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Tuesday, March 11, 2025

New Income Tax Bill 2025 : सिर्फ छापे के दौरान करदाता के डिजिटल और सोशल मीडिया खातों की होगी जांच, नए आयकर बिल-2025 में बरकरार रहेगी करदाताओं की ऑनलाइन गोपनीयता

सिर्फ छापे के दौरान करदाता के डिजिटल और सोशल मीडिया खातों की होगी जांच

नए आयकर बिल-2025 में बरकरार रहेगी करदाताओं की ऑनलाइन गोपनीयता

शक्ति का इस्तेमाल तभी... जब करदाता सोशल मीडिया खातों के पासवर्ड देने से करेगा इन्कार

11 मार्च 2025
नई दिल्ली। नए इनकम टैक्स बिल के तहत आयकर अधिकारी सिर्फ छापे या तलाशी अभियान के दौरान ही करदाता के डिजिटल या सोशल मीडिया खातों और कंप्यूटर उपकरण तक पहुंच हासिल कर उनकी जांच कर सकेंगे। आयकर विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को बताया, ऐसी शक्तियां 1961 के अधिनियम में पहले से मौजूद हैं। इन्हें आयकर बिल में सिर्फ दोहराया गया है। इसका मकसद आम करदाताओं की ऑनलाइन गोपनीयता का उल्लंघन करना नहीं है।

अधिकारी ने बताया, छापे या तलाशी अभियान के दौरान भी इस शक्ति का इस्तेमाल तभी किया जाएगा, जब करदाता डिजिटल स्टोरेज ड्राइव, ईमेल, क्लाउड और वॉट्सएप या टेलीग्राम जैसे संचार प्लेटफॉर्म के पासवर्ड साझा करने से इन्कार करेगा। अगर किसी करदाता का मामला जांच के दायरे में आ जाए, तो भी उसकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी।

आयकर अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल खातों से साक्ष्य जुटाना न सिर्फ कोर्ट के समक्ष टैक्स चोरी साबित करने के लिए जरूरी है, बल्कि उस रकम की सही गणना के लिए भी आवश्यक है। 


दावा बेबुनियाद... ऐसी खबरें डर फैलाने के लिए

अधिकारी ने कुछ मीडिया रिपोर्ट और विशेषज्ञों के उस दावे को खारिज किया कि कर अधिकारियों को करदाताओं के ईमेल, सोशल मीडिया हैंडल और क्लाउड स्टोरेज स्पेस सहित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंच हासिल करने के अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ऐसी खबरें सिर्फ डर फैलाने के लिए हैं। आयकर विभाग करदाता के सोशल मीडिया खाते या ऑनलाइन गतिविधियों की जासूसी नहीं करता है। 


जांच के दौरान भी लागू नहीं होते प्रावधान

नए आयकर बिल-2025 की धारा 247 एक प्राधिकृत अधिकारी को कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस (वीडीएस) के एक्सेस कोड को ओवरराइड कर पहुंच प्राप्त करने का अधिकार देती है। हालांकि, वर्चुअल डिजिटल स्पेस से जुड़े प्रावधान उन मामलों पर भी लागू नहीं होते हैं, जिनकी जांच चल रही है। इसे सिर्फ छापे या तलाशी प्रक्रिया के दौरान ही लागू किया जाता है। वह भी कार्रवाई शुरू होने से पहले नहीं।


इन अधिकारियों को डाटा तक पहुंचने का अधिकार : इन खातों तक पहुंच का अधिकार संयुक्त निदेशक या अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त आयुक्त या अतिरिक्त आयुक्त, सहायक निदेशक या उप निदेशक, सहायक आयुक्त या उपायुक्त या आयकर अधिकारी या कर वसूली अधिकारी को होगा।

साक्ष्य जुटाने के लिए डिजिटल उपकरणों तक पहुंच जरूरी

अधिकारी ने कहा, स्मार्ट इंटरनेट आधारित उपकरणों और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिये टैक्स चोरी और इससे जुड़े अपराध करने के तरीके नए स्तर पर पहुंच गए हैं। ऐसे में तलाशी और छापे जैसी कार्रवाई के दौरान डिजिटल उपकरणों एवं स्थानों तक पहुंच प्राप्त करना साक्ष्य खोजने के लिए महत्वपूर्ण है।


एक फीसदी करदाता ही जांच के दायरे में

अधिकारी ने बताया, डाटा के लिहाज से छापे की संख्या सीमित है। आयकर विभाग एक वित्त वर्ष में करीब 100-150 तलाशी और छापेमारी करता है। यह कार्रवाई किसी आम करदाता या संस्था को लक्ष्य बनाकर नहीं की जाती है।

