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Wednesday, February 2, 2022

अब 2 साल तक कर सकते हैं ITR में संशोधन, देना पड़ेगा भरपूर टैक्स

अब 2 साल तक कर सकते हैं ITR में संशोधन, देना पड़ेगा भरपूर टैक्स


आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए बजट में इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) फाइलिंग को दो साल तक अपडेट करने की सुविधा घोषित की गई। लेकिन अपडेट फाइलिंग की यह सुविधा निशुल्क नहीं होगी और इसके लिए टैक्स भी देना होगा। आइटीआर को एक साल के भीतर अपडेट करने पर अघोषित आय पर 25 फीसदी टैक्स देना होगा। अगर दूसरे साल आइटीआर अपडेट करते हैं तो अघोषित आय पर 50 फीसदी टैक्स देना होगा। एक और बात है अगर करदाता के आइटीआर अपडेट करने से पहले इनकम टैक्स विभाग ने यह पकड़ लिया कि उसने अपनी सही आय नहीं दिखाई है और विभाग ने करदाता को नोटिस जारी कर दिया, तो इस सूरत में करदाता आइटीआर अपडेट नहीं कर पाएगा।


भूल होने पर मिलेगा सुविधा का लाभ

टैक्स विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) असीम चावला ने बताया कि अपडेट फाइलिंग की सुविधा से उन लोगों को फायदा मिलने वाला है जिन्होंने गलती से अपनी आय को नहीं बताया है और उस पर टैक्स नहीं दिया है। मान लीजिए 100 रुपये की कर-योग्य आय को आइटीआर में नहीं दिखाया गया है तो पहले साल अपडेट फाइलिंग के तहत टैक्सपेयर्स को 25 रुपये का टैक्स देना होगा करवंचना या टैक्स चोरी के दोष से मुक्त हो जाएगा। दूसरे साल आइटीआर को अपडेट करने पर उसे 100 रुपये की कर योग्य आय पर 50 फीसदी यानी 50 रुपये टैक्स देना होगा। फिर भी, इस योजना में करदाता को फायदा ही है। इसकी वजह यह है कि अघोषित आय के सेटलमेंट पर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से अभी 100 फीसदी का जुर्माना लगाया जाता है, जबकि अपडेट फाइलिंग के तहत 50 फीसदी टैक्स में ही बिना किसी झंझट के टैक्सपेयर्स दोष-मुक्त हो जाएगा।


पकड़ में आने के बाद नहीं होगा संसोधन

चावला के अनुसार करदाताओं के लिए यह उन मामलों में ही फायदेमंद है, जहां मामला अभी तक आयकर विभाग की पकड़ में आया नहीं है। एक बार मामला विभाग की पकड़ में आ जाए और वह करदाता को नोटिस जारी कर दे, उसके बाद करदाता आइटीआर को अपडेट नहीं कर सकेगा और इस स्थिति में इनकम टैक्स विभाग के साथ वर्तमान तरीकों से ही सेटलमेंट करना होगा। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि अपडेट फाइलिंग का रिवाज न शुरू हो जाए। अगर कोई अंकुश नहीं होगा तो हर कोई आइटीआर की अपडेट फाइलिंग करने लगेगा या निर्धारित समय पर आइटीआर फाइलिंग करने की जगह दो साल में कभी भी आइटीआर फाइल करने लगेगा।


अभी भी मिलता है संशोधन के लिए वक्त

टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक यह सुविधा इसलिए दी गई है कि अब शेयर बाजार से लेकर अन्य कई तरह के माध्यम से लोग कमाई करने लगे हैं। कई बार आइटीआर फाइल करने के दौरान सचमुच में दूसरे माध्यम से होने वाली छोटी-मोटी कमाई का ध्यान नहीं रहता है और करदाता उसे आइटीआर में नहीं दिखा पाता हैं। अभी संशोधित आइटीआर फाइल करने के लिए छह महीने का समय दिया जाता है।


आइटीआर फार्म में होगा क्रिप्टो का कालम

वित्त मंत्रालय के मुताबिक अगले साल से इनकम टैक्स रिटर्न फार्म में क्रिप्टोकरेंसी का अलग से कालम होगा। क्रिप्टो संपत्तियों का लेनदेन करने वाले इस कालम को भरेंगे और अपनी कमाई के हिसाब से टैक्स देंगे। बजट में क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स एवं सरचार्ज व सेस लगाने का फैसला किया गया है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि जब इससे कमाई हो रही है तो उस पर टैक्स क्यों नहीं लिया जाए।


यह भी है एक शर्त

अगर करदाता के आइटीआर अपडेट करने से पहले इनकम टैक्स विभाग ने गलती पकड़ ली और करदाता को नोटिस जारी कर दिया, तो फिर करदाता आइटीआर अपडेट नहीं कर पाएगा। शर्त की वजह ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि अगर कोई अंकुश नहीं होगा तो हर कोई निर्धारित समय पर आइटीआर फाइलिंग करने की जगह दो साल में कभी भी आइटीआर फाइल करने लगेगा।



बजट 2022 : ITR में हो गई गड़बड़ी तो अब दो साल तक भर सकेंगे अपडेटेड रिटर्न


आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर में कोई राहत नहीं दी है और न ही आयकर स्लैब (Income Tax Slab) में किसी बदलाव की घोषणा की है। हालांकि, इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के मोर्चे पर एक सहूलियत दी है। सरकार ने दाखिल आईटीआर में भूल-चूक सुधारने के लिए मोहलत देने का ऐलान करते हुए कहा कि दो साल तक ITR अपडेट कर पाएंगे


रिटर्न अपडेट करने की अनुमति
बजट में जो बड़ी घोषणा की गई है, वह दो साल में रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति है। अगर किसी करदाता ने अपनी सालाना आय की घोषणा में कोई गलती की है तो वह इसे दो साल में सुधार सकता है। इसके लिए उसे अपना रिटर्न अपडेट करना होगा। इससे मुकदमेबाजी कम होगी। रिटर्न अपडेट करते हुए उन्हें आवश्यक कर का भुगतान करना होगा।



सीतारमण ने कहा कि इस समय डिपार्टमेंट को पता चलता है कि टैक्सपेयर ने कोई गलती की है तो मुकदमेबाजी की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रस्ताव से टैक्सपेयर्स और विभाग में आपसी विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी। टैक्सपेयर ने अगर रिटर्न में कोई गलती की है तो वह खुद ही उसे सुधार सकेगा। 

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