लखनऊ। प्रदेश सरकार ने भविष्य निधि खातों (जीपीएफ) में जमा की जाने वाली राशि को लेकर बड़ा कदम उठाया है। शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी वित्तीय वर्ष में किसी भी अभिदाता द्वारा अपने खाते में अधिकतम 5 लाख रुपये से ज्यादा की राशि (अभिदान, एरियर अभिदान, बोनस, डीए एरियर सहित) जमा नहीं की जा सकेगी। इस सीमा से अधिक जमा राशि को आगामी वित्तीय वर्ष से जोड़ा जाएगा और खाते में समायोजित माना जाएगा।
वित्त विभाग से जारी आदेश में कहा गया है कि यदि किसी कर्मचारी या अभिदाता द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24, 2024-25 में 5 लाख रुपये से अधिक राशि जमा की गई है, तो वित्तीय वर्ष 25-26 के एक अप्रैल से यह व्यवस्था लागू होगी। प्रत्येक दशा में 5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा से ज्यादा की धनराशि को सीधे अगले वित्तीय वर्ष से जोड़कर समायोजित किया जाएगा।
आदेश में सभी आहरण वितरण अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी भी अभिदाता का कुल अभिदान 5 लाख रुपये की सीमा से अधिक हो जाता है, तो तुरंत उस सीमा तक ही रोक दी जाए और अतिरिक्त राशि का समायोजन आगामी वित्तीय वर्ष में किया जाए। अस्थायी अग्रिम की वापसी की धनराशि को इस सीमा से बाहर रखा गया है।
अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी अभिदाता का चालू वित्तीय वर्ष में ही 5 लाख रुपये का योगदान पूरा हो चुका है, तो उस वर्ष की शेष अवधि में किसी भी प्रकार का अतिरिक्त अभिदान स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर संशोधन महालेखाकार कार्यालय द्वारा किए जाएंगे। दरअसल, भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी आयकर नियमावली, 1962 के प्रावधानों और उत्तर प्रदेश सामान्य भविष्य निधि नियमावली, 1985 में हुए संशोधनों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
GPF खातों में किसी भी अभिदाता द्वारा एक वित्तीय वर्ष में अवशेषों के जमा सहित अधिकतम रुपए पांच लाख से अभिदान जमा होने के संबंध में शासन द्वारा दिशानिर्देश जारी