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Thursday, May 27, 2021

लगातार तीसरी बार एस्मा लगाने से शिक्षक-कर्मचारी संगठन भड़के, बताया इमरजेंसी का प्रतीक, आदेश वापस लेने की मांग

लगातार तीसरी बार एस्मा लगाने से शिक्षक-कर्मचारी संगठन भड़के, बताया इमरजेंसी का प्रतीक, आदेश वापस लेने की मांग

कर्मचारी संगठन एस्मा लगाए जाने पर लगातार कर रहे विरोध, बात करने के बजाय सरकार पर लगाया डराने का आरोप


लखनऊ। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बीपी मिश्रा और महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने प्रदेश में एस्मा लगाए जाने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह आदेश कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करने वाला है। प्रदेश का कर्मचारी पहले से ही लगातार छला जा रहा है। अब प्रतीकात्मक आंदोलन के बाद एस्मा लगाना पूरी तरह से सरकार की संबेदनहीनता का परिचायक है। बीपी मिश्र ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान ना देते हुए उसे आंदोलन के लिए मजबूर करती है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। 

ऐसे समय में जबकि कर्मचारी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहा है तो उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि डराया जाना चाहिए। शशि मिश्र ने कहा कि सरकार ने महंगाई भत्ते की किस्तों को रोककर कर्मचारियों को दो जून की रोटी खाना भी मुश्किल कर दिया है। राज्य सरकार एस्मा लगाकर उसको पीड़ा को सुनने के बजाय उसकी जबान भी बंद कर रही है। अमीन संघ ने भी जताया विरोध : राजस्व संग्रह सीजनल अमीन कर्मचारी सेवक वेलफेयर एसोसिएशन ने भी सरकार द्वारा एस्मा लगाने का विरोध किया है। प्रदेश अध्यक्ष बीरेंद्र कुमार ने बताया कि अब तक धरना, प्रदर्शन, अनशन, देहदान, नेत्रदान, जल सत्याग्रह वे जल समाधि का भी प्रयास कर चुके हैं। हम अपनी मांग को पूरा करने के लिए एस्मा के तहत जेल भी जाने को तैयार हैं। सरकार का दमनात्मक रवैया हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।

एस्मा हटाए, समस्याओं का निस्तारण करे सरकारः सुरेश

अखिल भारतीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ सीएम से की अपील

लखनऊ। अखिल भारतीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के डिप्टौ जनरल सेक्रेटरी सुरेश सिंह यादव ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार को सबसे पहले एस्मा हटाकर कर्मचारियों की लंबित समस्याओं का निपटारा करना चाहिए। 


कोरोना काल में चुनाव और संक्रमण रोकने में अपनी-अपनी भूमिका निभाने वाले सरकारी सेवकों पर एस्मा लगाना पूरी तरह से गलत परंपरा को जन्म दे रहा सुरेश सिंह यादव ने कहा कि कर्मचारियों की भी समस्या का हल नहीं हो रहा है, जिससे पूरे प्रदेश के कर्मचारियों में आक्रोश है। कोरोना काल में प्रदेश के सभी अधिकारी कर्मचारियों ने एक दिन का वेतन देने का कार्य किया था। हर स्तर पर प्रदेश सरकार का राजकीय कार्य कर्मचारी ईमानदारी से निभा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारियों की संगठनों की बात ना सुनकर बार-बार एस्मा लगाया जाना किसी भी दिशा में उचित नहीं है।


शिक्षक-कर्मचारी पेंशनर्स अधिकार मंच ने कहा है कि प्रदेश में एक बार फिर शिक्षकों-कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर सरकार ने धमकी देने का कार्य किया है। इस सरकार में लगातार तीन बार कर्मचारी और शिक्षक संगठनों पर एस्मा लगाई गई है। इतने कम समय में बिना हड़ताल, आंदोलन के नोटिस के एस्मा लगाना कर्मचारियों के खिलाफ अघोषित इमरजेंसी है। मंच का कहना है कि सरकार एस्मा के बहाने कर्मचारियों की समस्याओं से निपटने की बजाए अपना कार्यकाल पूरा करना चाह रही है।


मंच के अध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा, महासचिव सुशील कुमार, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद अध्यक्ष इंजीनियर हरि किशोर तिवारी ने तीसरी बार जारी एस्मा आदेश का विरोध दर्ज कराते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। पत्र में लिखा गया है कि तीसरी बार जारी एस्मा आदेश कर्मचारी संगठनों के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसका हर स्तर पर प्रतिवाद किया जाएगा है। संगठनों का अपनी समस्याएं कहने का अधिकार प्रत्येक स्तर पर होता है। इस संबंध में हर मुख्य सचिव कड़े निर्देश जारी करते हैं कि प्रत्येक महीने सभी शीर्ष अधिकारी अपने अधीनस्थ संगठनों की बात को सुनकर उनका हल निकालें, परंतु प्रदेश का दुर्भाग्य है कि 90 प्रतिशत अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं करते। जिसका परिणाम यह है कि कर्मचारियों समस्याएं बढ़ती जाती हैं। 


मीडिया प्रभारी मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नई पेंशन व्यवस्था में तमाम खामियों के कारण 15 वर्षों बाद भी हमारे कर्मचारी, शिक्षक परेशान हैं। कई ऐसे उदाहरण है कि उन्हें पेंशन के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है। बीते 18 महीने से लगातार एस्मा लगाया जा रहा है। इसे मान्यता प्राप्त संगठन के लोग अनावश्यक धमकी के रूप में मानते हैं। इस तरह बार-बार एस्मा लगाने का मतलब सरकार चाहती है कि अब कर्मचारी-शिक्षक अपनी समस्या भी ना उठाएं। 


कर्मचारियों को भयभीत करना अलोकतांत्रिक 

इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र ने प्रदेश सरकार के छह महीने तक एस्मा लगाने के आदेश को अलोकतांत्रिक करार दिया है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह श्रमिक विरोधी और संविधान की मूल भावना के विपरीत कदम है। कर्मचारियों को कार्रवाई का भय दिखाकर उनके हक को मारा जा रहा है। 31 मई को देश व प्रदेश भर के कर्मचारी कोरोना से शहीद हुए कर्मचारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और इस कानून का विरोध करेंगे।


राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कर्मचारी पूरे जी-जान से कोविड-19 संक्रमण से देश की जनता को बचाने व उसके उपचार में लगा हुआ है। जबकि सरकार ने कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की जगह आपस में बांट दिया है। 


लगातार तीसरी बार एस्मा लागू करने पर कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने जताई तीखी प्रतिक्रिया, एस्मा वापस लेकर विभिन्न मुद्दों पर बात करने की मांग



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