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Monday, February 12, 2024

केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए कमेटी हुई गठित

चेतावनी हेतु 'रिले हंगर स्ट्राइक' के बाद भी सरकार ने साधा मौन

पुरानी पेंशन की लड़ाई में  रेलवे-रक्षा सहित दूसरे सरकारी महकमों में कब से होगी हड़ताल?  ये 'सात' चेहरे करेंगे तय

केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए कमेटी हुई गठित 



देश में 'पुरानी पेंशन' बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार को ओपीएस लागू करने के लिए छह सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। यह अहम निर्णय, सात फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित हुई नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया था। 


केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस देने और स्ट्राइक की तिथि घोषित करने के लिए दो दिन के भीतर एक कमेटी के गठन की बात कही गई थी। अब वह कमेटी गठित कर दी गई है। कमेटी में विभिन्न कर्मचारी संगठनों के सात पदाधिकारियों को शामिल किया गया है। इस कमेटी की बैठक जल्द बुलाई जाएगी। बैठक की अध्यक्षता, एनजेसीए के कन्वीनर शिवगोपाल मिश्रा ने की थी। 


ये सात लोग तय करेंगे स्ट्राइक की तिथि 
इस महत्वपूर्ण कमेटी में शिव गोपाल मिश्रा, कन्वीनर (जीएस/एआईआरएफ), डॉ. एम राघवैया, को-कन्वीनर (जीएस/एनएफआईआर), कामरेड एसएन पाठक, अध्यक्ष एआईईडीएफ, कामरेड अशोक सिंह, अध्यक्ष आईएनडीडब्लूएफ, कारमेड रूपक सरकार, आईटीईएफ/कॉन्फेडरेशन, कारमेड गीता पांडे, अध्यक्ष एआईपीटीएफ और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद यूपी के अध्यक्ष कारमेड हरि किशोर तिवारी को शामिल किया गया है। यह कमेटी तय करेगी कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए अब अगला कदम क्या हो। साथ ही देश में अनिश्चितकालीन स्ट्राइक की तिथि, यह तय करने का अधिकार भी इस कमेटी को दिया गया है। एनजेसीए के पदाधिकारियों का कहना है, अगर इस अवधि में पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती है तो देशभर में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु हो जाएगी। इस स्थिति में रेल संचालन और रक्षा क्षेत्र के उद्योगों सहित तमाम सरकारी विभागों में कामकाज बंद हो जाएगा। 


पिछले साल से जारी है ओपीएस की लड़ाई 
केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों के कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली के लिए गत वर्ष से ही आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने विभिन्न तरीकों से अपनी बात, सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है। ओपीएस के लिए गठित नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति के वरिष्ठ सदस्य और एआईडीईएफ के महासचिव सी.श्रीकुमार का कहना है, नई दिल्ली के रामलीला मैदान में गत वर्ष दस अगस्त को सरकारी कर्मियों की विशाल रैली हुई थी। उस रैली में लाखों कर्मियों ने हिस्सा लिया था। एक अक्तूबर को रामलीला मैदान में ही 'पेंशन शंखनाद महारैली' आयोजित की गई। इसका आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के बैनर तले हुआ था। एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा, पुरानी पेन्शन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। इसके बाद तीन नवंबर को कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले रामलीला मैदान में ही तीसरी रैली आयोजित की गई। इस रैली में ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित कई कर्मचारी संगठनों हिस्सा लिया था। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के बैनर तले 10 दिसंबर को ऑल इंडिया एनपीएस इम्पलाइज फेडरेशन द्वारा जंतर मंतर पर रैली आयोजित की गई। इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने रैली को संबोधित किया था। 


अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए सहमति 
एआईडीईएफ के महासचिव सी.श्रीकुमार के मुताबिक, लोकसभा चुनाव से पहले 'पुरानी पेंशन' लागू नहीं होती है तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक है। देश के दो बड़े कर्मचारी संगठन, रेलवे और रक्षा (सिविल) ने अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए अपनी सहमति दे दी है। स्ट्राइक बैलेट में रेलवे के 11 लाख कर्मियों में से 96 फीसदी कर्मचारी ओपीएस लागू न करने की स्थिति में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा रक्षा विभाग (सिविल) के चार लाख कर्मियों में से 97 प्रतिशत कर्मी, हड़ताल के पक्ष में है। 20 और 21 नवंबर को 400 डिफेंस यूनिट, 7349 रेलवे स्टेशन, मंडल व जोनल दफ्तर, 42 रेलवे वर्कशॉप और सात रेलवे प्रोडेक्शन यूनिटों पर स्ट्राइक बैलेट के तहत वोट डाले गए थे। विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठन एवं राज्यों की एसोसिएशन भी ओपीएस के मुद्दे पर एक साथ आ गई हैं।  


चेतावनी हेतु 'रिले हंगर स्ट्राइक' के बाद भी सरकार मौन 
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने आठ जनवरी से 11 जनवरी तक 'रिले हंगर स्ट्राइक' की थी। इसका मकसद, सरकार को चेताना था। नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के कन्वीनर शिवगोपाल मिश्रा ने 'रिले हंगर स्ट्राइक' के अंतिम दिन सरकार को चेतावनी दे दी थी कि ओपीएस बहाली के लिए अब कोई धरना प्रदर्शन नहीं होगा। सरकार हमें, अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर कर रही है। देश में अगर 1974 की रेल हड़ताल जैसा माहौल बना तो उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। उसके बाद सात फरवरी को एनजेसीए की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में देश भर में होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की तिथि तय करने और सरकार को स्ट्राइक नोटिस देने बाबत चर्चा हुई। श्रीकुमार के मुताबिक, बैठक में मौजूद सभी संगठन, अनिश्चिकालीन हड़ताल करने के पक्ष में हैं। स्ट्राइक की तिथि तय करना और सरकार को नोटिस देना, इसके लिए एक छोटी कमेटी गठित की जा रही है। अगर सरकार ने छह सप्ताह में कर्मियों की मांग नहीं मानी तो देश में हड़ताल तय है। 


डस्टबिन है एनपीएस, मंजूर नहीं संशोधन
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है, केंद्र सरकार एनपीएस में संशोधन करने जा रही है। हम ऐसे किसी भी संशोधन के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। कर्मियों को गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। अगर कोई भी कर्मचारी नेता या संगठन, सरकार के एनपीएस में संशोधन प्रस्ताव पर सहमत होते हैं तो '2004' वाली गलतियां, '2024' में भी दोहराई जाएंगी। एनपीएस एक डस्टबीन है। करोड़ों कर्मियों का दस प्रतिशत पैसा और सरकार का 14 प्रतिशत पैसा, डस्टबीन में जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली तक, कर्मियों का आंदोलन जारी रहेगा। वित्त मंत्रालय की कमेटी की रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। यह रिपोर्ट पेश हो या न हो। इससे कर्मियों को कोई मतलब नहीं है। वजह, यह कमेटी ओपीएस लागू करने के लिए नहीं, बल्कि एनपीएस में सुधार के लिए गठित की गई थी। 


कमेटी इन विषयों पर तैयार कर रही रिपोर्ट
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में नई पेन्शन योजना बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के मौजूदा ढांचे और संरचना, जैसा सरकारी कर्मचारियों के ल्रिए लागू है, के आलोक में, क्या उसमें किसी प्रकार के बदलाव किए जाने उचित हैं, इस बाबत वित्त मंत्रालय की कमेटी विचार कर रही है। यदि कमेटी द्वारा एनपीएस में बदलाव की सिफारिश की जाती है तो उसमें वित्तीय निहितार्थों और समग्र बजटीय गुंजाइश पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखा जाएगा। कमेटी का कार्य ऐसे उपाय सुझावित करना है, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत शामिल सरकारी कर्मचारियों के पेंशन संबंधी लाभों में सुधार लाने के दष्टिगत संशोधन करने के लिए उपयुक्त हों, ताकि सामान्य नागरिकों के संरक्षण के मद्देनजर वित्तीय विवेक को कायम रखा जा सके।

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