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Tuesday, June 23, 2020

7 फीसदी से नीचे जा सकता है पीपीएफ का ब्याज, अगले सप्ताह तय होनी है जुलाई-सितंबर के लिए ब्याज दर


7 फीसदी से नीचे जा सकता है पीपीएफ का ब्याज, 46 साल में सबसे कम,  


अगले सप्ताह तय होनी है जुलाई-सितंबर के लिए ब्याज दर


0.80 फीसदी कटौती हुई थी अप्रैल-जून तिमाही की ब्याज दर में,  7.10 फीसदी है पीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर


अन्य बचत योजनाओं पर भी लग सकता है झटका


कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था का असर आय के साथ निवेश पर भी पड़ रहा है। रिजर्व बैंक कर्ज सस्ता करने के लिए रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंक इसकी भरपाई के लिए एफडी पर ब्याज घटा देते हैं। अगले सप्ताह जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए सरकारी लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा होगी, जिसमें एक बार फिर कटौती की आशंका है। अगर यह दरें घटती हैं, तो पीपीएफ पर ब्याज 7 फीसदी से नीचे आ जाएगा।


दरअसल, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) की ब्याज दर 10 साल की परिपक्वता अवधि के सरकारी बॉन्ड के प्रतिफल से जुड़ी होती है। किसी तिमाही के लिए पीपीएफ का ब्याज उससे पहले की तिमाही में औसत बॉन्ड प्रतिफल के आधार पर तय किया जाता है। जनवरी-मार्च तिमाही में बॉन्ड का औसत प्रतिफल 6.42 फीसदी था, जो लगातार घटता जा रहा है। निवेश सलाहकारों का कहना है कि इस बार भी पीपीएफ में कटौती की पूरी आशंका है।



अप्रैल-जून के लिए हुई थी बड़ी कटौती
चालू तिमाही के लिए पीपीएफ की ब्याज दर मेें सरकार ने बड़ी कटौती की थी। 31 मार्च, 2020 को इसकी ब्याज दरें 0.80 फीसदी घटाकर 7.10 फीसदी कर दिया गया था। 1 अप्रैल से अब तक 10 साल की परिपक्वता वाले बॉन्ड पर औसत प्रतिफल 6.07 फीसदी रहा है और अभी यह 5.85 फीसदी है। इससे साफ है कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में फिर कटौती हो सकती है। अगर इस बार भी पीपीएफ की ब्याज दरों में कटौती होती है, तो यह 7 फीसदी से नीचे चली जाएगी जो 46 साल का सबसे निचला स्तर होगा।


अन्य बचत योजनाओं पर भी लग सकता है झटका
सरकार अगले सप्ताह पीपीएफ के साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना, किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) जैसी अन्य लघु योजनाओं की ब्याज दरों की भी समीक्षा करेगी। निवेश सलाहकारों का कहना है कि मार्च के बाद एक बार फिर बड़ी कटौती का अनुमान है। अप्रैल-जून तिमाही के लिए सरकार ने एनएससी पर ब्याज दर मेें 1.10 फीसदी कटौती की थी। इसके अलावा किसान विकास पत्र में 0.70 फीसदी, सुकन्या मेें 0.80 फीसदी, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में 1.20 फीसदी और मासिक बचत खाते के ब्याज में 1 फीसदी कटौती की थी।

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