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Saturday, June 16, 2018

पदोन्नति में आरक्षण पर यूपी सरकार को लेना होगा नया फैसला, पदोन्नति में आरक्षण पर विरोधी और समर्थक आमने-सामने

■ पदोन्नति में आरक्षण पर विरोधी और समर्थक आमने-सामने


 

लखनऊ : पदोन्नतियों में आरक्षण के केंद्र सरकार के आदेश ने इसके पक्ष व विपक्ष में खड़े संगठनों को अब आमने-सामने ला दिया है। विरोध व समर्थन के स्वर रविवार को राजधानी सहित अन्य शहरों में एक साथ उभरेंगे। ऐसे में उनके बीच टकराव बढ़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। 



आरक्षण समर्थक संघर्ष समिति रविवार को स्वाभिमान यात्र निकालेगी तो सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने चेतावनी दौड़ की तैयारी की है। इन आयोजनों ने पुलिस-प्रशासन की चुनौती भी बढ़ा दी है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि 17 जून की सुबह छह बजे गोमतीनगर स्थित डॉ.भीमराव आम्बेडकर स्मारक से आरक्षण बचाओ पैदल मार्च निकलेगा। मार्च में प्रदेश के विभिन्न शहरों व गांवों से लोग आ रहे हैं। अन्य प्रदेशों में भी रविवार को स्वाभिमान दिवस मनाया जाएगा। 



दूसरी ओर पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के विरोध में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति 17 जून को लखनऊ में चेतावनी दौड़ का आयोजन करेगी। समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे का कहना है कि केंद्र सरकार के आदेश के विरोध में कर्मचारी सड़क पर आएंगे।





■ मायावती सरकार ने सितंबर 2007 में लागू किया था अधिनियम,

■ 27 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने किया था खारिज

■ आठ मई, 2012 को अखिलेश सरकार ने समाप्त की थी




लखनऊ : केंद्र सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण के लिए आदेश जरूर कर दिया है लेकिन, उत्तर प्रदेश में इस को लागू करने के लिए नए सिरे से फैसला लेना होगा। वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर प्रदेश में कोई कानून नहीं रह गया है, इसलिए भी नए सिरे से अधिनियम प्रभावी करना सरकार की मजबूरी होगी। अब आरक्षण के विरोधी और समर्थक दोनों समूहों की निगाहें प्रदेश सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं। प्रदेश सरकार को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने का इंतजार है।




प्रदेश के सरकारी विभागों में हलचल मचा देने वाले पदोन्नति में आरक्षण विषय आदेश को बसपा शासन में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सितंबर 2007 में लागू किया था। इसके बाद अनुसूचित जाति, जनजाति के कई अधिकारी कनिष्ठ होने के बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हो गए थे। विरोध में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने अदालत की शरण ली थी और 27 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को खारिज कर दिया था।




सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आठ मई, 2012 को पदोन्नति में आरक्षण की बहाल कर दी थी। इसके बाद भी पदोन्नति में आरक्षण के समर्थक अपनी लड़ाई जारी रखे हुए थे।  केंद्र सरकार ने राज्यों को भी यह कानून लागू करने की सलाह दी है। इसके बाद से प्रदेश सरकार को केंद्र के आदेश का इंतजार है। अपर मुख्य सचिव दीपक त्रिवेदी ने कहा कि अभी यह आदेश हमें मिला नहीं है। आने के बाद ही उसका अध्ययन होगा।



■ आरक्षण के समर्थक और विरोधी दोनों कल सड़क पर
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर रविवार को समर्थक जहां स्वाभिमान दिवस मनाएंगे, वहीं सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने चेतावनी दौड़ का आयोजन किया है।


आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी स्वाभिमान दिवस में शामिल होंगे। 17 जून को सुबह छह बजे डॉ. भीमराव आम्बेडकर स्मारक, गोमती नगर मेन गेट से ‘आरक्षण बचाओ पैदल मार्च’ शुरू होगा। इसे उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति खेमकरन रवाना करेंगे। बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी 17 जून को स्वाभिमान दिवस मनाया जायेगा। समिति के संयोजकों ने मांग की है कि जब तक प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण की बहाली का आदेश जारी न हो जाये तब तक सभी विभागों में पदोन्नतियों पर रोक लगाई जाये।



दूसरी ओर पदोन्नति में आरक्षण देने की कोशिशों के विरोध में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने 17 जून को लखनऊ में चेतावनी दौड़ आयोजित किया है। पदाधिकारियों ने बताया कि सभी प्रांतों की राजधानियों में विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे और काला दिवस मनाया जाएगा।



समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि लखनऊ में 17 जून को सुबह छह बजे गोमतीनगर स्थित 1090 चौराहा से राजीव चौक तक चेतावनी दौड़ होगी। भारतीय वायु सेना के 80 वर्षीय सेवानिवृत्त एयर मार्शल आरके दीक्षित इसका नेतृत्व करेंगे। शुक्रवार को समिति की बैठक में अनेक सरकारी विभागों व निगमों के कर्मचारी-अधिकारी व शिक्षक बड़ी संख्या में शामिल हुए। पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और बताना चाहिए कि केंद्र व प्रदेश सरकार पदोन्नति में आरक्षण के पक्ष में है या नहीं। समिति ने भाजपा व कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों से भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।




केंद्र सरकार सुप्रीम के निर्णय की जानबूझकर गलत व्याख्या कर रही है जिससे प्रदेश के कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। पदोन्नति में आरक्षण देने का आदेश तत्काल वापस नहीं लिया गया तो 18 लाख कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक अन्य प्रदेशों के कर्मचारियों के साथ मोर्चा बनाकर आंदोलन को बाध्य होंगे। समिति की शनिवार को आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।- शैलेन्द्र दुबे, अध्यक्ष, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति, उप्र




केंद्र सरकार के आदेश का लाभ प्रदेश के आठ लाख दलित कार्मिकों को तभी मिलेगा जब राज्य सरकार स्वत: आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को 15 नवंबर, 1997 से बहाल करे और उसी तारीख से पदोन्नति का लाभ दे। केंद्र सरकार अपने आदेश में उत्तर प्रदेश के लिये संशोधन जारी करे अथवा प्रदेश सरकार स्वयं संशोधित शासनादेश जारी करे। केंद्र सरकार को इसके लिए अध्यादेश लाना चाहिए। - अवधेश कुमार वर्मा, संयोजक, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति




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