में व्यक्तियों के नामांकन से संबंधित प्रमुख प्रावधान अगले माह से प्रभाव में आएंगे। बता दें कि यह अधिनियम 15 अप्रैल, 2025 को अधिसूचित किया गया था। इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934; बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949; भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 सहित पांच कानूनों में कुल 19 संशोधन किए गए हैं।


क्या कहा वित्त मंत्रालय ने?
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इन संशोधनों के अनुरूप बैंक ग्राहक अपने खाते में एक साथ या क्रमवार ढंग से चार व्यक्तियों तक को नॉमिनी बना सकते हैं। इससे खाताधारक या उनके वैध उत्तराधिकारियों को क्लेम सैटलमेंट में सुविधा होगी। मंत्रालय ने कहा- अकाउंट नॉमिनेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए ग्राहक प्रत्येक नॉमिनी का हिस्सा या प्रतिशत भी निर्धारित कर सकेंगे, ताकि कुल हिस्सेदारी 100 प्रतिशत हो और किसी भी तरह के विवाद की गुंजाइश न रहे।


क्रमवार नामांकन की ही मंजूरी
बैंक में सुरक्षित रखी वस्तुओं और लॉकर के लिए केवल क्रमवार नामांकन की ही मंजूरी दी गई है। इसका मतलब है कि एक नामित व्यक्ति के निधन के बाद ही अगला नामित व्यक्ति उसका अधिकार प्राप्त करेगा। मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन प्रावधानों से बैंक जमाकर्ताओं को अपनी पसंद के हिसाब से नॉमिनी बनाने में लचीलापन मिलेगा। इसके साथ समूची बैंकिंग प्रणाली में दावों के निपटान में समानता, पारदर्शिता और दक्षता भी सुनिश्चित होगी।’’ बैंकिंग कंपनियां (नामांकन) नियम, 2025 भी आने वाले समय में अधिसूचित किए जाएंगे। इनमें नामांकन करने, निरस्त करने या बहु-नामांकन की प्रक्रिया और उसके लिए जरूरी कागजात का विवरण होगा।


ये भी हुए हैं बदलाव
सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। इसके तहत चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर अन्य निदेशकों के लिए अधिकतम कार्यकाल अब 10 वर्ष कर दिया गया है, जो पहले आठ वर्ष था। इसके अलावा, हालिया संशोधनों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब अघोषित या अप्राप्त शेयर, ब्याज और बॉन्ड भुगतान को निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित कर सकेंगे, जिससे उन्हें कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप लाया गया है। सरकार ने ‘महत्वपूर्ण हिस्सेदारी’ की सीमा को भी 1968 के बाद पहली बार संशोधित करते हुए पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया है।

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