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Thursday, July 27, 2023

आयकर : तीन महीने बाद रेगुलर स्क्रूटनी नोटिस नहीं, आयकर विभाग ने करदाताओं को भेजे जाने वाले नियमित मूल्यांकन से जुड़े नोटिस की अवधि घटाई

आयकर : तीन महीने बाद रेगुलर स्क्रूटनी नोटिस नहीं

आयकर विभाग ने करदाताओं को भेजे जाने वाले नियमित मूल्यांकन से जुड़े नोटिस की अवधि घटाई

50 लाख से कम की कर चोरी पर तीन साल के भीतर भेजा जा सकेगा नोटिस


नई दिल्लीः आयकर विभाग ने वेतनभोगी वर्ग को बड़ी राहत दी है। पहले आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद करदाताओं को नियमित मूल्यांकन यानी रेगुलर स्क्रूटनी के लिए एक साल तक नोटिस भेजा जा सकता था, लेकिन अब इस अवधि को घटाकर तीन माह कर दिया गया है। रेगुलर स्क्रूटनी के तहत विभाग करदाताओं से आय, कर या दस्तावेज में विसंगति से संबंधित जानकारी मांगता है।


चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) और टैक्स विशेषज्ञ मनीष कुमार गुप्ता ने बताया कि सरकार के फैसले से मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा को राहत मिली है। उन्होंने विस्तार से जानकारी देते बताया कि वित्त हुए वर्ष 2022-23 के लिए 31 जुलाई तक आइटीआर दाखिल किए जाएंगे। इसको मूल्यांकन वर्ष 2023-24 भी कहा जाता है। 31 मार्च, 2024 को मूल्यांकन वर्ष खत्म हो जाएगा उस दिन के बाद ही यह तीन महीने की - अवधि जोड़ी जाएगी। इसका मतलब यह है कि 31 जुलाई तक रिटर्न दाखिल करने वालों को 30 जून, 2024 के बाद आयकर विभाग की और से नियमित नोटिस नहीं भेजा जा सकेगा। 


गुप्ता ने बताया कि खाता आडिट के बाद देरी से आइटीआर फाइल करने वालों को भी इस बदलाव का लाभ मिलेगा। गुप्ता ने बताया कि आयकर विभाग पचास लाख से कम इनकम टैक्स संबंधी चोरी के मामले में रिटर्न दाखिल करने के तीन साल के भीतर ही विभाग आपको नोटिस दे सकता है। पहले यह अवधि छह साल की थी। नोटिस देने की अवधि अधिक होने पर करदाताओं को अपने कागजात उस पूरी अवधि तक संभालकर रखने होते थे। इस फैसले से विभाग का बोझ भी कम होगा। हालांकि 50 लाख से अधिक की इनकम टैक्स चोरी के मामले में विभाग 10 साल तक नोटिस भेज सकता है।



बड़े कर चोरों पर शिकंजा कस रहा है आयकर विभाग

आयकर चोरी करने वाली बड़ी मछलियाँ जब्त की गई। वित्त वर्ष 2021-22 में पर विभाग का शिकंजा कसता जा रहा 686 कंपनियों के खिलाफ सर्च अभियान है। मंगलवार को वित्त राज्यमंत्री पंकज चलाकर 1, 159 करोड़ की संपत्ति जब्त चौधरी ने संसद को बताया कि वित्त वर्ष की गई थी। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2020- 2022-23 में कर चोरी के मामले में 21 में 569 समूह के खिलाफ सर्च 741 कंपनियों के खिलाफ सर्च अभियान अभियान चलाकर 880 करोड़ रुपये की चलाया गया और 1765 करोड़ की संपत्ति संपत्ति जब्त की गई थी।

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