प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एनपीए खातों के आधार पर किसी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों को रोकना अवैध है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने गाजियाबाद के राकेश कुमार त्यागी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
राकेश सहकारी बैंक में सीनियर ब्रांच मैनेजर के पद से 31 दिसंबर 2022 को सेवानिवृत्त हुए थे। बैंक ने कथित तौर पर उनकी ओर से स्वीकृत किए गए कुछ ऋणों के एनपीए में बदल जाने के कारण उनके सेवानिवृत्ति लाभों से 19,25,500 रुपये की राशि रोक ली थी। बैंक का आरोप था कि ऋण वितरण में उनकी लापरवाही के चलते लोन खाते एनपीए हुए।
राकेश ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनके वकील ने दलील दी कि अनुशासनिक कार्यवाही किए बिना या आपराधिक आरोप साबित हुए बिना उनके सेवानिवृत्ति लाभों को रोका नहीं जा सकता। साथ ही यह भी दलील दी कि याची का सेवाकाल बेदाग रहा है।
कोर्ट ने कहा, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी को केवल तभी जब्त किया जा सकता है, जब कर्मचारी की सेवाएं किसी दोषी आचरण के लिए समाप्त कर दी गई हों। क्योंकि, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अनुशासनिक कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी और न ही उसे किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। इसलिए उसकी ग्रेच्युटी को रोकना स्पष्ट रूप से अवैध था।