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Friday, August 5, 2022

दिव्यांगों को पदोन्नति में तीन से बढ़ाकर चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला, शासनादेश देखें

निशक्तता के आधार पर नहीं रोक सकेंगे किसी की पदोन्नति

शासन ने जारी किए नौकरियों में दिव्यांगों के आरक्षण के विस्तृत दिशा-निर्देश

लखनऊ। प्रदेश में सरकारी नौकरियों में किसी भी कार्मिक को निशक्तता के आधार पर पदोन्नति से मना नहीं किया जा सकता है। पदोन्नति में दिव्यांग कर्मचारियों का आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किए जाने के संबंध में शासन ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अपर मुख्य सचिव, कार्मिक डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से इसका शासनादेश जारी किया गया है।

शासनादेश के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी सेवा में रहते हुए दिव्यांग होता है तो न तो उसे सेवा से निकाला जाएगा और न ही उसकी रैंक में कोई अवनति की जाएगी। अगर कार्मिक दिव्यांगता के कारण दायित्व का निर्वहन नहीं कर पाता है तो समान वेतनमान और सेवाओं के किसी अन्य पद पर उसे शिफ्ट किया जाएगा। किसी अन्य पद पर समायोजन की स्थिति न होने पर उसे एक अधिसंख्य पद पर तब तक रखा जाएगा, जब तक उसके लिए उपयुक्त पद उपलब्ध न हो जाए या वह सेवानिवृत्त न हो जाए।

अगर इस तरह का दिव्यांग कार्मिक उच्च वेतनमान में पदोन्नति के लिए अर्ह हो जाए और किसी अन्य पद के सापेक्ष समायोजित किया जाना संभव न जाएगा। साथ ही जिस पूर्व स्तर के हो तो उसके लिए अगले स्तर का अधिसंख्य पद पर वह तैनात है, अधिसंख्य पद सृजित किया उसे समर्पित किया जाएगा।


40 प्रतिशत या उससे अधिक हो दिव्यांगता

कोई कार्मिक सेवा में आने के बाद दिव्यांग होता है तो वह इस आरक्षण का लाभ पाने का हकदार होगा। बशर्ते दिव्यांगता का स्तर 40 प्रतिशत या उससे अधिक हो। समूह घ से ग, समूह ग से ख और समूह ख से क की पदोन्नतियों में 4 प्रतिशत रिक्तयां दिव्यांग कार्मिकों के लिए आरक्षित होंगी। दिव्यांग कर्मी को सिर्फ इस आधार पर कि कोई रिक्ति उसकी श्रेणी के लिए चिह्नित नहीं है, पदोन्नति से मना नहीं किया जा सकता है।

 पदोन्नति में आरक्षण की गणना अधिष्ठान में रिक्तियों की कुल संख्या के आधार पर होगी। दिव्यांग कर्मियों की पदोन्नति सिर्फ उनके लिए चिह्नित पदों पर ही की जाएगी। अगर कोई विभाग कार्य की प्रकृति के आधार पर किसी प्रतिष्ठान को दिव्यांग कर्मियों के लिए आरक्षण के प्रावधान से मुक्त रखना जरूरी समझता है तो उसे प्रकरण को दिव्यांग कल्याण विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री को संदर्भित किया जाएगा। प्रत्येक विभाग दिव्यांगजन की प्रोन्नति से संबंधित आंकड़े सीधी भर्ती की भांति तैयार कर दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग को उपलब्ध कराएंगे।


दिव्यांगों को पदोन्नति में तीन से बढ़ाकर चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला, शासनादेश देखें 


● नौकरी के दौरान दिव्यांग होने पर उसके हितों की रक्षा की जाएगी

● समूह ‘क’ व ‘घ’ के अधीन आने वालों में बधिर अंधता शामिल


लखनऊ । राज्य सरकार ने दिव्यांगों को पदोन्नति में तीन से बढ़ाकर चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। नौकरी के दौरान दिव्यांग होने पर उसके हितों की रक्षा की जाएगी। अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है। इससे पहले प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों को नई भर्ती में आरक्षण को बढ़ाकर तीन फीसदी से चार फीसदी कर दिया था।


