लखनऊ। डिजिटल और ऑनलाइन कार्य करने की दक्षता व प्रशिक्षण हासिल में बिहार, यूपी से आगे निकल गया है। बिहार ने पूरे देश में झंडे गाड़े हैं। मिशन कर्मयोगी योजना के आंकड़ों से इसका खुलासा हुआ है। बिहार इसमें पूरे देश में पहले स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है। प्रमुख सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक ने इस सम्बंध में दो जून 2025 को बैठक कर इसका डेटा जारी किया।
बिहार में इस योजना के तहत 28 मई तक कुल 13,71,134 कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए चिन्हित किया गया। इनमें से 9,67,886 कर्मियों का डिजिटल प्रशिक्षण व कोर्स पूरा करने के लिए नामांकन हुआ है। इनमें से बिहार के 6,43,784 कर्मचारियों ने ट्रेनिंग पूरी कर ली है। काम काज भी शुरू कर दिया है। इसके मुकाबले उत्तर प्रदेश में स्थिति चिंताजनक है। यहां 28 मई तक कुल 9,14,845 अधिकारी-कर्मचारी पंजीकृत हुए। इनमें से सिर्फ 1,30,936 कर्मियों का कोर्स के लिए पंजीकरण हुआ। इसमें से भी उक्त तिथि तक महज 74,096 की ही ट्रेनिंग पूरी हुई। यानी बिहार की तुलना में यूपी के कर्मचारी अभी मिशन कर्मयोगी के तहत डिजिटल कौशल प्रशिक्षण में काफी पीछे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 मई 2025 को दिल्ली में मिशन कर्मयोगी के बारे में बैठक की थी।
कर्मियों को किया जा रहा डिजिटल दक्ष
मिशन कर्मयोगी का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों कर्मचारियों को पारंपरिक कार्य प्रणाली से आगे ले जाकर डिजिटल माध्यमों पर दक्ष बनाना है। इसके अंतर्गत उन्हें ई-ऑफिस, ई-गवर्नेस, ऑनलाइन फाइल निपटान, डिजिटल डाटा मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के जरिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए केंद्र की ओर से कर्मयोगी प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है, जहां पर विभागीय कर्मियों को उनके कार्य क्षेत्र के अनुसार कोर्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं
यूपी में सिर्फ 14% नामांकन
मिशन कर्मयोगी के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में लगभग 70 प्रतिशत कर्मियों का नामांकन पूरा हो चुका है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत महज 14 के आसपास है। यूपी में डिजिटल दक्षता के मामले में अभी बहुत काम होना बाकी है।