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Wednesday, July 26, 2023

डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र 65 साल करने का मसौदा तैयार, अपनी इच्छा से ले सकेगे वीआरएस

डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र 65 साल करने का मसौदा तैयार

62 साल के बाद नहीं मिलेगा प्रशासनिक पद, अपनी इच्छा से ले सकेगे वीआरएस


लखनऊ। प्रादेशिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के तहत कार्यरत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति 62 से बढ़ाकर 65 साल करने का मसौदा तैयार कर लिया गया है। 62 साल के बाद डॉक्टर प्रशासनिक पद पर कार्य नहीं करेंगे। वे सिर्फ मरीजों के उपचार में लगेंगे। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद लागू होगा।

प्रदेश में प्रादेशकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में डॉक्टरों के करीब छह हजार पद खाली चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की ओर वर्तमान मैं कार्यरत चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 साल करने का मसौदा तैयार किया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि नई नियमावली के मसौदे में कई विकल्प दिए गए हैं। इसमें यह व्यवस्था दी गई है कि 62 साल की उम्र सीमा तक ही डॉक्टर प्रशासनिक पद पर कार्य कर सकेंगे। इसके बाद तीन साल तक सिर्फ मरीजों का उपचार करेंगे।

जिन डॉक्टरों ने निदेशक और महानिदेशक जैसे पद कार्य कर लिया और 62 साल के बाद मरीजों के उपचार में नहीं लगना चाहते हैं, वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले सकेंगे। ऐसे में उनके वीआरएस मंजूरी में किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई जाएगी। विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि नए प्रावधानों में सभी पहलुओं की समाहित किया गया है। प्रदेश के चिकित्सकों की राय दूसरे राज्यों की व्यवस्था आदि का मूल्यांकन करने के बाद इसे तैयार किया गया है। ताकि किसी भी डॉक्टर का हित प्रभावित न होने पाए। जल्द ही इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।

लंबे समय तक चला मंथन

चिकित्सकों को उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर सालभर से मंथन चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से महानिदेशक से प्रस्ताव मांगा गया था। इस पर महानिदेशालय ने कमेटी बनाई। इस कमेटी ने उम्र सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। कमेटी का तर्क था कि 65 साल उम्र सीमा करने से जूनियर डॉक्टरों को प्रशासनिक कार्य करने का मौका नहीं मिलेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक कार्य की समय सीमा 62 वर्ष ही रखी गई है।

तीन साल की पुनर्नियुक्ति का भी रहेगा प्रावधान

अभी तक 62 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले चिकित्सक अपनी इच्छा के मुताबिक तीन साल तक दोबारा नियुक्ति हासिल करके मरीजों की सेवा कर सकते हैं। इसके एवज में उन्हें अंतिम तनख्वाह के बराबर भुगतान मिलता है इस भुगतान में पेंशन की राशि कम कर दी जाती है। अब 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने वाले भी अगले तीन साल तक दोबारा नियुक्त के जरिये मरीजों को सेवा कर सकेंगे। उनकी सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यह भी व्यवस्था की गई है कि जो लोग असेवित जिलों में नहीं जा सकेंगे। उन सीटों की अपेक्षा महानगरों में खाली पदों के एवज में समायोजित किया जा सकेगा। कुछ अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधा किया गया है।



मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में दिए निर्देश

यूपी में सरकारी डॉक्टर 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होंगे, प्रोबेशन अवधि के दौरान उच्च शिक्षा के लिए मिलेगा अवकाश



लखनऊ । सरकारी चिकित्सकों की सेवानिवृत्त आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने की तैयारी है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर करने में इससे मदद मिलेगी। वहीं सरकारी सेवा में आने वाले नये चिकित्सकों को प्रोबेशन (परिवीक्षा) अवधि में अब उच्च शिक्षा के लिए लंबी अवधि का अवकाश देने का प्रस्ताव शीघ्र मंजूर होगा।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में चिकित्सकों की अधिवर्षिता (सेवानिवृत्ति) आयु में वृद्धि किए जाने के निर्देश दिए। चिकित्सकों को पुनर्नियोजित करने के नियमों को और बेहतर करने को कहा। इस बैठक में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।


प्रशासनिक पदों पर इसका लाभ नहीं दिया जाएगा: एक बड़े अधिकारी का कहना है कि अभी कई राज्यों में यह व्यवस्था लागू है। सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर भी 62 वर्ष की आयु के बाद प्रशासनिक पदों पर इसका लाभ नहीं दिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की पर्याप्त उपलब्धता रहे यह है। 


विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब तक सरकारी चिकित्सकों को सेवा में आने पर दो साल प्रोबेशन अवधि के दौरान उच्च शिक्षा के लिए असाधारण अवकाश नहीं मिल पाता था। इसकी वजह से एमबीबीएस करने के बाद तमाम चिकित्सक सरकारी सेवा में आने से बचते रहे हैं। लोक सेवा आयोग को जितने पदों का अधियाचन भेजा जाता रहा है, उतने चिकित्सक नहीं मिल पाते थे। इस व्यवस्था से चिकित्सक सरकारी सेवा में आने में अधिक रुचि लेंगे।

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