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Wednesday, February 8, 2023

पेंशन पर केन्द्र सरकार को टेंशन, तीन नए विकल्पों पर अंदरखाने चल रहा मंथन, NPS को पुरानी पेंशन से बेहतर बनाने की कोशिश

आखिर क्या है इस योजना में खास? जिसके कारण सरकारी कर्मचारियों को 33% गारंटीड पेंशन वाली स्कीम पर केंद्र की गड़ी नजर


ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) वापस लाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। अभी तक राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम वापस लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इस बीच, आंध्र प्रदेश की गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) ने केंद्र सरकार का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश की गारंटीड पेंशन स्कीम ने ऑफिसर्स को आकर्षित किया है, क्योंकि इस स्कीम में ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम (NPS) दोनों के एलिमेंट्स का कॉम्बिनेशन है। ऑफिसर्स का मानना है कि गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) काफी आकर्षक है, लेकिन डिटेल में इसकी स्टडी किए जाने की जरूरत है।


आखिर क्या है जगन सरकार की गारंटीड पेंशन स्कीम

जगन मोहन रेड्डी सरकार की गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) का प्रस्ताव पहली बार अप्रैल 2022 में रखा गया। यह स्कीम राज्य सरकार के कर्मचारियों को बिना किसी कटौती के उनको आखिरी मिली सैलरी का 33 पर्सेंट गारंटीड पेंशन के रूप में ऑफर करती है। इसके लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी के 10 पर्सेंट का योगदान देना होगा। राज्य सरकार भी इतना ही कंट्रीब्यूशन करेगी। अगर एंप्लॉयीज हर महीने 14 पर्सेंट का योगदान करने के लिए तैयार होते हैं तो उन्हें अपनी आखिरी सैलरी का 40 पर्सेंट गारंटीड पेंशन के रूप में मिलेगा।


राज्य सरकार ने कहा, मार्केट कंडीशन पेंशन पर नहीं डालेंगी असर

फाइनेंस, प्लानिंग, लेजिस्लेटिव अफेयर्स और कमर्शियल टैक्सेज के मिनिस्टर बुग्गना राजेंद्रनाथ के मुताबिक, गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) के तहत मार्केट की स्थितियां पेंशन पर असर नहीं डालेंगी। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि GPS के मुकाबले न्यू पेंशन स्कीम (NPS) या CPS लोअर रिटर्न ऑफर करेगी। 


हालांकि, केंद्र सरकार ने इससे इनकार किया है। केंद्र सरकार की न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को रिप्लेस करने के लिए राज्य सरकार का नई स्कीम लाने का प्रस्ताव है। न्यू पेंशन स्कीम या NPS को राज्य में कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम (CPS) कहा जाता है।


राज्य कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम वापस लाने की मांग पर टिके

राज्य सरकार गारंटीड पेंशन स्कीम (GPS) लागू करने की तैयारी में है। हालांकि, तमाम कर्मचारियों ने GPS के खिलाफ आवाज उठाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्मचारी केवल ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) में शिफ्ट होना चाहते हैं। राज्य की एंप्लॉयीज यूनियंस का मानना है कि GPS किसी भी मामले में CPS से बेहतर नहीं है।


पेंशन पर केन्द्र सरकार को टेंशन, तीन नए विकल्पों पर अंदरखाने चल रहा मंथन, NPS को पुरानी पेंशन से बेहतर बनाने की कोशिश


नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारियों में ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती डिमांड के मद्देनजर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। यह चुनावी मुद्दा बन रहा है और कई राज्यों में से असेंबली चुनाव इस साल होंगे, फिर 2024 में आम चुनाव हैं। इससे पहले सरकार और पेंशन रेगुलेटर के अंदर तीन उपायों पर में मंथन चल रहा है।


एक उपाय ये है कि ओल्ड पेंशन ने की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम तक पेंशन तो मिले, लेकिन उसके लिए कर्मचारी से योगदान लिया जाए। इस तरह की स्कीम आंध्र प्रदेश में चलाई जा रही है। सरकार और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है। इसे दिलचस्प तरीका माना जा रहा है, लेकिन अमल में लाने से पहले कई पेचीदगियों को दूर करना है।


दूसरा उपाय यह है कि मौजूदा एनपीएस में ही न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। एनपीएस के प्रति शिकायत यह है कि इसमें कर्मचारी का योगदान तो तय है, लेकिन रिटर्न तय नहीं है। इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बोर्ड की मंजूरी बाकी है। 


हालांकि संकेत मिल रहे हैं कि इसमें न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी हो सकता है, जिसे बेहद कम समझा जाएगा। गारंटी के कारण लागत बढ़ जाएगी। वैसे बाजार ने बेहतर रिटर्न दिया तो न्यूनतम रिटर्न से 2-3 पसेंट ज्यादा तक पेंशन मिल सकती है। 


इसके अलावा मौजूदा एनपीएस में मच्योरिटी की 60 फीसदी रकम कर्मचारी के हाथ में चली जाती है। अगर ये पैसा भी पेंशन में ही लग जाए तो पेंशन के तौर पर मिलने वाली रकम बढ़ जाएगी। 


तीसरा उपाय ये है कि अटल पेंशन योजना की तरह सबको न्यूनतम पेंशन की गारंटी दे दी जाए। PFRDA ये योजना चला रही है, जिसमें योगदान के आधार पर 1000 से 5000 रुपये तक पेंशन तय है। PFRDA अटल पेंशन योजना का दायरा सभी के लिए बढ़ाने और 5000 लिमिट खत्म करने को तैयार हो सकती है, बशर्ते गारंटी में किसी वित्तीय कमी की स्थिति में सरकार मदद का जिम्मा ले। अटल पेंशन योजना के पीछे सरकार का हाथ है।


PFRDA लेगा फैसला

यहां जिन तीन उपायों का जिक्र किया गया है, उन पर विचार करने का जिम्मा PFRDA के पास ही है, लेकिन मुश्किल ये है कि फिलहाल इस संस्था के नए चेयरमैन की नियुक्ति का इंतजार है। दरअसल, PFRDA के पिछले चेयरमैन का कार्यकाल हाल ही में पूरा हो गया है। अब नए चेयरमैन की नियुक्ति हो जाने के बाद इस मामले में काम तेजी से आगे बढ़ सकता है।

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