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Wednesday, August 19, 2020

अविवाहित और विवाहित पुत्री के साथ थर्ड जेंडर को संपत्ति में अधिकार मिला

अविवाहित और विवाहित पुत्री के साथ थर्ड जेंडर को संपत्ति में अधिकार मिला


लखनऊ  : कैबिनेट फैसला : उप्र राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रारूप को मंजूरीप्रमुख संवाददाता- राज्य मुख्यालयराज्य सरकार ने अविवाहित और विवाहित पुत्रियों के साथ थर्ड जेंडर संतानों को भी पारिवारिक सदस्य मानते हुए संपत्तियों में अधिकार दे दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कैबिनेट बाई सकुर्लेशन उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रारूप को मंजूरी दे दी है।


थर्ड जेंडर को समान अधिकार और सामाजिक मान्यताराजस्व संहिता संशोधन विधेयक के प्रारूप में संपत्ति में अधिकार की परिभाषा को स्पष्ट कर दिया गया है। इसके मुताबिक माता-पिता, विवाहित पुत्री व भाई, अविवाहित बहन, थर्ड जेंडर संतान को संपत्तियों में अधिकार होगा। थर्ड जेंडर को भू-खातेदार के परिवारिक सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। इससे थर्ड जेंडर को भौमिक अधिकार और उत्तराधिकार प्रदान किया जा सकेगा। इससे थर्ड जेंडर को समान अधिकार और सामाजिक मान्यता मिलेगी। 


राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 को लागू करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने, उत्तराधिकार के नियमों को स्पष्ट करने और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संशोधन प्रस्तावित किया है।उद्योग लगेंगे और रोजगार मिलेगाइससे औद्योगीकरण के लिए भूमि की उपलब्धता की प्रक्रिया आसान हो सकेगी। उत्तराधिकार के नियम स्पष्ट होंगे।


 लोक प्रयोजन के लिए भूमि आरक्षित की जा सकेगी। विहित सीमा से अधिक पूर्व में क्रय की गई भूमियों के विनियमित किए जा सकेगा। धारा- 80 की उपधारा (1) में परंतुक जोड़े जाने से गैर कृषिक की घोषणा निर्धारित 45 दिन में हो सकेगी। इससे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। धारा 89 (2) में स्पष्टीकरण जोड़कर केवल व्यक्ति को विधिक व प्राकृतिक व्यक्ति के रूप में स्पष्ट किया जा रहा है। 


जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के समय भी विनियमितीकरण का प्रावधान उपलब्ध था, लेकिन जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के समय क्रय की गई, जिन भूमियों का विनियमितीकरण नहीं हो पाया था, इस संशोधन द्वारा जुर्माने के साथ उप भूमियों का विनियमितीकरण किया जा सकेगा। इससे बिना अनुमति के 12.50 एकड़ से अधिक भूमि क्रय करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा और राज्य सरकार को आय भी प्राप्त होगी। भूमि के मूल्यांकन के 10 प्रतिशत तथा क्षेत्रफल में 25 प्रतिशत अधिक अंतर होने पर भी यदि सरकार को अधिक मूल्य व अधिक क्षेत्रफल की भूमि प्राप्त हो रही है तो विनिमय किए जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।सार्वजनिक उपयोग के लिए मिलेंगी जमीनेंग्राम सभा में लोक प्रयोजन के लिए भूमियों को आरक्षित करने से जन सामान्य के उपयोग के लिए भूमि प्राप्त हो सकेगा। 


अनारक्षित श्रेणी की भूमियों को सार्वजनिक उपयोग यानी खेल का मैदान, चारागाह, श्मशान स्थल आदि के लिए आरक्षित किया जा सकेगा। बचने वाली शेष भूमि को ग्राम सभा में निहित किया जा सकेगा। इसके साथ ही पूर्व के पुनर्ग्रहण आदेश में संशोधन किया जा सकेगा और पुनर्ग्रहण की अधिसूचना को डी-नोटिफाई भी किया जा सकेगा। चारागाहों के कुछ अंश पर पशुओं के लिए ट्यूबवेल, चरही बनाने, भूसा-चारा आदि रखने के लिए अस्थाई टीन शेड इत्यादि का विकास ग्राम पंचायत द्वारा किया जा सकेगा। लोक प्रयोजन के लिए सुरक्षित श्रेणी की भूमियों का विनियमन या आरक्षित किए जाने में सुगमता आ सकेगी। इससे शासकीय कार्यों के लिए यथा शैक्षणिक संस्थाएं, चिकित्सालय, उद्योग आदि भूमि का विनिमय आसानी से किया जा सकेगा।

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