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Friday, August 12, 2016

कामकाजी महिलाओं को 26 हफ्तों की छुट्टी मिलेगी, सरकारी संस्थानों के साथ निजी उपक्रमों पर भी लागू होगा नियम

नई दिल्ली : जल्दी ही कामकाजी महिलाओं को मां बनने पर छह महीने की वेतन सहित छुट्टी मिल सकेगी। यह नियम सरकारी संस्थानों के अलावा 10 से अधिक कर्मचारी वाले निजी उपक्रमों पर भी लागू होगा। कामकाजी महिलाओं को बेहतर माहौल मुहैया करवाने के लिए मातृत्व सुविधा संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया।
केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि इसे लागू करने के बाद कामकाजी महिलाओं को 26 हफ्तों की छुट्टी मिलेगी। अभी सिर्फ 12 सप्ताह की छुट्टी का प्रावधान है। नया कानून लागू होने के बाद छुट्टी की अवधि के लिहाज से भारत दुनिया में तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा। अधिकांश विकसित देशों में भी इतनी लंबी छुट्टी का प्रावधान नहीं है। साथ ही इन प्रावधानों से कार्यस्थलों पर महिलाओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। नए प्रावधानों का देश की 18 लाख कामकाजी महिलाओं को फायदा मिलेगा।
राज्यसभा में चर्चा के दौरान महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि परिवार लगातार छोटे हो रहे हैं। इससे जरूरी हो जाता है कि जन्म लेने वाले बच्चे को मां का पूरा समय मिल सके। इसी तरह बच्चों में कुपोषण के मामलों को कम करने और बच्चे के साथ मां की प्रगाढ़ता कायम करने के लिए यह समय बहुत उपयोगी होगा। बिल में बच्चों को गोद लेने वाली या सरोगेट माता की मदद से बच्चा हासिल करने वाली मां को भी मातृत्व सुविधा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, विपक्ष ने इसमें उन महिलाओं को भी शामिल करने की मांग की है, जो सरोगेट मां के तौर पर बच्चे को अपने गर्भ में पालती हैं। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र, सपा नेता जया बच्चन, तृणमूल के डेरिक ओ ब्रायन सहित कई सांसदों की इस मांग पर श्रम मंत्री ने विचार करने का भरोसा दिया है।
अभिभावकों की इच्छा के विरुद्ध या अंतरजातीय, अंतर धर्म विवाह करने वाले जोड़ों की ऑनर किलिंग से चिंतित केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्र,राज्यों को अनेक सुझाव दिए हैं। उसका कहना है कि विवाह आवेदन फार्म में कोर्ट मैरिज के इच्छुक जोड़ों की आशंका को भी शामिल किया जाए कि विवाह के बाद उनकी जान अथवा आजादी को खतरा पैदा हो सकता है।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचायरुलु ने सुझाव दिया कि जोड़े को मिली धमकी की सूचना सभी पुलिस थानों में भिजवाई जाए ताकि जांच की जा सके। प्रथम दृष्टया यदि धमकी सही पाई जाए तो उचित सुरक्षा उपाय किए जाएं।
नई दिल्ली : अभिभावकों की इच्छा के विरुद्ध या अंतरजातीय, अंतर धर्म विवाह करने वाले जोड़ों की ऑनर किलिंग से चिंतित केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्र,राज्यों को अनेक सुझाव दिए हैं। उसका कहना है कि विवाह आवेदन फार्म में कोर्ट मैरिज के इच्छुक जोड़ों की आशंका को भी शामिल किया जाए कि विवाह के बाद उनकी जान अथवा आजादी को खतरा पैदा हो सकता है।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचायरुलु ने सुझाव दिया कि जोड़े को मिली धमकी की सूचना सभी पुलिस थानों में भिजवाई जाए ताकि जांच की जा सके। प्रथम दृष्टया यदि धमकी सही पाई जाए तो उचित सुरक्षा उपाय किए जाएं।
कोर्ट मैरिज के आवेदन फार्म में दर्ज हो धमकी की सूचना


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