चुनाव आयोग से कहा, आधार को पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिल
किसी व्यक्ति को अपनी नागरिकता प्रमाणित करने के लिए दूसरे दस्तावेज देने होंगे
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एक बार फिर से बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान आधार को मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इसे लेकर तुरंत दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। जस्टिस सूर्यकांत और जोयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि आधार का इस्तेमाल सिर्फ पहचान के लिए किया जाएगा। यह नागरिकता का दस्तावेज नहीं है। नागरिकता प्रमाणित करने के लिए दूसरे दस्तावेज देने होंगे। याचिका पर अब अगले सप्ताह यानी 15 सितंबर को फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआइआर पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को यह निर्देश तब दिया, जब याचिकाकर्ताओं की ओर से यह आरोप लगाया गया कि अदालत के निर्देश के बाद भी बूथ लेवल आफिसर (बीएलओ) आधार को दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं। आयोग ने इस दौरान कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.6 प्रतिशत ने अपने दस्तावेज जमा कर दिए हैं। ऐसे में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने की मांग करने वालों का इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। वैसे भी आयोग की ओर से पहले ही 11 दस्तावेज निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें गणना फार्म के साथ जमा करना होता है।
आयोग को आधार की वास्तविकता जांचने की छूटः मतदाता सूची में शामिल करने के लिए दिए गए आधार कार्ड की वास्तविकता को चुनाव आयोग जांच सकेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल वास्तविक नागरिकों को ही मतदान की अनुमति होगी। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नागरिकता का दावा करने वालों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाएगा। कोर्ट ने अपने निर्देश के बाद भी आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में नहीं मानने के मामले में आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है। गौरतलब है कि बिहार में चुनाव से पहले कराए जा रहे एसआइआर पर विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं।
आयोग ने साफ किया है कि वह एसआइआर के तहत अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 30 सितंबर तक कर देगा। कोर्ट ने आदेश में 11 दस्तावेज या आधार कार्ड शब्द लिखाया। यानी जिसके पास आधार है, वह भी आवेदन कर सकता है।