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Friday, August 25, 2023

सेवानिवृत्ति परिलाभों को रोकना अवैध व मनमाना ही नहीं, पाप भी, हाईकोर्ट ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करे राज्य सरकार


सेवानिवृत्ति परिलाभों को रोकना अवैध व मनमाना ही नहीं, पाप भी, हाईकोर्ट ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन करे राज्य सरकार


प्रयागराज | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान चार साल तक रोकना अवैध व मनमाना ही नहीं, पाप भी है क्योंकि भुगतान में देरी को कानूनी अपराध घोषित नहीं किया गया है। रिटायर कर्मचारियों को भुगतान न कर परेशान करने वाले कर्मचारियों को पाप से डरना चाहिए। यह अनैतिक व असामाजिक कृत्य है। यह संविधान की आधारशिला, सामाजिक व आर्थिक न्याय का उल्लंघन है। कोर्ट ने रिटायर सरकारी व अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का समय से भुगतान करने के सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर विभाग का मुखिया हर छह माह में व एक जुलाई को रिटायर कर्मचारियों व अधिकारियों की सूची तैयार करे और उसके समस्त देर तय कर ले। ऑडिट अधिकारी को अग्रसारित करें। उसके बाद भुगतान की जवाबदेही एकाउंटेंट जनरल कार्यालय की होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने नगर पालिका परिषद के रिटायर सफाई कर्मचारी राम कुमार की याचिका पर दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद स्योहरा बिजनौर को याची की पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान 15 अक्टूबर 2023 तक करने का निर्देश दिया है। 


कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश की जानकारी सर्कुलर जारी कर सभी विभागों को भेजने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने सेवारत कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की और कहा कि नगर पालिका परिषद राज्य की श्रेणी में है। इसके अधिकारी लोक कर्तव्य निभाते हैं। संविधान सर्वोच्च है और देश की संप्रभुता आम जनता में निहित है। अधिकारियों व कर्मचारियों ने जनसेवक की जवाबदेही स्वीकार किया है। जिनके पास कानूनी अधिकार व मशीनरी है। यह ताकत आम लोगों के पास नहीं है। इसलिए वे आम लोगों को परेशान न कर अपना विधिक दायित्व पूरा करें। इन्हें मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती कि वे समाज को क्षति पहुंचाए।


कोर्ट ने कहा कि न्यायालय का दायित्व है कि वह जरूरी कदम उठाकर जन विश्वास कायम रखे। उनमें भरोसा कायम रहे कि वे असहाय नहीं हैं। अधिकारियों की मनमानी रोकने की कोई बड़ी अथारिटी है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुक्तिनाथ राय केस में सेवानिवृत्ति परिलाभों के समय से भुगतान के लिए सामान्य समादेश जारी किया है। जिसका कड़ाई से पालन किया जाए।


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