Searching...
Friday, October 27, 2017

सुप्रीम कोर्ट में उठा सवाल - एससी, एसटी कोटा में क्रीमी लेयर क्यों नहीं, प्रोन्नति में आरक्षण पर सुनवाई के दौरान उठा मामला

4:49 AM

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी,एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर न होने पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने पूछा कि क्या एससी-एसटी के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से ऊपर उठ चुके लोग अपने ही वर्ग के पिछड़े लोगों का हक नहीं मार रहे? इस पर गुरुवार को करीब आधे घंटे चली बहस के दौरान अदालत ने इसे संविधान पीठ को विचार के लिए भेजे जाने के भी संकेत दिए।

सुप्रीम कोर्ट एससी,एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मुद्दा संविधान पीठ को भेजे जाने पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट का ध्यान एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू न होने की ओर गया। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने बहस कर रहीं वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह से पूछा, एससी, एसटी वर्ग में आरक्षण के सहारे अब ऊपर उठ चुके लोगों को लाभ क्यों मिलना चाहिए? एससी,एसटी की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर क्यों नहीं किया जाना चाहिए? जस्टिस कुरियन के इन सवालों में पीठ की दूसरी न्यायाधीश आर. भानुमति ने भी साथ दिया। कहा कि जो लोग सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठ चुके हैं उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों मिले, जबकि उसी वर्ग के लोग उनसे पीछे छूट गए हैं।


जस्टिस कुरियन ने फिर पूछा कि अगर राज्य सरकार को कोई हक ही नहीं है तो फिर अनुच्छेद 16(4)(ए) (प्रोन्नति में आरक्षण) के प्रावधान में राज्य से मशविरे की बात का क्या मतलब है। एससी-एसटी में पिछड़ेपन का फंडा लागू नहीं होने की दलील पर कोर्ट का कहना था कि आरक्षण के पीछे सामाजिक न्याय का सिद्धांत तो समान है। इंद्रा जयसिंह ने कहा कि ये राष्ट्रपति तय करते हैं कि कौन वर्ग अनुसूचित जाति सूची में रहेगा और कौन नहीं? सूची से किसी को हटाने का अधिकार सिर्फ संसद को है।


जस्टिस कुरियन का सवाल था कि अगर संसद सूची से किसी वर्ग को हटाती है तो पूरा वर्ग बाहर हो जाएगा। लेकिन, उनका सवाल एक ही वर्ग के अंदर के अगड़े और पिछड़ों के बारे में है। ऊपर उठ चुके एक व्यक्ति को बाहर करने के बारे में है, ताकि उसी वर्ग का उससे पीछे लाइन में लगा ज्यादा पिछड़ा व्यक्ति आरक्षण का लाभ पा सके।

कानून बना कर सिर्फ संसद ही कर सकती है सूची में संशोधन?क्या राज्य सरकारें एससी-एसटी सूची से ऐसे लोगों को बाहर कर सकती हैं? वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि एससी-एसटी में पिछड़ेपन का फंडा लागू नहीं होता। सूची से किसी वर्ग को संसद ही कानून बना बाहर कर सकती है। राज्य सरकार को ये हक नहीं है।राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण देने का बिल पारित।

संबन्धित खबरों के लिए क्लिक करें

GO-शासनादेश NEWS अनिवार्य सेवानिवृत्ति अनुकम्पा नियुक्ति अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण अवकाश आधार कार्ड आयकर आरक्षण आवास उच्च न्यायालय उच्‍च शिक्षा उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश उत्तराखण्ड उपभोक्‍ता संरक्षण एरियर एसीपी ऑनलाइन कर कर्मचारी भविष्य निधि EPF कामधेनु कारागार प्रशासन एवं सुधार कार्मिक कार्यवाही कृषि कैरियर कोर्टशाला कोषागार खाद्य एवं औषधि प्रशासन खाद्य एवम् रसद खेल गृह गोपनीय प्रविष्टि ग्रामीण अभियन्‍त्रण ग्राम्य विकास ग्रेच्युटी चतुर्थ श्रेणी चयन चिकित्सा चिकित्‍सा एवं स्वास्थ्य चिकित्सा प्रतिपूर्ति छात्रवृत्ति जनवरी जनसुनवाई जनसूचना जनहित गारण्टी अधिनियम धर्मार्थ कार्य नकदीकरण नगर विकास निबन्‍धन नियमावली नियुक्ति नियोजन निर्वाचन निविदा नीति न्याय न्यायालय पंचायत चुनाव 2015 पंचायती राज पदोन्नति परती भूमि विकास परिवहन पर्यावरण पशुधन पिछड़ा वर्ग कल्‍याण पीएफ पुरस्कार पुलिस पेंशन प्रतिकूल प्रविष्टि प्रशासनिक सुधार प्रसूति प्राथमिक भर्ती 2012 प्रेरक प्रोबेशन बजट बर्खास्तगी बाट माप बेसिक शिक्षा बैकलाग बोनस भविष्य निधि भारत सरकार भाषा मत्‍स्‍य मंहगाई भत्ता महिला एवं बाल विकास माध्यमिक शिक्षा मानदेय मानवाधिकार मान्यता मुख्‍यमंत्री कार्यालय युवा कल्याण राजस्व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद राज्य सम्पत्ति राष्ट्रीय एकीकरण रोक रोजगार लघु सिंचाई लोक निर्माण लोक सेवा आयोग वरिष्ठता विकलांग कल्याण वित्त विद्युत विविध विशेष भत्ता वेतन व्‍यवसायिक शिक्षा शिक्षा शिक्षा मित्र श्रम सचिवालय प्रशासन सत्यापन सत्र लाभ सत्रलाभ समन्वय समाज कल्याण समाजवादी पेंशन समारोह सर्किल दर संवर्ग संविदा संस्‍थागत वित्‍त सहकारिता सातवां वेतन आयोग सामान्य प्रशासन सार्वजनिक उद्यम सार्वजनिक वितरण प्रणाली सिंचाई सिंचाई एवं जल संसाधन सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम सूचना सेवा निवृत्ति परिलाभ सेवा संघ सेवानिवृत्ति सेवायोजन सैनिक कल्‍याण स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन स्थानांतरण होमगाडर्स