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Thursday, December 30, 2021

EWS कोटे के लिए मौजूदा मानदंड कायम रहेगा - केंद्र सरकार, नियम को बीच में बदलने पर जटिलताएं बढ़ने का दिया हवाला


EWS कोटे के लिए मौजूदा मानदंड कायम रहेगा - केंद्र सरकार,   नियम को बीच में बदलने पर जटिलताएं बढ़ने का दिया हवाला


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आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के लिए पारिवारिक आय सीमा को आठ लाख रुपये रखने का फैसला : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी


केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए मौजूदा सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा को आठ लाख रुपये या उससे कम बनाए रखने के तीन सदस्यीय पैनल की सिफारिश को स्वीकार करने का फैसला किया है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के लिए पारिवारिक आय सीमा को आठ लाख रुपये रखने का फैसला : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी

EWS के लिए पारिवारिक आय सीमा को आठ लाख रुपये रखने  का फैसला किया गया है।


नई दिल्‍ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Sections, EWS) के लिए मौजूदा सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा को आठ लाख रुपये या उससे कम बनाए रखने के तीन सदस्यीय पैनल की सिफारिश को स्वीकार करने का फैसला किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समिति ने सिफारिश की है कि ईडब्ल्यूएस को परिभाषित करने के लिए पारिवारिक आय एक व्यवहारिक मानदंड है। मौजूदा स्थिति में ईडब्ल्यूएस निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक पारिवारिक आय सीमा उचित है। 


तीन सदस्‍यीय समिति ने सिफारिश की

एनईईटी-पीजी के लिए दाखिले से संबंधित मामले में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि तीन सदस्‍यीय समिति ने सिफारिश की है कि केवल वे परिवार जिनकी सालाना आय आठ लाख रुपये तक है वे ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने केंद्र सरकार की ओर से यह हलफनामा दायर किया है। इसमें शीर्ष अदालत को बताया गया है कि केंद्र सरकार ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है जिसमें नए मानदंडों को संभावित रूप से लागू करने की सिफारिश भी शामिल है।


30 नवंबर 2021 को बनाई थी समिति

मालूम हो कि इस मसले पर केंद्र सरकार ने पिछले साल 30 नवंबर को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति में अजय भूषण पांडे (पूर्व वित्त सचिव), वीके मल्होत्रा (सचिव, आईसीएसएसआर के सदस्य) और केंद्र के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल शामिल थे। अब गेंद सर्वोच्‍च अदालत के पाले में है। वह ईडब्ल्यूएस के निर्धारण के लिए मानदंड पर फिर से विचार करेगी। इस समिति ने पिछले साल 31 दिसंबर को केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।


काउंसलिंग में देरी से डाक्‍टर हुए थे नाराज

इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Sections, EWS) के लिए मौजूदा सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा आठ लाख रुपये या उससे कम को बरकरार रखा जा सकता है। यानी केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक है... वही ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के हकदार होंगे। समिति का फैसला आने में देरी के चलते NEET-PG 2021 काउंसलिंग में भी देरी हुई। इस वजह से दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के बैनर तले बड़ी संख्या में रेजिडेंट डाक्टरों ने व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी किया।


आयसीमा का मानक ओबीसी क्रीमीलेयर से ज्यादा सख्त

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि ईडब्ल्यूएस के लिए आठ लाख रुपये की आयसीमा का मानदंड अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की क्रीमीलेयर के लिए निर्धारित आयसीमा के मानक से कहीं अधिक कड़ा है। मसलन, ओबीसी के लिए आय की गणना लगातार तीन साल की कुल वार्षिक आय से की जाती है जबकि ईडब्ल्यूएस के लिए यह पूर्व वित्तीय वर्ष की आय है। ओबीसी क्रीमीलेयर के लिए वेतन, कृषि और पारंपरिक कारीगरी के पेशों से आय को बाहर रखा गया है जबकि ईडब्ल्यूएस के लिए मानदंड में कृषि समेत सभी स्त्रोतों से आय शामिल है। इसी तरह, ईडब्ल्यूएस परिवार में अभ्यर्थी, उसके माता-पिता, नाबालिग भाई-बहन, पति अथवा पत्नी और उसके नाबालिग बच्चे शामिल हैं। जबकि ओबीसी क्रीमीलेयर के मामले में परिवार में सिर्फ अभ्यर्थी, उसके माता-पिता और नाबालिग बच्चे शामिल हैं।


नई दिल्ली : नीट पीजी काउंसलिंग मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण में आठ लाख रुपये की सालाना आय का मौजूदा मानदंड बना रहेगा। अपने हलफनामे में सरकार ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ने गंभीरता से इसकी सिफारिश की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ छह जनवरी को मामले की सुनवाई करेगी।


सरकार के मुताबिक, समिति ने कहा कि आय के मानकों को अगले शैक्षणिक सत्र से बदला जा सकता है। ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए सालाना आय सीमा आठ लाख ही रहेगी, लेकिन इसमें उन परिवारों को शामिल नहीं किया जाएगा, जिनके पास पांच एकड़ या उससे ज्यादा भूमि है।