सालाना दाखिल किए जाने वाले करीब 8.79 करोड़ आयकर रिटर्न (आईटीआर) में से सिर्फ करीब एक फीसदी ही जांच के दायरे में आते हैं।



दावा: आयकर अधिकारियों को अतिरिक्त अधिकार नहीं

10 मार्च 2025
नई दिल्ली । केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि आयकर विधेयक 2025 में आयकर अधिकारियों को ईमेल, सोशल मीडिया और डिजिटल स्पेस तक पहुंचने के लिए नए अधिकार देने की बात गलत है। उन्होंने बताया कि ये प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं और नए बिल में सिर्फ उन्हें स्पष्ट तरीके से दोहराया गया है।

सूत्रों का कहना है कि आयकर अधिनियम-1961 की धारा 132 के तहत अधिकृत अधिकारी को पहले से ही यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी व्यक्ति से, जिसके पास बही-खाते, दस्तावेज या अन्य रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद हैं, उन्हें जांचने और जरूरत पड़ने पर जब्त करने की सुविधा प्राप्त कर सके।



New Income Tax Bill 2025 : सोशल मीडिया, बैंक व ट्रेडिंग खाते खंगाल सकेगा आयकर विभाग, नए इनकम टैक्स बिल-2025 में कर अधिकारियों को मिले हैं कई कानूनी अधिकार

01 अप्रैल, 2026 से लागू होगा नया आयकर बिल, संपत्ति जब्त का भी अब अधिकार

अज्ञात आय पर लॉकर और तिजोरी भी तोड़ सकेंगे अधिकारी

5 मार्च 2025
नई दिल्ली। नया वित्त वर्ष 2025-26 अप्रैल से शुरू होने वाला है। नए वित्त वर्ष से सभी मामलों में सावधानी बरतने की जरूरत है और खासकर आयकर के मोर्चे पर। ऐसा इसलिए क्योंकि, आयकर विभाग को एक अप्रैल, 2026 से आपके सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल, ऑनलाइन निवेश, बैंक और ट्रेडिंग खातों आदि तक पहुंचने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा। विभाग को ऐसे अधिकार देने की व्यवस्था नए आयकर बिल-2025 में की गई है।

दरअसल, अभी आपके व्यक्तिगत खातों तक आयकर विभाग को पहुंचने का अधिकार नहीं है। पर, नए आयकर बिल में मिले अधिकार के तहत विभाग आपके सभी खातों को एक्सेस कर सकता है। अगर विभाग को संदेह है कि आपने कर चोरी की है या आपके पास कोई अघोषित आय, धन, सोना, आभूषण या मूल्यवान वस्तु या संपत्ति है, जिस पर आपने कर का भुगतान नहीं किया है, तो विभाग ये सभी खाते खंगाल सकता है।

मौजूदा आईटी अधिनियम-1961 का सेक्शन-132 कर अधिकारियों को तलाशी लेने और संपत्तियों-खातों को जब्त करने की मंजूरी देता है।

आयकर विल के क्लॉज-247 के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति के पास अज्ञात आय, संपत्ति या खातों से संबंधित कोई जानकारी लॉकर, तिजोरी या बक्से में बंद है और उसकी चाबी नहीं है तो आयकर विभाग के पास उसे तोड़ने का भी अधिकार है। वे किसी भी इमारत और स्थान पर प्रवेश कर तलाशी ले सकते हैं।

■ अगर किसी लॉक का एक्सेस कोड उपलब्ध नहीं है तो आयकर अधिकारी उसे भी तोड़ सकते हैं या अपने तरीके से खोल सकते हैं।

■ आयकर अधिकारी ऐसी जानकारियों के एक्सेस के लिए आपके कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल स्पेस तक को खंगाल कर टैक्स चोरी से संबंधित जरूरी सूचनाएं हासिल कर सकते हैं।


इन अधिकारियों को डाटा तक पहुंचने का होगा अधिकार

नए आयकर बिल के तहत आपके निजी डाटा तक पहुंचने का अधिकार जिन अधिकारियों को दिया गया है, उनमें संयुक्त निदेशक या अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त आयुक्त या अतिरिक्त आयुक्त, सहायक निदेशक या उप निदेशक, सहायक आयुक्त या उपायुक्त या आयकर अधिकारी या कर वसूली अधिकारी शामिल हैं।


नए बिल में वर्चुअल डिजिटल स्पेस पर स्पष्टता जरूरी

जानकारों का कहना है कि नए आयकर बिल के तहत वर्चुअल डिजिटल स्पेस यानी वीडीएस का विस्तार सांविधानिक वैधता और प्रवर्तन के संबंध में महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा करता है। हालांकि सरकार इसे कर चोरी और अघोषित डिजिटल संपत्तियों पर अंकुश लगाने के उपाय के रूप में उचित ठहरा सकती है, लेकिन वीडीएस की अस्पष्ट परिभाषा अनिवार्य रूप से किसी व्यक्ति की वित्तीय और निजी डिजिटल तक पहुंच निगरानी की अनुमति देती है।

