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Thursday, January 19, 2023

Old Pension: अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन लागू करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई सरकार तो चुनाव पर पड़ेगा असर? PM मोदी से 26 जनवरी को पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करने की मांग

Old Pension: अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन लागू करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई सरकार तो चुनाव पर पड़ेगा असर? PM मोदी से 26 जनवरी को पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करने की मांग


केंद्रीय अर्धसैनिक बलों 'सीएपीएफ' में पुरानी पेंशन (Old Pension) व्यवस्था लागू करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने जो अहम फैसला दिया है, उसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन एवं सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने ऐसी संभावना जताई है। 


सिंह के मुताबिक, पुरानी पेंशन बहाली को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के विरुद्ध अगर केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट का रुख करती है, तो यह कदम आने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भारी असर डालेगा। इतना ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। पूर्व एडीजी ने सरकार को याद दिलाया है कि किस तरह महज एक फीसदी वोट के अंतर से हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सत्ता खिसक गई। हिमाचल के विधानसभा चुनाव में 'ओपीएस' एक बड़ा मुद्दा बना था।


ओपीएस पर हिमाचल प्रदेश का उदाहरण सामने है

पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' माना है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में लागू 'एनपीएस' को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई है। जब सीएपीएफ 'भारत संघ के सशस्त्र बल' हैं, तो वे पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में आ जाएंगे। पूर्व एडीजी एचआर सिंह के अनुसार, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार इस एतिहासिक फैसले के विरुद्ध, सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। देश में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार व उनके पड़ोसी, रिश्तेदार एवं चाहने वाले, जिनकी आबादी पांच प्रतिशत है, यह संख्या चुनाव में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाएगी। सत्ता खिसकने के लिए एक फीसदी वोट ही काफी होते हैं। हिमाचल प्रदेश का चुनाव, यह उदाहरण सभी के सामने है।


एनपीएस में तीन या चार हजार रुपये पेंशन मिलेगी

फेडरेशन के महासचिव रणबीर सिंह कहते हैं, सरकारें भूल रही हैं कि निर्वाचन आयोग के आदेश के मुताबिक, पोलिंग बूथ पर सिर्फ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात किए जाते हैं। ये जवान, चुनावों में बराबर निष्पक्ष भूमिका निभाते आए हैं। जब एक सिपाही चालीस साल तक देश की सेवा करने के बाद रिटायर होता है, तो बिना पेंशन के उसकी गुजर बसर कैसे होगी। देश के सामने यह एक गंभीर सवाल है। एनपीएस तो शेयर व बाजार भाव पर टिकी है। मौजूदा समय में बाजार भाव की पतली हालत से सभी वाकिफ हैं। 2004 के बाद सेवा में आए नई पेंशन पाने वाले जवानों की रिटायरमेंट की शुरुआत 2024 में हो जाएगी। तब पता चलेगा कि उन्हें तीन या चार हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। इतनी पेंशन तो तब मिलती थी, जब भारत एक गरीब देश था। पांच ट्रिलियन इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे देश में क्या आज भी वही पेंशन मिलेगी।


मांग : 26 जनवरी को पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा हो

रणबीर सिंह का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रधानमंत्री मोदी, सीएपीएफ के लिए 26 जनवरी को पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा करें। पुरानी पेंशन योजना को लेकर अब केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन एकजुट हो गए हैं। अब ओपीएस पर आरपार की लड़ाई होगी। 


केंद्र सरकार में 'स्टाफ साइड' की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा की अध्यक्षता में सात जनवरी को नई दिल्ली के प्यारेलाल भवन में हुई बैठक में ओपीएस बहाली की मांग को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए हैं। पुरानी पेंशन के मुद्दे पर जो आंदोलन होगा, वह केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि राज्यों की राजधानियों और जिला स्तर तक किया जाएगा। 21 जनवरी को नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्सन (एनजेसीए) की नेशनल कन्वेंशन की बैठक होगी। एनजेसीए ने केंद्र को आठ माह का समय दिया है। अगर इस अवधि में पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है तो 19 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा।


14 फरवरी को पुलवामा डे पर होगा प्रदर्शन

कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा 14 फरवरी को पुलवामा डे पर दिल्ली में प्रदर्शन होगा। रणबीर सिंह ने बताया, यह प्रदर्शन जंतर-मंतर पर आयोजित किया जाएगा। इसमें पुरानी पेंशन बहाली, वन रैंक वन पेंशन, अर्ध सेना झंडा दिवस कोष, अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड व अर्धसैनिक स्कूल का गठन, रिटायर्ड जवानों को एक्स मैन का दर्जा और शहादत में भेदभाव आदि मुद्दे शामिल रहेंगे। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ 'एआईडीईएफ' के महासचिव और 'स्टाफ साइड' की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य सी. श्रीकुमार ने कहा, जो लोग एनपीएस जारी रखने की वकालत कर रहे हैं, वे पुरानी पेंशन योजना के लाभार्थी हैं। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि एनपीएस कर्मचारियों को अपनी पूरी सेवा के दौरान हर महीने अपने वेतन का 10 फीसदी अंशदान करने के बाद 2000 रुपये से 5000 रुपये की मामूली पेंशन मिल रही है। एनपीएस एक श्रम-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक योजना है। इसका कर्मियों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। आवश्यक वस्तुओं की बेकाबू कीमतों में इतनी सी रकम से कोई व्यक्ति कैसे जिंदा रह सकता है। चार लेबर कोड, फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट और ईपीएस-95 मिनिमम पेंशन बढ़ाने की मांग को खारिज करना, ये सभी तथाकथित सुधार हैं। बतौर श्रीकुमार ये तथाकथित सुधार, कॉरपोरेट्स की कर देनदारी को कम कर रहे हैं। उनके व्यापार करने में आसानी हो, इसके लिए विभिन्न कानूनों को कम किया जा रहा है।

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