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Saturday, August 22, 2015

सातवीं वेतन समिति की कवायद में जुटी सरकार, 31 अगस्त तक ब्यौरा मुहैया कराने के निर्देश, चुनावी वर्ष में निर्णय से राज्यकर्मियों को बड़ी उम्मीदें

  • सातवीं वेतन समिति की कवायद में जुटी सरकार
  • शासन ने विभागों से मांगी कर्मियों से जुड़ी अहम जानकारी
  • हर हाल में 31 अगस्त तक ब्यौरा मुहैया कराने के निर्देश
  • चुनावी वर्ष में निर्णय से राज्यकर्मियों को बड़ी उम्मीदें
 
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट केंद्र को जल्द सौंपे जाने की संभावना के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है। शासन ने केंद्र में रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद प्रदेश में गठित होने वाली वेतन समिति के लिए जरूरी सूचनाएं मांगी हैं। इसमें ग्रेड पे के हिसाब से कार्यरत कर्मियों के ब्यौरे समेत तमाम अहम जानकारियां शामिल हैं। वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र को सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट निकट भविष्य में सौंपी जानी है। इसके बाद राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के लिए वेतन समिति का गठन करना होगा। इस समिति की सिफारिशों पर विचार कर प्रदेश सरकार को निर्णय लेना होता है। समिति को कर्मचारियों से जुड़ी तमाम अद्यतन सूचनाओं की जरूरत होगी। इसे ध्यान में रखते हुए विभागों से सूचनाएं मांगी गई हैं। 
 
प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों व कार्यालयाध्यक्षों से विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या, एक जनवरी 2006 को लागू वेतनमान और भरे व खाली पदों का ब्यौरा मांगा गया है। इसके अलावा प्रथम, द्वितीय व तृतीय वित्तीय स्तरोन्नयन (एसीपी) में ग्रेड पे वार लाभ पाने वाले कर्मियों की संख्या भी पूछी गई है। शासन ने वर्ष 2015, 2016 व 2017 में रिटायर होने वाले कर्मचारियों का ग्रेड पे वार ब्यौरा भी मांगा है। अधिकारियों को यह भी बताना होगा कि उनके विभाग में कार्यरत समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ अथवा ‘घ’ में कार्यरत कर्मियों पर सेवा नियमावली लागू है या नहीं। यदि लागू नहीं है तो किस कार्यकारी आदेश से संबंधित कर्मी के संवर्ग व पद की सेवाएं ली जा रही हैं। अधिकारियों को सेवा नियमावली या कार्यकारी आदेश की कॉपी भी उपलब्ध करानी है।
प्रमुख सचिव वित्त राहुल भटनागर ने अधिकारियों से ये सूचनाएं 31 अगस्त तक हर हाल में उपलब्ध कराने को कहा है। सूचनाएं 31 मार्च 2015 को आधार बनाकर तैयार की जाएंगी।

  • वेतन समिति का काम
जिस तरह केंद्रीय वेतन आयोग का काम केंद्रीय कर्मियों के वेतन का पुनरीक्षण करना होता है, वैसे ही राज्य वेतन समिति केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर केंद्र के निर्णय के मद्देनजर राज्य कर्मियों के वेतन पुनरीक्षण से जुड़ी सिफारिशें देती है। प्रदेश सरकार इन पर विचार कर निर्णय लेती है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर केंद्र के निर्णय को सूबे में लागू करने पर विचार के लिए प्रदेश सरकार ने एसएटी रिजवी वेतन समिति का गठन किया था। रिजवी तब प्रशासनिक सेवा से रिटायर हो चुके थे। केंद्रीय वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद मौजूदा सरकार को भी किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में कमेटी का गठन करना होगा। इसके लिए एक रिटायर्ड आईएएस अफसर एवं प्रमुख सचिव वित्त रहे एक अधिकारी के साथ कई अन्य अफ सरों के नाम चर्चा में हैं।
 
केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2016 से लागू करने की बात कह चुकी है। 2016-17 प्रदेश का चुनावी वर्ष होगा। प्रदेश सरकार को चुनाव के ठीक पहले सातवें वेतन समिति की सिफारिशों पर निर्णय करना होगा। सूबे के 21 लाख से ज्यादा कर्मियों की निगाहें केंद्र व राज्य सरकार के निर्णय पर है। ऐन चुनाव के पहले निर्णय होने से कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें हैं।


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