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Wednesday, August 31, 2016

केंद्रीय कर्मियों को मिलेगा पिछले दो सालों का  संशोधित बोनस और न्यूनतम मजदूरी बढाकर हुई 350, श्रमिक संगठनों ने वेतन वृद्धि को ठुकराया, दो सितंबर की हड़ताल पर अडिग

 नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने मंगलवार को केंद्र सरकार के अकुशल गैर-कृषि कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी 350 रुपए प्रति दिन नियत की जो फिलहाल 246 रुपए है। यहां संवाददाताओं से बातचीत केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को संशोधित नियमों के आधार पर 2014-15 और 2015-16 के लिए बोनस दिया जाएगा। बोनस संशोधन कानून का ‘कड़ाई’ से पालन किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उच्च न्यायालयों तथा सुप्रीम कोर्ट में लंबित बोनस भुगतान के लंबित मामलों के निपटान के लिए जरूरी कदम उठाएगी। इस कदम से सालाना 1,920 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ आएगा। 



जेटली ने आगे कहा कि पिछले डेढ़ सरकार में अंतर-मंत्रालयीय समिति की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ बैठक हुई है। श्रमिक संगठनों ने कई मांगें रखी। इसमें कुछ श्रमिक संबंधित तथा कुछ आर्थिक नीति से जुड़े मुद्दे थे। सरकार ने उनकी सिफारिशों के आधार पर कुछ निर्णय किए हैं। इस मौके पर बिजली तथा कोयला मंत्री पीयूष गोयल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी मौजूद थे। 


सरकार ने कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ाई, कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी 350 रुपए प्रति दिन नियत की


नई दिल्ली। केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन में वृद्धि को ‘पूरी तरह अपर्याप्त’ बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वे दो सितंबर को अपनी प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल पर जाएंगे। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव गुरूदास दासगुप्ता ने कहा कि सरकार की न्यूनतम वेतन संबंधी घोषणा पूरी तरह अपर्याप्त है। हम हड़ताल पर कायम हैं और हम मांग करते हैं कि उन्हें न्यूनतम (सार्वभौम) वेतन तय करने के लिए कानून लागू करना चाहिए। 


इंडियन नेशनल कांग्रेस यूनियन के उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री का बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार ने हमारे 12 सूत्री मांगपत्र की किसी भी मांग पर विचार नहीं किया। यूनियनों के पास अपने अधिकारों के लिए लड़ने अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उल्लेखनीय है कि दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दो सितंबर 2016 को देश भर में हड़ताल का आह्वान किया है।


नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सभी विभागों से सेवा और भर्ती से जुड़े नियमों में बदलाव करने को कहा गया है ताकि उनमें सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें परिलक्षित हो सकें। विभागों से कहा गया है कि वे डीओपीटी व यूपीएससी से मशविरा नहीं करें तथा खुद ही सेवा नियमों में बदलाव करें। केंद्र ने सातवें वेतन आयोग की अधिकतर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है जिनका पहली जनवरी 2016 से कार्यान्वयन किया जाना है। डीओपीटी ने एक आदेश में मंत्रालयों एवं विभागों से कहा है कि वे डीओपीटी व यूपीएससी से मशविरा किए बिना मौजूदा सेवा नियमों एवं भर्ती नियमों में संशोधन करें। इस संबंध में डीओपीटी द्वारा एक अनुपालन बैठक की जाएगी ताकि सेवा एवं भर्ती नियमों में संशोधन की ताजा स्थिति का जायजा लिया जा सके। इसमें कहा गया है कि सभी मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ अक्टूबर के पहले सप्ताह में बैठक की जाएगी।

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