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Sunday, August 30, 2020

दो से अधिक बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक, सीएम लेंगे अंतिम फैसला

6:35 AM
दो से अधिक बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक, सीएम लेंगे अंतिम फैसला

जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार पंचायतों में दो से अधिक बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकती है। खुद पंचायतीराज मंत्री इसके पक्षधर हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान समेत कुछ अन्य नेता मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिख चुके हैं। अंतिम फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर छोड़ा गया गया।  

जनसंख्या नियंत्रण कानून को भाजपा के वैचारिक व सियासी एजेंडे का हिस्सा माना जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग टू चाइल्ड पॉलिसी बनाने की कवायद भी कर रहा है। कुछ राज्यों ने त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता के चुनाव लड़ने पर रोक संबंधी कानून बनाए हैं। वहीं प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस संबंध में सुझाव दे चुके हैं। जबकि केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने 11 जुलाई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दो से ज्यादा बच्चों वालों के पंचातीराज चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी।

डॉ. बालियान ने बताया कि प्रदेश में 25 से 30 लाख लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ते हैं। यदि चुनाव लड़ने के लिए ऐसे लोगों को अयोग्य घोषित किया जाएगा तो जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहन मिलेगा। लिहाजा उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव में इसकी पहल की जाए। वहीं, पंचायतीराज मंत्री का कहना है कि उत्तराखंड, हरियाणा व ओडिशा समेत करीब आधा दर्जन राज्यों में ऐसा प्राविधान पहले से लागू है। यूपी में अभी यह विषय सुझाव के स्तर पर है।  

पंचायतीराज एक्ट में करना होगा संशोधन 
प्रदेश में पंचायती चुनाव अक्तूबर से दिसंबर के बीच प्रस्तावित थे। लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते पंचायती चुनाव की तैयारियां नहीं हो पाई हैं। इसलिए चुनावों का टलना तय है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अब अगले साल फरवरी से मई के बीच चुनाव हो सकते हैं। इनमें दो से ज्यादा बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक सकती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पंचायतीराज एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा। कानून राय लेने के बाद राज्य सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है।

न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पर भी विचार  
दो बच्चों तक की अनिवार्यता के साथ ही पंचायती जनप्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया है। कुछ राज्यों ने इसकी शुरुआत की है। इस मुद्दे पर भी भाजपा और प्रदेश सरकार के स्तर पर विचार किया जा सकता है।

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