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Monday, June 2, 2025

वेतनभोगी और छोटे करदाता आसानी से रिटर्न भर पाएंगे, जानिए! क्या है एक्सेल यूटिलिटी टूल?

वेतनभोगी और छोटे करदाता आसानी से रिटर्न भर पाएंगे, जानिए!  क्या है एक्सेल यूटिलिटी टूल?


आयकर विभाग ने वेतनभोगी और छोटे करदाताओं की मदद के लिए एक नया एक्सेल टूल जारी किया है। यह आईटीआर-1 और आईटीआर-4 फॉर्म के लिए है। इस टूल का इस्तेमाल कर करदाता आसानी से खुद ही आईटीआर फॉर्म दाखिल कर सकते हैं। इसकी विशेषता यह है कि एक्सेल-आधारित यह टूल करदाताओं को ऑफलाइन मोड में आईटीआर फॉर्म भरने और जमा करने की सुविधा देता है। यह उनके लिए ज्यादा कारगर है, जिन्हें ऑनलाइन माध्यम से फॉर्म भरने में दिक्कत आती है।


❓ क्या है एक्सेल यूटिलिटी टूल: यह एक ऑफलाइन सॉफ्टवेयर टूल है, जो माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल पर आधारित होता है। इसे आयकर विभाग खुद जारी करता है ताकि करदाता बिना इंटरनेट के भी रिटर्न फॉर्म भर सकें। यह टूल विशेष रूप से उन करदाताओं के लिए उपयोगी है, जो ऑनलाइन की तुलना में ऑफलाइन तरीके से काम करना पसंद करते हैं, या जिनके पास इंटरनेट कनेक्शन की सीमित उपलब्धता है।

इस टूल में आप करदाता जानकारी भरते हैं और यह एक JSON फाइल बनाकर देता है, जिसे करदाता बाद में पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। इसी प्रारूप में आईटीआर को पोर्टल पर अपलोड करना होता है। इस टूल का फायदा यह है कि अगर इंटरनेट धीमा है या करदाता ऑनलाइन फॉर्म भरने में सहज नहीं हैं, तो वह पहले आराम से ऑफलाइन रिटर्न तैयार कर सकते हैं और फिर जब भी नेट मिले तो अपलोड कर सकते हैं।

यह टूल पहले से भरे हुए डाटा (प्री-फिल्ड डेटा) को उपलब्ध कराने की सुविधा भी प्रदान करता है, जो ई-फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। इस सुविधा से समय की बचत होती है और जानकारियां भरते वक्त त्रुटियों की गुंजाइश लगभग कम हो जाती है।


क्यों है यह जरूरी❓
आयकर विभाग के मुताबिक, यह कदम करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उठाया गया है। यह टूल कर गणना में गड़बड़ी किए बिना रिटर्न तैयार करने में मदद सकता है। जो करदाता आईटीआर-1 (सहज) या आईटीआर -4 (सुगम) के लिए पात्र हैं, वे इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।


आखिरी तारीख भी बढ़ी : आयकर विभाग ने आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख बढ़ा दी है। विभाग ने इसे 31 जुलाई, 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया है। ऐसे में रिटर्न फाइल करने के लिए 45 दिन का अधिक समय मिलेगा।


इसकी विशेषताएं

1. ऑफलाइन रिटर्न भरना यह टूल करदाताओं को ऑफलाइन मोड में अपने रिटर्न की जानकारी भरने की सुविधा देता है।

2. प्री-फिल्ड डाटा डालना टूल में पहले से भरे हुए JSON डेटा को उपलब्ध कराने की सुविधा होती है, जिसमें करदाता का पैन, आधार और अन्य विवरण शामिल होते है।

3. सत्यापन और त्रुटि जांच टूल यह सुनिश्चित करता है कि भरे गए डाटा में किसी तरह की त्रुटि न हो। अगर आईटीआर फॉर्म भरते वक्त कुछ गड़बड़ी होती है तो टूल बताएगा कि कहां गलती हुई है।

4. JSON फाइल बनाना फॉर्म भरने के बाद, टूल स्वचालित रूप से एक JSON फाइल तैयार करता है, जिसे ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड करना होता है। यह प्रक्रिया रिटर्न दाखिल करने को सरल बनाती है।

5. कई भाषाओं में उपलब्ध: टूल हिंदी और अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले करदाता भी इसे आसानी से उपयोग कर सकते हैं।



कौन से करदाता कर सकते हैं इस्तेमाल

1. वेतनभोगी व्यक्त्ति : जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी आय का स्रोत वेतन और अन्य छोटे स्रोत हैं।

