अब आठवां केंद्रीय वेतन आयोग तय करेगा पेंशन राशिकरण कटौती अवधि
लखनऊ : पेंशन राशिकरण की अवधि कितनी हो, यह प्रकरण आठवें केंद्रीय वित्त आयोग को भेजा जाएगा। केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा लिए जाने वाले निर्णय पर केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, राज्य सरकार उसे मानेगी। यह संस्तुतियां शासन द्वारा राशिकरण कटौती अवधि पर सुनवाई करने के लिए गठित वित्त विभाग की समिति ने की है।
दो हजार से अधिक पेंशनर्स ने पेंशन राशिकरण की कटौती 15 साल से कम किए जाने के लिए हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर कर रखी हैं। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि समिति का मत यह है कि राज्य सरकार द्वारा इसे आठवें केंद्रीय वेतन आयोग को भेज दिया जाए।
आयोग की संस्तुतियों पर केंद्र जो निर्णय लेगा उसी के आधार पर प्रदेश द्वारा निर्णय लेना उचित रहेगा। इस बीच वर्तमान व्यवस्था यथावत रहेगी। जिसके आधार पर पेंशन राशिकरण कटौती की अवधि कम करने से संबंधित प्रकरणों को निस्तारित करने की संस्तुति की गई है।
पेंशन राशिकरण की अवधि तय करने का मामला अब 8वें वेतन आयोग को सौंप दिया गया है। वित्त विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश के बाद करीब तीन हजार उन पेंशनरों की अब एक बार कटौती शुरू होगी, जिनकी कटौती पर रोक लगाई गई थी। इन्हें समिति का फैसला आने तक कटौती से राहत दी गई थी।
सेवानिवृत्ति के वक्त राज्य कर्मचारी अपनी पेंशन की 40 प्रतिशत रकम का जबकि निगमों के कर्मचारी 20 प्रतिशत रकम का एकमुश्त भुगतान ले सकते हैं। इस रकम के एवज में पेंशन राशि से 15 साल की कटौती की जाती है। पहले राशिकरण की रकम 125 के गुणांक में मिलती थी जबकि अब 98 के। लिहाजा राशिकरण के तौर पर मिलने वाली रकम तो कम हुई है, लेकिन कटौती का समय वही पुराना रखा गया है। पेंशनरों का आरोप है कि यह कटौती मिली रकम से ज्यादा है। राशिकरण के समय मिली रकम की वसूली 10 साल आठ महीने से लेकर 10 साल 11 महीने के बीच पूरी हो जाती है।
प्रदेश के तकरीबन 2000 कर्मचारियों ने कटौती की अवधि कम करने के लिए उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं। इस पर हाई कोर्ट ने 10 साल 11 महीने की अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों की कटौती पर रोक लगाते हुए मामला प्रदेश सरकार को संदर्भित कर दिया था।
वित्त विभाग ने आपत्तियों के परीक्षण के लिए एक समिति बना दी थी। समिति की रिपोर्ट तक कटौती पर रोक लगी रहनी थी। अब जारी आदेश के मुताबिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2000 मामलों का अलग-अलग परीक्षण करना संभव नहीं है। लिहाजा पूरा मामला आठवें वेतन आयोग को संदर्भित कर दिया जाए। 8वां वेतन आयोग मामले में जो भी व्यवस्था देगा उसका अनुपालन किया जाएगा।
पेंशनरों की संस्था निराश
पेंशनर्स कल्याण संस्था के महामंत्री ओंकार नाथ तिवारी और उपाध्यक्ष गोपी कृष्ण श्रीवास्तव ने पेंशन राशिकरण मामला केंद्रीय 8वें वेतन आयोग को संदर्भित किए जाने पर असंतोष और निराशा व्यक्त की है। दोनों ने कहा कि इससे एक बार फिर कटौती शुरू हो जाएगी। वित्त विभाग के इस फैसले से सभी पेंशनर निराश हैं।
सरकार ने यह विचार ही नहीं किया कि पेंशन राशिकरण की कटौती अवधि 15 साल निर्धारित किए जाते वक्त राशिकरण की रकम का गुणांक मानक 125 था जो अब केवल 98 है। यानी, पैसा कम मिल रहा है और कटौती की अवधि वही पुरानी है।