नए नियमों के साथ एकीकृत पेंशन योजना (UPS)को चुनने का 30 सितंबर तक एक और मौका
इस साल एक अप्रैल से लागू हुई केंद्रीय सरकार की नई एकीकृत पेशन योजना (यूपीएस) में बड़ा बदलाव किया गया है। अब यूपीएस में शामिल सभी केंद्रीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति और मृत्यु पर ग्रेच्युटी का लाभ भी मिलेगा। पहले इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी, जिसके चलते इसमें आवेदन बहुत कम आए थे। इसी के साथ अब सरकार ने कर्मचारियों के लिए इस योजना को अपनाने की अंतिम तिथि को भी बढ़ा दिया है। कर्मचारी अब 30 सितंबर तक यूपीएस के लिए आवेदन कर सकते हैं। पहले अंतिम तिथि 30 जून थी। आइए जानते हैं ग्रेच्युटी के नियम में क्या बदलाव हुआ है और कैसे आवेदन किया जा सकता है....
25 लाख तक ग्रैच्युटी मिलेगी
सरकार ने यूपीएस में सेवानिवृत्ति एवं मृत्यु पर ग्रेच्युटी का लाभ जोड़कर इसे अपनाने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। नया आदेश किसी कर्मचारी को यह चुनने का विकल्प देता है कि यदि सेवाकाल में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसे फिर से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के दायरे में ले लिया जाए। यही नहीं, सेवा के दौरान यदि कर्मचारी को अक्षमता या विकलांगता के कारण सरकारी सेवा से हटाया वा बर्खास्त किया जाता है तो इस इस स्थिति में भी ओपीएस के तहत लाभमिलने वाले लाभ लागू होंगे। यह आदेश एनपीएस और यूपीएस पेंशनभोगियों के बीच समानता लाता है और वे 25 लाख रुपये की गैच्युटी के लिए भी पात्र हंगि। कार्मिक मंत्रालय के पेंशन और पेंशनभोगी विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है।
पहले यहां फंसा हुआ था पेंच
अभी तक यूपीएस का विकल्प चयन करने के बाद अगर किसी कर्मचारीक कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से पहले मृत्यु या विकलांगता हो जाती है तो उस स्थिति में कुछ भी स्पष्ट नहीं था। कर्मचारी असमंजस में थे कि उन्हें किस प्रकार की पेंशन या फैमिली पेंशन मिलेगी। कर्मचारी संगठनों ने इस पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। अब सरकार ने यूपीएस में सेवाकाल के दौरान मृत्यु या विकलांगता होने के मामले में एनपीएस की तरह ही पुरानी पेंशन का विकल्प जारी कर दिया है। साथ ही ग्रेच्युटी का प्रावधान कर दिया है।
एनपीएस में था यह प्रावधान
विभाग ने एनपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों के निवमन के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस कार्यान्वयन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। इसके नियम 10 में एनपीएस में शामिल कर्मचारी को सेवा के दौरान मृत्यु या अमान्यता या विकलांगता के आधार पर सेवामुक्ति की स्थिति में एनपीएस या ओपीएस के तहत लाभ पाने के लिए विकल्प का प्रयोग करने का प्रावधान है।
अब अधिक कर्मचारी अपनाएंगे
में कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यूपीएस में मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी को शामिल करने से कर्मचारियों की सभी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। पाले स्थिति स्पष्ट न होने से यूपीएस को लेकर कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका था। कर्मचारी इस योजना शामिल नहीं होना चाहते थे। यही कारण है कि 30 लाख एनपीएस कर्मियों में से केवल 50 हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया था। नए आदेश और इसे चुनने की अंतिम तिथि बढ़ने से उम्मीद है कि कर्मचारियों का रुझान इस योजना के और बढ़ेगा और अधिक संख्या में कर्मी अब आवेदन करेंगे।
यूपीएस से कौन जुड़ सकते हैं
नियमों के मुताविक, जो 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए वर्तमान कर्मचारी, जिन्होंने राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) को चुना है, केवल उन्हें यूपीएस से जुड़ने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही 1 अप्रैल 2025 को और इसके बाद सेवा में शामिल होने वाले नए कर्मचारी इस पेंशन योजना से जुड़ सकते हैं। इसके अलावा एनपीएस 95 अपनाने वाले जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं। वहीं, कर्मचारी को सेवा से हटाए जाने गा बर्खास्त किए जाने या इस्तीफे के मामले में यूपीएस या सुनिश्चित भुगतान विकल्प उपलब्ध नहीं होगा।
सेवानिवृत्ति कर्मियों के लिए टॉप-अप प्रक्रिया