नियम को बीच में बदलने पर जटिलताएं बढ़ेंगी
केंद्र ने बताया, समिति ने कहा है कि 2019 से चले आ रहे ईडब्ल्यूएस कोटा के मापदंडों को बीच में बदलने से जटिलताएं पैदा होंगी। बेवजह कानूनी विवाद भी सामने आएंगे। दाखिला प्रक्रिया का पहला चरण नीट परीक्षा के साथ पूरा हो गया है। बीच प्रक्रिया में मापदंड बदलने से पेचीदगी बढ़ेगी।




गरीब सवर्णों को आरक्षण के लिए आठ लाख ही रहेगी आयसीमा, EWS आरक्षण के मानकों में फिलहाल बदलाव के मूड में नहीं केन्द्र सरकार


ईडब्ल्यूएस को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए तय मानकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवालों से सरकार वैसे तो भारी उलझन में है लेकिन वह अभी इसके लिए तय मानकों में किसी भी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है।

गरीब सवर्णों को आरक्षण के लिए आठ लाख ही रहेगी आयसीमा, EWS आरक्षण के मानकों में फिलहाल बदलाव के मूड में नहीं सरकारसरकार ईडब्ल्यूएस को दिएआरक्षण के लिए तय मानकों में किसी भी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है।



नई दिल्ली : सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ों (ईडब्ल्यूएस) को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए तय मानकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवालों से सरकार वैसे तो भारी उलझन में है लेकिन वह अभी इसके लिए तय मानकों में किसी भी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है। यानी मौजूदा समय में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए आठ लाख रुपये सालाना आय सहित जो मानक तय हैं, फिलहाल वही बरकरार रहेंगे। यह बात अलग है कि सरकार भविष्य में इसके मानक तैयार करने के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन तैयार करेगी ताकि भविष्य में इसे लेकर किसी भी तरह का सवाल खड़ा न हो सके।


खुलकर कहने से बच रही सरकार

फिलहाल ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मानकों को लेकर पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने से सरकार अभी इस मामले पर कुछ भी खुलकर कहने से बच रही है, लेकिन जो संकेत दिए गए हैं उससे साफ है कि मौजूदा मानकों के आधार पर जिन्हें दाखिला दिया जा चुका है या जिनकी मेरिट तैयार हो गई है, उनमें अब बदलाव किसी भी तरह से संभव नहीं होगा। बदलाव से दाखिले की पूरी प्रक्रिया प्रभावित होगी।


तीन सदस्यीय कमेटी से जल्द रिपोर्ट देने को कहा

इस बीच, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने केंद्र सरकार के पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय की अगुआई में इस मुद्दे पर गठित तीन सदस्यीय कमेटी से भी जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी की मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शुक्रवार को एक अहम बैठक रखी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर दी जाने वाली रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।


लाभार्थियों का पूरा ब्योरा शामिल

वैसे भी कमेटी से जिन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है, उनमें ईडब्ल्यूएस को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण के लाभार्थियों का पूरा ब्योरा शामिल है। इनमें करीब 90 प्रतिशत ऐसे लाभार्थी पाए गए हैं, जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपये से कम है। सरकार की ओर से ईडब्ल्यूएस मानकों को लेकर गठित कमेटी में दो सदस्य हैं, इनमें भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएसएसआर) के सदस्य सचिव प्रोफेसर वीके मल्होत्रा और भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल शामिल हैं।


सुप्रीम कोर्ट उठा चुका है सवाल

मालूम हो कि यह विवाद ऐसे समय खड़ा हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कोर्स में दाखिले से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से ईडब्ल्यूएस आरक्षण के निर्धारण के लिए तय मानकों पर सवाल खड़े किए और पूछा कि इन मानकों का आधार क्या है। इसके बाद सरकार ने कोर्ट से चार हफ्ते का समय मांगा था और इसे लेकर तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की थी।


ईडब्ल्यूएस के लिए तय मानक

ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण देते समय सरकार ने जो मानक तय किए गए हैं, उनके तहत ऐसे लोग इसके पात्र होंगे-

🔵 जिनकी सालाना आय आठ लाख रुपए या इससे कम हो।
🔵 जिसके पास पांच एकड़ या इससे कम कृषि योग्य भूमि हो।
🔵 जिसके पास एक हजार वर्ग फीट या उससे कम का फ्लैट हो।
🔵 ऐसे व्यक्ति जिनके पास अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में 100 वर्ग गज या उससे कम का प्लाट हो या फिर जिनके पास किसी भी गैर-अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में कम से 200 वर्ग गज का प्लाट हो।


कमेटी से इन पहलुओं पर मांगी गई रिपोर्ट

सरकार ने कमेटी से जिन तीन अहम बिंदुओं पर रिपोर्ट देने को कहा था उनमें पहला ईडब्ल्यूएस के तय मानकों की फिर से समीक्षा करना, ईडब्ल्यूएस की पहचान के लिए दूसरे मानकों को शामिल करना और भविष्य में इसके लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन तैयार करना शामिल है। सूत्रों की मानें तो अभी इस गाइडलाइन को व्यापक रूप देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ के दायरे में लाने के लिए मानक तय किए गए हैं।

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