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Sunday, April 30, 2023

आउटसोर्स कर्मचारियों को भी दें न्यूनतम वेतनमान : हाईकोर्ट; कहा- राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती

आउटसोर्स कर्मचारियों को भी दें न्यूनतम वेतनमान : हाईकोर्ट

कहा- राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती



लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि सेवा प्रदाता एजेंसियों के जरिए रखे गए दैनिक वेतन भोगी (आउटसोर्स) कर्मी को न्यूनतम वेतनमान देने की कानूनी बाध्यता की जिम्मेदारी से राज्य सरकार मुंह नहीं मोड़ सकती। कर्मियों के हित में इस अहम नजीर के साथ कोर्ट ने बागवानी व खाद्य प्रसंस्करण विभाग को आदेश दिया कि दैनिक वेतन भोगी कर्मी प्रेमचंद्र को उसके समान कार्यरत अन्य कर्मियों की तरह न्यूनतम वेतनमान प्रदान करे।


न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने यह फैसला व आदेश प्रेमचंद्र की याचिका पर दिया। याची राज्य टिशू कल्चर प्रयोगशाला के वैज्ञानिक विभाग में दैनिक वेतन भोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मी के रूप में बतौर माली कार्यरत है। उसने अपने समान कार्यरत कर्मियों की तरह न्यूनतम वेतनमान की मांग के साथ विभाग को प्रत्यावेदन दिया था पर विभाग के निदेशक ने नियम का हवाला देते हुए न्यूनतम वेतनमान देने से इन्कार कर दिया था। इसके खिलाफ याची हाईकोर्ट पहुंचा।


 उधर, सरकारी वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि याची एक सेवा प्रदाता एजेंसी के जरिए कार्यरत है। ऐसे में वह न्यूनतम वेतनमान पाने का हकदार नहीं है। कोर्ट ने विभाग के निदेशक का 15 जुलाई, 2019 का आदेश निरस्त कर नजीर के साथ याचिका को मंजूर कर लिया है।


प्रदेश में तीन लाख आउटसोर्स कर्मी

■ श्रम विभाग के 30 सितंबर, 2022 के शासनादेश के अनुसार, अकुशल श्रमिक की मजदूरी 9743 रुपये, अर्धकुशल की 10717 व कुशल की 12005 रुपये प्रतिमाह निर्धारित की गई है।

■ वर्तमान में प्रदेश में विभिन्न विभागों में आउटसोर्सिंग पर करीब तीन लाख कर्मी कार्यरत हैं। इन कर्मियों के लिए 2022-23 में 1017 करोड़ और 2023-24 में 1135 करोड़ों रुपये का प्रावधान किया गया है। आउटसोर्सिंग के लिए सेवा प्रदाता का चयन जेम पोर्टल के माध्यम से किया जाता है।

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