इसके अलावा एनपीएस अपनाने वाले जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्ति हो चुके हैं, वे भी इसे अपना सकते हैं। ऐसे कर्मचारियों को एनपीएस फंड की राशि का समायोजन करने के बाद पैशन मिलेगी। अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआरडीए ऐसे कर्मियों के लिए टॉप-अप राशि उपलब्ध कराने के लिए नई व्यवस्था लागू करेगा।
कोई एक पेंशन योजना ही चुन सकेंगे
सरकार ने वर्तमान और नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस दोनों से सेकिसी एक को चुनने के विकल्प खुले रखे हैं। नियमों में स्पष्ट किया गया है कि कर्मचारियों को यह विकल्प मिलेगा कि वे एनपीएस के तहत यूपीएस का विकल्प चुनें। याविना यूपीएस विकल्प के एनपीएस को जारी रखें। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकेगा। निवेश पैटर्न चुनने का विकल्प मिलेगा
यूपीएस का प्रबंधन पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा किया जाएगा। यूपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर निवेश पैटर्न चुनने का विकल्प भी मिलेगा। यानी वे अपने व्यक्तिगत जमा कोष को पीएफआरडी द्वारा निधारित किसी निवेश योजना में लगा सकते हैं। इसमें होने वाला लाभसीधे कर्मचारी को मिलेगा। यदि कर्मचारी कोई निवेश योजना नहीं चुनता है तो वह डिफाल्ट पैटर्न में खुद-व-खुद चला जाएगा। इसका मतलब यह है कि इस स्थिति में पीएफडी आरडी द्वारा निर्धारित निवेश योजनाओं में सदस्य के जमा को निवेशित किया जाएगा।
आंशिक निकासी कर सकेंगे
इसके साथ ही यूपीएस में शामिल होने की तारीख से तीन साल पूरे होने के बाद सदस्य अपने व्यक्तिगत कोष से 25 फीसदी तक रकम निकाल सकते हैं। पूरी योजना के दौरान अधिकतम तीन बार निकासी की जा सकती है। यदि एनपीएस के तहत पहले निकासी की गई हो तो उसे भी इसमें गिना जाएगा। निकासी के लिए कुछ शर्ते लागू होंगी, जिन्हें सदस्नों को पूरा करना होगा।
ऐसे हो सकते हैं शामिल
वर्तमान कर्मचारी: 1 जनवरी 2004 के चाद सरकारी सेवा में शामिल मौजूदा कर्मचारी, जिन्होंने एनपीएस को चुना है, वे यूपीएस को चुन सकते हैं। उन्हें फॉर्म ए2 भरना होगा।
नए कर्मचारी 1 अप्रैल 2025 को या इसके बाद सेवा में शामिल होने वाले नए कर्मचारी भी इस विकल्प को चुन सकते हैं। उन्हें फॉर्म ए। भरना होगा।
सेवानिवृत्त कर्मी: जो कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं और जो एनपीएस से जुड़े थे, वे भी यूपीएस में शामिल हो सकते हैं। उन्हें केवाईसी दस्तावेजों के साथ फॉर्म बी2 जमा करना होगा।
कर्मचारी की मृत्यु होने पर : कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में, कानूनी रूप से विवाहित पति या पत्नी को केवाईसी दस्तावेजों के साथ फॉर्म बी6 प्रस्तुत करना होगा।
वीआरएस मामले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने पर 25 साल की सेवा का प्रावधान लागू होगा। इसका मतलब यह है कि ऐसे कर्मचारियों को 60 साल की उम्र पूरी होने का तक इंतजार करना होगा।
ऑफलाइन आवेदन का तरीका
पात्र कर्मचारी को अपने ऑफिस (जैसे डीडीओ या पीएओ) या संबंधित नोडल कार्यालय में प्रक्रिया से जुड़ा उचित फॉर्म जमा करना होगा।
डीडीओ को कर्मचारी के सेवा रिकॉर्ड के अनुसार रोजगार विवरण की जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि फॉर्म ठीक से भरा गया है और ग्राहक द्वारा उस पर विधिवत हस्ताक्षर किए गए हैं।
यदि कर्मचारी यूपीएस में स्थानांतरण के लिए पात्र नहीं है, गलत फॉर्म भरा गया है या दिए गए दस्तावेज पर्याप्त नहीं है तो डीडीओ को फॉर्म अस्वीकार कर सकता है।
यदि विवरण सही है और फॉर्म ठीक से भरा गया है तो डीडीओ प्राप्त फॉर्म के आधार पर स्थानांतरण अनुरोध शुरू करेगा। वह सीआरए ट्रांजैक्शन वेबसाइट से फॉर्म और अन्य दस्तावेजों को अपलोड करेगा और प्रक्रिया पूरी करेगा।
ये भी शर्ते लागू
पेंशन के लिए कम से कम 10 साल की सेवा होना जरूरी है।
कर्मचारियों को एनपीएस की तर्ज पर यहां भी मूल वेतन से 10% का अंशदान करना होगा।
सरकार 18.5 प्रतिशत योगदान करेगी। यानी इस योजना में कर्मचारी और सरकार का कुल योगदान 28.5 फीसदी होगा।
इस योजना में प्रति माह 10,000 रुपये की न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी।
जो कर्मवारी पद से इस्तीफा देते हैं, या सेवा से हटाएं अथवा बर्खास्त किए जाते हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा।
कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 % राशि बतौर पेंशन दी जाएगी।
अगर कर्मचारी ने 25 वर्षों की सेवा दी है तो उसके अंतिम कार्य वर्ष के 12 महीनों के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत राशि बतौर पेंशन दी जाएगी।
मृत्यु के मामले में, परिवार को 60% प्रतिशत रकम फैमिली पेंशन के रूप में दी जाएगी।