आयकर छापे के दौरान ही सोशल मीडिया रिकॉर्ड जांचेंगे, नए आयकर अधिनियम को लेकर सीबीडीटी का स्पष्टीकरण
नई दिल्ली। नए आयकर अधिनियम के तहत आयकर विभाग सिर्फ सर्वे, तलाशी और जब्ती से जुड़ी प्रक्रिया की स्थिति में ही किसी व्यक्ति और संस्था से जुड़े ई-मेल, सोशल मीडिया एकाउंट जैसे डिजिटल रिकॉर्ड की छानबीन की जाएगी।
इसको लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की जाएगी, जिसका पालन कार्रवाई के दौरान आयकर विभाग से जुड़े अधिकारियों को करना होगा। सोमवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधि) आरएन पर्बत ने बताया कि नए अधिनियम का मकसद व्यापार सुगमता को बढ़ावा है, जिससे कि लोग आयकर से जुड़ी प्रक्रिया को आसानी से समझ सकें। इसलिए हर किसी के डिजिटल रिकॉर्ड को नहीं खंगाला जाएगा।
नया आयकर कानून अधिसूचित, अप्रैल 2026 से होगा लागू, आयकर कानून को सरल बनाने की पूरी कोशिश, अप्रासंगिक प्रविधान हटाए गए
नई दिल्लीः आयकर विधेयक, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचित कर दिया गया है। यह नया कानून वर्ष 2026 के एक अप्रैल से लागू होगा। यह कानून आयकर कानून, 1961 की जगह लेगा। नए कानून के माध्यम से आयकर कानून को सरल बनाने की कोशिश की गई है। पेज की संख्या आधी कर दी गई है और अप्रासंगिक हो चुके प्रविधानों को हटा दिया गया है। उदाहरण के लिए अभी इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान मूल्यांकन वर्ष और वित्त वर्ष का उल्लेख करना होता था। नए कानून में सिर्फ टैक्स ईयर का उल्लेख करना होगा। जिस वित्त वर्ष का टैक्स भरा जाएगा, उसे ही टैक्स ईयर कहा जाएगा।
टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। छोटे करदाताओं की सहूलियत का ख्याल रखते हुए उन्हें कुछ सुविधाएं भी दी गई हैं। जैसे अब समय बीत जाने के बाद भी टैक्स रिटर्न भरने पर उन्हें रिफंड मिल सकेगा। एमएसएमई की नई परिभाषा को कर प्रविधान से जोड़ दिया गया है। तय समय सीमा के नौ महीने के अंदर आइटीआर भरा जा सकेगा।
चार साल पहले के टैक्स ईयर का अपडेटेड रिटर्न भी भरने की सुविधा दी गई है। नया कानून लागू होने पर करदाताओं को अपने सभी खर्च और आय का ध्यान रखना होगा। अगर आपके खाते में कोई ऐसी राशि दिख रही है, जिसका हिसाब विभाग को नहीं दिख रहा है, तो उस राशि के बारे में पूछा जा सकता है। संतोषप्रद जवाब नहीं देने पर उस राशि को आय मान लिया जाएगा। वैसे ही, किसी खर्च का विवरण आइटीआर में नहीं है और उस खर्च के बारे में विभाग को संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जाता है, तो उसे भी आय मान लिया जाएगा।
टैक्स अधिकारियों को नए विधेयक में सशक्त बनाया गया है। टैक्स अधिकारी बुक अकाउंट को जांच के लिए 15 दिनों तक रख सकते हैं। नए बिल के मुताबिक, सर्च के दौरान सभी डिजिटल उपकरण जैसे कि फोन, लैपटाप या अन्य डिजिटल उपकरण को टैक्स अधिकारी अपने कब्जे में ले सकता है। रिटर्न की प्रोसेसिंग का समय काफी कम करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि रिफंड और तेज किया जा सके।