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Monday, January 23, 2017

आखिर नई पेंशन का विरोध क्यों है? रिटायरमेंट के समय अंतिम वेतन का 50 फीसदी पेंशन की कोई गारंटी नहीं होने से उपजा असुरक्षा का भाव

7:05 AM

⚫  करीब पांच लाख कर्मचारी और शिक्षक पुरानी पेंशन से महरूम, पुरानी पेंशन क्यों है लाखों का मुद्दा?

⚫  आखिर नई पेंशन का विरोध क्यों है?

⚫  रिटायरमेंट के समय अंतिम वेतन का 50 फीसदी पेंशन की कोई गारंटी नहीं होने से उपजा असुरक्षा का भाव


लाखों कर्मचारियों और शिक्षकों को पुरानी पेंशन न मिलना वाकई बड़ा मुद्दा है। केंद्र सरकार ने पहली अप्रैल 2004 को पुरानी पेंशन खत्म कर नई पेंशन योजना शुरू की। इसी क्रम में यूपी सरकार ने ठीक एक साल बाद पहली अप्रैल 2005 को पुरानी पेंशन योजना खत्म कर नई पेंशन योजना शुरू की। यानी पहली अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त करीब पांच लाख कर्मचारी और शिक्षक पुरानी पेंशन से महरूम हैं।

पुरानी पेंशन खत्म कर नई पेंशन योजना वर्षों बाद भी ठीक से शुरू न होना भी एक मुद्दा है। पुरानी पेंशन क्यों है लाखों का मुद्दा? पुरानी पेंशन कर्मचारी शिक्षकों के रिटायर होने के बाद जीवन जीने के लिए सरकार की ओर से एक गारंटी है। यह गारंटी एक निश्चित धनराशि के रूप में कर्मचारी-शिक्षक को रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलती है। इसके बावजूद रिटायर होने पर अंतिम वेतन का कम से कम पचास फीसदी धन प्रतिमाह पेंशन के रूप में मिलता है। समय-समय पर महंगाई राहत भी मिलती है। इससे रिटायर कर्मचारी-शिक्षक आराम से अपना जीवन जी सकता है। जीपीएफ भी मूल वेतन का दस फीसदी कटता है और रिटायर होने के बाद ब्याज सहित लाखों रुपये मिलता है। न्यूनतम दस साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी मिलती है। जीपीएफ से बीमारी, शादी व मकान बनाने के लिए धनराशि निकाली जा सकती है। लेकिन यह लाभ केवल पहली अप्रैल 2005 से पहले नियुक्त कर्मचारी और शिक्षकों के लिए ही है।

नई पेंशन का विरोध क्यों है? नई पेंशन योजना में दस फीसदी कर्मचारी-शिक्षक के वेतन से कटेगा और दस फीसदी सरकार अपना हिस्सा देगी। जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) की व्यवस्था खत्म कर दी गई। ग्रेच्युटी की व्यवस्था भी खत्म कर दी गई। कुल जमा धनराशि का 60 फीसदी नगद मिलेगा और 40 फीसदी सरकार के खाते में (टीयर-2) में ही जमा रहेगा। इस खाते से मिलने वाली ब्याज से ही पेंशन मिलेगी यानी रिटायरमेंट के समय अंतिम वेतन का 50 फीसदी पेंशन की कोई गारंटी नहीं। इससे कर्मचारी शिक्षकों में रिटायरमेंट के बाद जीवन असुरक्षित होने की भावना बढ़ी है। पहले इस चालीस फीसदी धनराशि को शेयर में अनिवार्य रूप से लगाया जाना था, लेकिन विरोध के बाद यह कर्मचारी की इच्छा पर निर्भर कर दिया गया। यह 40 फीसदी धनराशि रिटायर कर्मचारी को नहीं मिलेगी, बल्कि उसकी मौत के बाद परिवारवालों को मिलेगी।

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