यूपी में रेंटल एग्रीमेंट पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी तक कमी, घर-दुकान में कब्जे और मकान मालिक-किरायेदार के बीच के विवादों को खत्म करने के लिए यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला
लखनऊ। घर-दुकान में कब्जे और मकान मालिक-किरायेदार के बीच के विवादों को खत्म करने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। रेंट एग्रीमेंट पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी तक कमी की गई है। अब रेंट एग्रीमेंट के तहत महज 500 रुपये से 10 हजार रुपये तक स्टांप शुल्क देना होगा। इसका मकसद अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए सभी लोग किरायेदारी को कानूनी दायरा दें ताकि दोनों पक्षों का हित सुरक्षित रह सके।
स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने बताया कि कैबिनेट बैठक में प्रदेश में 10 वर्ष तक की अवधि के किरायेदारी/पट्टा विलेखों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री फीस में बड़े स्तर पर छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 के अनुसार एक वर्ष से अधिक अवधि वाले किरायेदारी विलेखों का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य है, जबकि व्यवहार में अधिकांश लीज या तो मौखिक होती हैं या रजिस्ट्री नहीं कराई जाती।
इसकी वजह रेंट या लीज एग्रीमेंट पर भी 5% स्टांप शुल्क था। इससे बचने के लिए लोग 11 महीने का एग्रीमेंट 10 या 100 रुपये के स्टांप पेपर पर कर लेते हैं, जिसकी कानूनी मान्यता नहीं है। इससे विभागीय जांचों में ऐसे मामलों में स्टाम्प वाद दर्ज होते हैं और कम स्टाम्प शुल्क की वसूली की जाती है। इस स्थिति को सुधारने तथा उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार ने छूट का राहतकारी कदम उठाया है।