इसके मुताबिक समूह ‘घ’ से ‘ग’ व समूह ‘ग’ से ‘ख’ और समूह ‘ख’ से ‘क’ सबसे निचले पायदान के पदों पर सीधी भर्ती का अंश 75 प्रतिशत से अधिक न हो, इसमें चार प्रतिशत रिक्तियां इनके लिए आरक्षित रखी जाएंगी। इनमें से एक-एक प्रतिशत रिक्तियां ‘क’, ‘ख’ व ‘ग’ के लिए आरक्षित रखी जाएंगी। एक प्रतिशत में समूह ‘घ’ व ‘ड’ को लाभ दिया जाएगा। ये पद दृष्टिहीनता कम दृष्टि, बधिर श्रवण ह्रास, प्रमस्तिष्कीय अंग घात, उपचारित, कुष्ठ, बौनापन, एसिड आक्रमण पीड़िता और मांसपेशीय दुष्पोषण सहित चलन क्रिया में निशक्तता के होंगे।


समूह ‘क’ व ‘घ’ के अधीन आने वाले व्यक्तियों में बहुनिशक्तता के तहत बधिर अंधता शामिल है। नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पदोन्नति के पद पर नियुक्ति के समय सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र की प्रमाणिकता की जांच कराई जाएगी। कोई विभाग कार्य की प्रकृति के आधार पर किसी प्रतिष्ठान को दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्रावधान से अंशत: या पूर्णतया मुक्त रखना जरूरी समझे तो वह औचित्य दर्शाते हुए दिव्यांग कल्याण विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेज सकता है। छूट देने के बारे में मुख्यमंत्री इस पर विचार करेंगे।


किसी भी कार्मिक को उसकी निशक्तता के आधार पर पदोन्नति से मना नहीं किया जा सकता है। कोई कार्मिक सेवा में रहते हुए यदि दिव्यांग हो जाता है, तो उसे सेवा से न तो निकाला जाएगा और न ही उसकी रैंक में कमी की जाएगी। दिव्यांगता पर पद का दायितव निर्वहन करने में असमर्थ होने पर समान वेतनमान व सेवाओं के साथ किसी अन्य पद पर उसे शिफ्ट किया जा सकता है। किसी अन्य पद समायोजन किया जाना संभव न होने पर उसे अधिसंख्य पद पर तब तक रखा जाएगा जब तक उसके लिए उपयुक्त पद उपलब्ध न हो जाए या फिर सेवानिवृत्त न हो जाए।



पदोन्नति में दिव्यांगों को 4% आरक्षण


लखनऊ : केंद्र सरकार की तर्ज पर अब राज्य सरकार की सेवाओं में भी दिव्यांगजनों को पदोन्नति में चार प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। दिव्यांगों को पदोन्नति में चार प्रतिशत आरक्षण देने के बारे में कार्मिक विभाग ने गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है।


शासनादेश के अनुसार समूह 'घ से 'ग, समूह 'ग से 'ख और समूह 'ख से 'क के सबसे निचले पायदान के पदों पर जिसमें सीधी भर्ती का अंश 75 प्रतिशत से अधिक न हो, चार प्रतिशत रिक्तियां, दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षित रखी जाएंगी। यदि कोई विभाग कार्य की प्रकृति के आधार पर किसी प्रतिष्ठान को दिव्यांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए आरक्षण के प्राविधान से आंशिक या पूरी तरह मुक्त रखना जरूरी समझता है तो उसे इसका औचित्य दर्शाते हुए दिव्यांग कल्याण विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजना होगा। 


छूट देने के बारे में मुख्यमंत्री निर्णय करेंगे। किसी भी व्यक्ति को मात्र उसकी निश्शक्तता के आधार पर पदोन्नति से मना नहीं किया जा सकता है। यदि कोई कार्मिक सेवा में रहते हुए दिव्यांग हो जाता है तो न उसे सेवा से निकाला जाएगा और न ही उसके रैंक में कोई अवनति की जाएगी। यदि कोई कार्मिक सेवा में आने के बाद दिव्यांग हो जाता है तो वह दिव्यांगजन के लिए प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ पाने का हकदार होगा । शर्त यह होगी कि वह कम से कम 40% विकलांगता से ग्रस्त हो ।


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