2. छोटे व्यवसायी और पेशेवर छोटे कारोबार से आय अर्जित करने वाले व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म, बशर्ते कुल आय 50 लाख रुपये से कम हो।

3. निवासी व्यक्ति: यह टूल उन व्यक्तियों के लिए डिजाइन किया गया है, जो भारत में निवास करते हैं और आय के स्रोत सीमित हैं।

4. नई और पुरानी कर व्यवस्था के तहत करदात्ता: टूल दोनों कर व्यवस्थाओं (नई और पुरानी) के तहत रिटर्न दाखिल करने की सुविधा देता है।


ये आईटीआर फॉर्म भरे जा सकते हैं

आईटीआर-1 (सहज)

मौजूदा आकलन वर्ष में इस फॉर्म को केवल 50 लाख रुपये तक की कमाई वाले करदाता भर सकते हैं।

आय स्रोत: वेतन या पेंशन, एक मकान से आय, ब्याज आय या अन्य स्रोतों से आय, 1.25 लाख रुपये तक का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ, 5,000 रुपये तक की कृषि आय

उपयोगः यह फॉर्म उन करदाताओं के लिए उपयुक्त है जिनकी आय सीमित और सरल स्रोतों से होती है।


आईटीआर-4 (सुगम)

यह फॉर्म छोटे कारोबार से कमाई करने वालों के लिए है। कुल सालाना आय 50 लाख रुपये तक होनी चाहिए।

आय के स्रोत: छोटे व्यवसाय या पेशे से आय, वेतन, एक मकान संपति, ब्याज आय, 1.25 लाख रुपये तक का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ

उपयोग: यह फॉर्म उन करदाताओं के लिए उपयुक्त है, जो प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम के तहत अपनी आय की गणना करते हैं।





ITR Filing 2025: ITR-1 और ITR-4 के एक्सेल टूल जारी, जानें किन टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी हैं ये फॉर्म

What is ITR-1 and ITR-4: इनकम टैक्स विभाग ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 या असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 फॉर्म के एक्सेल यूटिलिटी वर्जन को रिलीज कर दिया है। अब टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर इन फॉर्म्स को डाउनलोड कर सकते हैं। 

आयकर विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए इसकी जानकारी साझा की है। विभाग ने पोस्ट में लिखा, 'करदाता ध्यान दें! ITR-1 और ITR-4 के लिए एक्सेल यूटिलिटी अब उपलब्ध है।' यह कदम करदाताओं के लिए रिटर्न फाइलिंग को और आसान और सहज बनाने के लिए उठाया गया है।


किन टैक्सपेयर्स के लिए है ITR-1 फॉर्म
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म-1 (ITR-1) उन टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनकी कमाई सीमित स्रोतों से होती है। इसे सहज नाम दिया गया है। मौजूदा असेसमेंट ईयर के लिए इस फॉर्म को केवल 50 लाख रुपये या उससे कम की कमाई वाले रेजिडेंट इंडिविजुअल फाइल कर सकते हैं। इसमें वेतन, मकान से होने वाली कमाई, ब्याज सहित अन्य आय के स्रोत, जिन पर सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन, और 5,000 रुपये से अधिक न होने वाली एग्रीकल्चर इनकम शामिल हो सकती है। अगर आप भी इन पैरामीटर्स पर फिट बैठते हैं, तो रिटर्न दाखिल करने के लिए इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।


कौन भर सकता है ITR-4 फॉर्म
वहीं, आईटीआर-2 फॉर्म को सुगम नाम दिया गया है। यह रिटर्न फॉर्म छोटे-मोटे कारोबार या प्रोफेशन से कमाई करने वाले लोगों के लिए है। इसे रेजिडेंट इंडिविजुअल्स, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF), और फर्म्स (LLP को छोड़कर) भर सकते हैं। हालांकि, आपकी कुल सालाना इनकम 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए, जबकि कारोबार या प्रोफेशन से होने वाली इनकम की गणना सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत की जाएगी। इसमें सेक्शन 112A के तहत 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) भी शामिल है।


रिटर्न फाइलिंग की आखिरी तारीख भी बढ़ी
बता दें कि मंगलवार को इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की आखिरी तारीख में बढ़ोतरी का ऐलान किया था। आयकर विभाग ने इसे 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। विभाग ने यह कदम आयकर रिटर्न फॉर्म्स के नॉटिफिकेशन जारी करने में देरी होने के कारण उठाया है। ऐसे में करदाताओं को रिटर्न फाइल करने के लिए 45 दिन का अधिक समय मिलेगा।

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