दो नौकरियों में 60 दिनों का अंतर अब सर्विस ब्रेक नहीं, ईपीएफओ ने कर्मचारी बीमा योजना के नियम बदले, पीएफ में न्यूनतम बीमा राशि ₹50 हजार हुई
नौकरी बदलने के नियम ईपीएफओ ने सुधारे शनिवार, रविवार नहीं माने जाएंगे सर्विस ब्रेक
नई दिल्ली। ईपीएफओ ने कर्मचारियों के नौकरी बदलने और न्यूनतम बीमा राशि से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है। अब अगर दो नौकरियों के बीच 60 दिनों तक का भी अंतर है तो उसे भी कर्मचारी की सर्विस को लगातार माना जाएगा। अब यदि किसी ईपीएफओ सदस्य की मृत्यु आखिरी योगदान मिलने के 60 दिन के भीतर हो जाती है और वह कंपनी के रिकॉर्ड पर था तो उसके परिवार को बीमा योजना लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा नौकरी बदलने पर शनिवार, रविवार या राजपत्रित अवकाश को सर्विस में ब्रेक नहीं माना जाएगा।
अभी तक नियम था कि अगर कोई शुक्रवार को पुरानी कंपनी में अंतिम कार्य दिवस के तौर पर सेवा देता है और बीच में शनिवार, रविवार या राजपत्रित अवकाश के बाद नई कंपनी ज्वाइन करता है तो बीच की इस अवधि को सर्विस ब्रेक मान लिया जाता था। अगर इस अवधि में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी तो परिवार को एम्प्लॉजी डिपॉजिट लिंक्ड बीमा योजना का लाभ नहीं मिलता था।
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने बीमा राशि को लेकर भी बदलाव किया है। अगर किसी सदस्य ने मृत्यु से पहले 12 महीने लगातार काम नहीं किया था या जिसका पीएफ खाते में शेष राशि 50,000 रुपये से कम थी, उनके आश्रितों के लिए न्यूनतम बीमा लाभबढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है।
दरअसल, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की संज्ञान में ऐसे मामले आए थे, जिसमें देखा गया कि नौकरी बदलने के दौरान कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु हुई लेकिन सर्विस ब्रेक से जुड़े नियमों के चलते उनके नॉमिनी एवं आश्रितों को लाभ नहीं मिल पाया। ऐसे में श्रम मंत्रालय ने तय किया था कि जब कर्मचारी का ईपीएफओ में अंशदान कट रहा है तो बीमा से जुड़े लाभ का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए।
इसके लिए नियमों में बदलाव करने की घोषणा की थी, जिसके क्रम में अब ईपीएफओ ने नियमों में बदलाव का आदेश जारी किया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें बीमा योजना से जुड़े नियमों को आसान बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि कर्मचारियों के निधन के बाद उनके परिवार को मिलने वाले बीमा लाभ में अनावश्यक कठिनाइयाँ न आएं और छोटे-छोटे तकनीकी कारणों से दावे नकारे न जाएं।
समस्या क्या आ रही थी : पुराने नियमों में यह माना जाता था कि अगर किसी कर्मचारी के नौकरी छोड़ते। समय और नई नौकरी शुरू करने के बीच कभी-कभी शनिवार-रविवार या अन्य छुट्टियां थी, तो यह छोटी अवधि भी सेवा में 'ब्रेक' मानी जाती थी। इससे कई बार व्यक्ति की कुल सेवा अवधि लगातार सेवा में नहीं गिनी जाती थी और बीमा के दावे नामंजूर या राशि कम करके दिए जाते थे।
क्या है बीमा योजना
ईडीएलआई का लाभ नौकरी के दौरान मौत होने पर उसके परिवार को मिलता है। यदि सदस्य की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो एकमुश्त राशि दी जाती है। राशि का निर्धारण सदस्य के आखिरी प्राप्त वेतन और पीएफ खाते में शेष राशि के आधार पर होता है। यह बीमा राशि आम तौर पर ₹2.5 लाख से रसात लाख तक हो सकती है।