लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति को लेकर सख्त रुख अपनाया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के महानिदेशक द्वारा 13 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के अनुसार अब प्रदेश के समस्त जिला चिकित्सालयों, महिला चिकित्सालयों, संयुक्त चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बायोमेट्रिक प्रणाली के माध्यम से दैनिक उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी नियंत्रक अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि उनके अधीनस्थ कार्यालयों और स्वास्थ्य इकाइयों में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों की हाजिरी नियमित रूप से बायोमेट्रिक सिस्टम के जरिए दर्ज हो। साथ ही, यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कर्मचारियों का मासिक वेतन बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही आहरित किया जाए, ताकि उपस्थिति में पारदर्शिता बनी रहे और अनियमितताओं पर रोक लग सके।
महानिदेशक द्वारा जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि शासन की मंशा के अनुरूप व्यवस्था लागू करते हुए सभी स्तरों पर निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। इस आदेश की प्रतिलिपि अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, निदेशक चिकित्सा उपचार तथा मंडलीय अपर निदेशकों को भी भेजी गई है, ताकि प्रदेश भर में एकरूपता के साथ इसे लागू किया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय को प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, बायोमेट्रिक उपस्थिति व्यवस्था लागू होने से अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की समयपालन व्यवस्था में सुधार आएगा और आम जनता को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ अधिक प्रभावी ढंग से मिल सकेगा।