सुरक्षा उपायों के बिना यह नया बिल वित्तीय जांच और व्यक्तिगत गोपनीयता अधिकारों के बीच टकराव पैदा करता है। इससे संभावित रूप से कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं और भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास कम हो सकता है।



रिटर्न में आय कम दिखाई, खर्चों ने खोली पोल, पकड़ना हुआ आसान

नई दिल्ली । आयकर रिटर्न के दौरान आमदनी दिखाने में हेराफेरी हो रही है। खर्चों की तुलना में आमदनी को काफी कम दिखाया जा रहा है। आयकर विभाग ने बीते कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में कई ऐसे मामलों को पकड़ा है, जिसमें आमदनी की तुलना में खर्च दो से तीन गुना तक पाए गए।

विभाग ने आयकरदाता के वाहन पर लगे फास्टैग से यात्रा, यूपीआई से लेनदेन और पासपोर्ट के जरिए विदेश यात्रा तक की जानकारी जुटाई। उसके बाद रिटर्न दाखिल करने वाले आयकरदाता और उसके परिवार के सदस्यों का सालाना खर्च जोड़ा गया तो पूरा मामला पकड़ में आया। आयकर विभाग ऐसी संदिग्ध आयकर रिटर्न की जांच कर रहा है, जिनमें आमदनी को सीमित करके दिखाया गया।

ऐसे मामलों में कर चोरी को पकड़ने के लिए विभाग ने एक मैन्युअल तैयार किया, जिसमें तय किया गया कि आयकरदाता के स्वयं और परिवारों के सालाना खर्च को खंगाला जाए। पहले चरण की जांच में पता चला कि खर्च आमदनी से करीब तीन गुना तक है।

इतना ही नहीं, लोग घरेलू खर्च में भी हेराफेरी कर रहे हैं। घर आयकरदाता या परिवार के किसी सदस्य के नाम पर है लेकिन उसका आवास कर, मैंटेनेंस और रसोई गैस तक का बिल अपने कर्मचारी या अन्य व्यक्ति के नाम पर चालू किए गए बैंक खाते व यूपीआई से चुकाया जा रहा है। ऐसे करदाता संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।


ऐसे पकड़े गए फर्जीवाड़ा करने वाले मामले

एक कारोबारी द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में आमदनी 10 लाख रुपये से कम दिखाई गई। विभाग ने परिवार के सदस्यों और उनके बैंक खातों और यूपीआई लेनदेन की जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि परिवार में पांच सदस्य हैं, जिनमें से कमाने वाला एक है। सभी के यूपीआई से करीब आठ लाख रुपया खर्च हुआ। दो बच्चों की पढ़ाई पर वर्ष में चार से पांच लाख खर्च किया गया लेकिन उसका करीब 20 फीसदी हिस्सा ही खाते से दिखाया गया। फास्टैग से पता चला कि उनके दोनों वाहन एक वर्ष में करीब 70 हजार किलोमीटर चले, जिनका ईधन खर्च ही साढ़े चार से पांच लाख रुपये का हुआ। लेकिन उसे खाते से नहीं दिखाया गया।


नौकरों के यूपीआई से किया जा रहा भुगतान

कुछ मामलों में देखा गया कि ये लोग घरेलू खर्चों के लिए अपने कर्मचारियों व नौकरों की यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। आयकरदाताओं से बीते तीन वर्षों में घर के गैस कनेक्शन का भुगतान बिल, इंटरनेंट खर्च, घर का मैंटेनेंस भुगतान रसीद मांगी गई तो पता चलता कि भुगतान परिवार के सदस्य के यूपीआई आईडी एवं बैंक खाते से नहीं किया गया।


पकड़ना हुआ आसान

1. एक वर्ष में वाहन कितने किलोमीटर चला, कहां यात्रा की और उस यात्रा का औसत खर्च फास्टैग से निकालना अब आसान हुआ।

2. यूपीआई से कई मामलों में नियमित खर्चों का लिंक पकड़ा गया, लेकिन यूपीआई से सिर्फ एक बार खर्च दिखाया गया।

3. एक मामले में यूपीआई के जरिए कोचिंग की एक महीने की फीस भरी लेकिन बाद में उसका भुगतान नकद में किया गया।

4. यात्रा पर गए लेकिन खर्च नहीं दिखाया। फास्टैग से जानकारी मिली कि वह परिवार के साथ यात्रा पर थे लेकिन होटल का बिल, खाने-पीने और शॉपिंग का खर्च नकद में किया गया।

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