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Sunday, April 9, 2023

पुरानी पेंशन : विपक्ष मान रहा मजूबत हथियार, सरकार भी समीक्षा को हुई तैयार

पुरानी पेंशन : विपक्ष मान रहा मजूबत हथियार,  सरकार भी समीक्षा को हुई तैयार

कई राज्यों के चुनाव में अपनी अहमियत साबित कर चुका है यह मुद्दा


लखनऊ। सरकारी कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन पर सियासत रफ्तार पकड़ रही है। विपक्षी दल लोकसभा चुनाव को देखते हुए इसे मजबूत हथियार मानकर चल रहे हैं। वहीं, सरकार ने भी नई पेंशन स्कीम में सुधारों के लिए समीक्षा का एलान कर दिया है। हालांकि, कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन की बहाली से कम की मांग  पर तैयार नहीं हैं। राज्यों के चुनाव में अपनी अहमियत को साबित कर चुके इस मुद्दे पर सियासतदां को अपने-अपने तर्क रखने ही होंगे।


बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) का समर्थन करके मुद्दे को पुनः गर्मा दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही सत्ता मिलने पर ओपीएस लागू करने का वादा कर चुके हैं। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने में ओपीएस का अहम योगदान माना जाता है। पंजाब के साथ ही छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी पुरानी पेंशन बहाल की जा चुकी है।

दरअसल केंद्र की एनडीए सरकार ने 1 अप्रैल 2004 को अपने कर्मियों के लिए एनपीएस लागू की उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने 1 अप्रैल 2005 से इसे लागू कर दिया। दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्यों को यह विकल्प दिया था कि एनपीएस को लागू करना उनकी इच्छा पर निर्भर है। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में नई व्यवस्था आज तक लागू नहीं हुई है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन को लेकर अपनी आवाज तेज करते जा रहे हैं।


वित्त मंत्री खन्ना पुरानी पेंशन पर जता चुके हैं मजबूरी

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा के बजट सत्र में एक सवाल के जवाब में कहा कि एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर पाना संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश में एनपीएस के अंतर्गत जनवरी 2023 तक 5.95 लाख सरकारी कर्मचारियों और सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के 3.50 लाख कर्मचारियों का पंजीकरण हो चुका है। सरकारी कर्मचारियों के प्रान खातों में 28836 करोड़ रुपये और स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों के प्रान खातों में 14262 करोड़ की राशि जमा हो चुकी है।


सरकार अपने अंशदान से ही दे सकती है ज्यादा पेंशन l

लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रो. सोमेश कुमार शुक्ला की अगुवाई में शोधार्थियों की एक टीम का हाल ही में पुरानी और नई पेंशन स्कीम की तुलना करते हुए एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है। जिसमें निष्कर्ष के तौर पर कहा गया है कि अगर सरकार एनपीएस के तहत दिए जा रहे अपने शेयर की ही 7 प्रतिशत की वर्तमान ब्याज दर वाले एनएससी (राष्ट्रीय बचत पत्र) में निवेशित कर दे, तो सभी कार्मिकों को पुरानी पेंशन स्कीम के मुकाबले ज्यादा पेंशन व अन्य लाभ दिए जा सकते हैं।


शोध पत्र में कहा गया है कि इसके लिए सरकार को पेंशन स्कीम में नियोक्ता और कार्मिक के अंश का प्रबंध करने के लिए वित्तीय संगठन, ट्रस्ट या संस्थान बनाना होगा। सरकार को रिकरिंग फंड (सावधि जमा) का तंत्र विकसित करना होगा, जिसे सुनिश्चित रिटर्न प्लान में निवेश करना होगा। वहीं, कार्मिक के अंशदान को उसे सुनिश्चित रिटर्न के साथ वापस किया जा सकता है। शोध पत्र में यह भी कहा गया है कि वर्तमान पेंशन स्कीमों (एनपीएस, ओपीएस, ईपीएफओ व ईपीएफ) में बदलाव किए जाने की आवश्यकता है, ताकि प्रत्येक सेवानिवृत्त कार्मिक के लाभों में एकरूपता लाई जा सके। इससे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार भी स्थापित हो सकेगा।



सुधार से भी फायदेमंद नहीं हो सकती एनपीएस

कर्मचारियों और शिक्षकों को पुरानी पेंशन ही चाहिए। नई पेंशन स्कीम में सुधार करके भी यह उनके लिए फायदेमंद नहीं हो सकती। इसलिए इस तरह की केंद्र की कवायद हमारे लिए उपयोगी नहीं है अतुल मिश्रा, महामंत्री, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद


पुरानी पेंशन से कम कुछ भी मंजूर नहीं

सरकार कह रही है कि कर्मचारियों के लिए एनपीएस अच्छी है, कर्मचारी कह रहे हैं कि पुरानी पेंशन ही उनके लिए मुफीद है। जब सरकार की नजर में जो अच्छा है, उसे कर्मचारी पसंद ही नहीं कर रहे हैं तो सरकार उनके लिए खराब व्यवस्था पानी पुरानी पेंशन व्यवस्था ही लागू कर दे। हरिकिशोर तिवारी, अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद



पुरानी पेंशन बहाली मामले का समाधान जरूरी: मायावती

लखनऊ। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पुरानी पेंशन बहाली मामले का जल्द समाधान करने की मांग की है। शनिवार को जारी बयान में उन्होंने कहा कि देश भर में आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी भी महंगाई से त्रस्त हैं। केंद्र व यूपी सहित विभिन्न राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। इसका समाधान होना बहुत जरूरी है। बीएसपी भी यह मांग करती है। महंगाई के साथ गरीबी, सही नीपत व नीति के साथ काम करना जरूरी है। ऐसी जन समस्याएं भाषणबाजी से नहीं हल होती हैं। खासकर तब जब यूपी में डबल इंजन की सरकार में जनता डबल परेशान है। इसका समाधान जरूरी है।

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